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व्यक्ति विशेष -भाग – 167.

अभिनेत्री पद्मिनि

अभिनेत्री पद्मिनी (Padmini) भारतीय सिनेमा की एक मशहूर अभिनेत्री और शास्त्रीय नृत्यांगना थीं. उनका जन्म 12 जून 1932 को केरल के त्रावणकोर (अब तिरुवनंतपुरम) में हुआ था. वे तीन बहनों में से एक थीं, जिन्हें “त्रावणकोर सिस्टर्स” के नाम से जाना जाता है; उनकी बहनें रागिनी और ललिता भी मशहूर अभिनेत्रियाँ और नृत्यांगनाएँ थीं.

पद्मिनी ने तमिल फिल्म उद्योग में अपनी शुरुआत की और जल्दी ही एक प्रमुख अभिनेत्री बन गईं. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जैसे ‘थिलाना मोहनाम्बाल’, ‘कथंबम’, और ‘मनाम कोथी परावई’. उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. ‘झनक झनक पायल बाजे’ (1955) और ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) जैसी फिल्मों में उनकी नृत्य कला और अभिनय की खूब प्रशंसा हुई. पद्मिनी ने मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया और विभिन्न भाषाओं के दर्शकों का दिल जीता.

पद्मिनी एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम नृत्यांगना थीं और उन्होंने अपनी फिल्मों में भी अपनी नृत्य कौशल का प्रदर्शन किया. वे अपनी नृत्य प्रतिभा के लिए विशेष रूप से जानी जाती थीं और कई नृत्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया. पद्मिनी का विवाह रामचंद्रन के साथ हुआ था, और उनके बेटे का नाम प्रेमनंद है.

पद्मिनी का निधन 24 सितंबर 2006 को चेन्नई में हुआ. उनके निधन के बाद भी, उन्हें भारतीय सिनेमा और शास्त्रीय नृत्य में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है.

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सिविल इंजीनियर ई. श्रीधरन

ई. श्रीधरन (ई. श्रीधरन), जिन्हें ‘मेट्रो मैन’ के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय सिविल इंजीनियर और मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रख्यात प्रबंधक हैं. उनका पूरा नाम ‘एलीयास श्रीधरन’ है और उनका जन्म 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था. उन्होंने भारतीय रेलवे और मेट्रो परियोजनाओं में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए ख्याति प्राप्त की है.

श्रीधरन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई आंध्र विश्वविद्यालय से की, जहाँ से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने 1954 में भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (IES) में प्रवेश किया और भारतीय रेलवे में अपने कैरियर की शुरुआत की. श्रीधरन ने कोलकाता मेट्रो की योजना और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत की पहली भूमिगत मेट्रो प्रणाली है.

श्रीधरन ने कोंकण रेलवे परियोजना के प्रमुख के रूप में सेवा की, जो एक प्रमुख रेलवे लिंक है जो पश्चिमी तट पर मुंबई से मंगलौर तक फैला हुआ है. इस परियोजना को बहुत ही चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में पूरा किया गया था और यह उनकी प्रबंधकीय और तकनीकी कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है.

श्रीधरन को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया और उन्होंने दिल्ली मेट्रो परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में अहम भूमिका निभाई। यह परियोजना समय से पहले और बजट के अंदर पूरी हुई, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है.

श्रीधरन को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पद्म श्री (2001) और पद्म विभूषण (2008) शामिल हैं. उन्हें टाइम पत्रिका द्वारा 2003 में एशिया के हीरो के रूप में भी नामित किया गया था.

श्रीधरन ने 2011 में DMRC के प्रबंध निदेशक पद से सेवानिवृत्ति ली, लेकिन वे कई अन्य मेट्रो परियोजनाओं के सलाहकार के रूप में सक्रिय रहे. उन्होंने केरल के कालीकट में एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना भी की है.

ई. श्रीधरन अपने अनुशासन, समर्पण और उच्च नैतिक मानकों के लिए जाने जाते हैं, और उनके काम ने भारत में परिवहन के बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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अभिनेत्री श्यामा

श्यामा (Shyama) एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में 1950 – 60 के दशक में अपने अभिनय से महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका असली नाम खुर्शीद अख्तर था और उनका जन्म 7 जून 1935 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे भारतीय सिनेमा में अपनी बहुमुखी प्रतिभा और खूबसूरत अभिनय के लिए जानी जाती थीं.

श्यामा ने अपने कैरियर की शुरुआत 1945 में की और जल्द ही उन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान बना ली. उनकी प्रमुख फिल्में और योगदान निम्नलिखित हैं: –

आर पार (1954): – गुरु दत्त की इस फिल्म में श्यामा ने प्रमुख भूमिका निभाई और उनका गाना ‘बाबूजी धीरे चलना’ आज भी लोकप्रिय है.

बरसात की रात (1960): – इस फिल्म में उन्होंने मधुबाला के साथ अभिनय किया और उनके अभिनय की खूब तारीफ हुई.

शारदा (1957): – इस फिल्म के लिए श्यामा ने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता.

तराना (1951), साज और आवाज (1966), और चिंतन (1954): – इन फिल्मों में भी उनके अभिनय की सराहना की गई.

श्यामा का विवाह फोटोग्राफर फ़ली मिस्त्री से हुआ था. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. उनका परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा और उन्होंने अपने परिवार को अपनी प्राथमिकता दी. श्यामा का निधन 14 नवंबर 2017 को मुंबई में हुआ. उनके निधन के बाद भी, वे अपने यादगार किरदारों और फिल्मों के माध्यम से भारतीय सिनेमा में जीवित रहेंगी.

श्यामा की अभिनय शैली और उनकी फिल्मों में उनके योगदान के कारण उन्हें हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की महत्वपूर्ण अभिनेत्री माना जाता है. उनके गाने, संवाद और अभिनय आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं.

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राजनीतिज्ञ बंडारू दत्तात्रेय

बंडारू दत्तात्रेय एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के वर्तमान राज्यपाल हैं. उनका जन्म 12 फरवरी 1947 को तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में हुआ था. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

बंडारू दत्तात्रेय भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख नेता रहे हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. दत्तात्रेय ने सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र से कई बार लोकसभा सदस्य के रूप में सेवा की है. वे पहली बार 1991 में लोकसभा के लिए चुने गए थे और उसके बाद 1998, 1999 और 2014 में फिर से चुने गए.

उन्होंने विभिन्न समयों पर केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया. वे अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी सरकारों में केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री रहे हैं. सितंबर 2019 में, उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. इसके बाद, 7 जुलाई 2021 को उन्हें हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया.

बंडारू दत्तात्रेय ने श्रम और रोजगार मंत्रालय के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण सुधार किए और श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नीतियाँ लागू कीं. वे सामाजिक न्याय और अधिकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं, विशेष रूप से अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के लिए काम किया है. दत्तात्रेय का जीवन सादगी और विनम्रता का उदाहरण है. वे जनता के बीच अपनी सरलता और समर्पण के लिए जाने जाते हैं.

दत्तात्रेय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य के रूप में की थी. उन्होंने भाजपा के विभिन्न पदों पर कार्य किया और पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

बंडारू दत्तात्रेय अपने राजनीतिक जीवन में ईमानदारी, समर्पण और जनता की सेवा के लिए जाने जाते हैं. उनके नेतृत्व में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में कई विकासात्मक योजनाएँ और परियोजनाएँ सफलतापूर्वक लागू की गई हैं.

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भरतरी गायिका सुरुज बाई खांडे

सुरुज बाई खांडे एक प्रसिद्ध भारतीय भरतरी गायिका थीं, जो छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित थीं. वे अपनी अनूठी गायन शैली और भरतरी गीतों के लिए जानी जाती थीं. भरतरी लोक संगीत की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण विधा है, जो विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय है.

सुरुज बाई खांडे का जन्म 1940 के दशक में छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उनका परिवार पारंपरिक रूप से भरतरी गायन से जुड़ा हुआ था, जिससे उन्हें इस कला की प्रारंभिक शिक्षा और प्रेरणा मिली. सुरुज बाई खांडे ने भरतरी गीतों को नए ऊँचाइयों तक पहुँचाया. उनके गीतों में प्रमुखता से राजकुमार भरथरी की कहानियों और महाभारत की गाथाओं का वर्णन होता था.

उनकी गायन शैली में गहरे भावनात्मक तत्व और समाजिक संदेश होते थे, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाते थे. उनकी आवाज़ में एक अनोखी मिठास और गहराई थी, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती थी. उन्होंने लोक संगीत को समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के लिए कई कार्यक्रमों में भाग लिया और लोक कला के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सुरुज बाई खांडे को उनकी कला के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले. उनकी कला और समर्पण के कारण उन्हें क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली.

सुरुज बाई खांडे की गायन शैली और उनकी भरतरी गीतों ने छत्तीसगढ़ के लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. उनकी विधि और शैली आज भी नए गायकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है. सुरुज बाई खांडे का निधन 2 जून 2017 को हुआ. उनके निधन से छत्तीसगढ़ के लोक संगीत और विशेष रूप से भरतरी गायन में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया, लेकिन उनकी संगीत विरासत हमेशा जीवित रहेगी.

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राजनीतिज्ञ नरेन्द्र सिंह तोमर

नरेंद्र सिंह तोमर एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनका जन्म 12 जून 1957 को मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में हुआ था. तोमर वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुरैना में प्राप्त की और इसके बाद विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. तोमर ने भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया है और कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.

तोमर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत मध्य प्रदेश राज्य से की. वे मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. नरेंद्र मोदी सरकार में उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला है. उन्हें कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पहले मोदी सरकार में उन्होंने खनन, इस्पात और श्रम और रोजगार जैसे मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.

नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा और राज्यसभा में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है. वे ग्वालियर और मुरैना लोकसभा क्षेत्रों से सांसद रह चुके हैं. तोमर ने कृषि सुधार कानूनों को पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन कानूनों का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाना है. उन्होंने ग्रामीण विकास की दिशा में कई योजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है. पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. नरेंद्र सिंह तोमर का जीवन सादगी और जनसेवा का उदाहरण है. वे एक समर्पित राजनीतिज्ञ हैं, जो जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं.

तोमर का राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव के साथ शुरू हुआ. उन्होंने भाजपा में विभिन्न पदों पर कार्य किया और पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नरेंद्र सिंह तोमर का राजनीतिक कैरियर उनकी निष्ठा, समर्पण और जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है. वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण योजनाएँ और परियोजनाएँ सफलतापूर्वक लागू हुई हैं.

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उपन्यासकार गीतांजलि श्री

गीतांजलि श्री एक प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार और लघुकथाकार हैं, जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए ख्याति प्राप्त की है. उनका लेखन सामाजिक मुद्दों, मानवीय भावनाओं और भारतीय समाज की विविधताओं को प्रतिबिंबित करता है.

गीतांजलि श्री का जन्म 12 जून 1957 को उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से मध्यकालीन इतिहास में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की.

गीतांजलि श्री ने हिंदी साहित्य में कई उपन्यास और लघुकथाएँ लिखी हैं, जो उनकी गहरी समझ और मानवीय संवेदनाओं का प्रदर्शन करती हैं.

उपन्यास: –

माई:  – यह उपन्यास एक वृद्ध महिला की कहानी है, जो अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं और संघर्षों को दर्शाता है. इस कृति के लिए उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली.

हमारा शहर उस बरस: – इस उपन्यास में एक छोटे शहर की जीवनशैली और वहाँ के लोगों की कहानियाँ बयां की गई हैं.

खाली जगह: – यह उपन्यास मानवीय संवेदनाओं और समाज में व्यक्ति के अस्तित्व की तलाश पर आधारित है.

रेत समाधि: – यह उनकी एक और प्रसिद्ध कृति है, जिसमें भारतीय समाज और सांस्कृतिक परिवेश की जटिलताओं को दर्शाया गया है.

लघुकथाएँ: –  उनकी लघुकथाएँ भी भारतीय समाज और मानवीय संवेदनाओं पर गहरी दृष्टि प्रदान करती हैं. उनके कई लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और साहित्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं.

गीतांजलि श्री को उनकी साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं: – साहित्य अकादमी पुरस्कार, डीएससी प्राइज फॉर साउथ एशियन लिटरेचर (रवि मि. शेखर जी द्वारा प्राप्त) और  हिंदी अकादमी सम्मान.

गीतांजलि श्री की लेखन शैली सरल, प्रभावशाली और भावनात्मक होती है. उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के विभिन्न पहलुओं को बारीकी से चित्रित करते हैं और पाठकों को गहरी सोच में डालते हैं. उनका लेखन सामाजिक मुद्दों, नारीवाद, और भारतीय समाज की विविधताओं पर केंद्रित होता है.

गीतांजलि श्री साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं और विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में हिस्सा लेती रहती हैं. वे साहित्यिक योगदान के माध्यम से समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाने का प्रयास करती हैं.

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दार्शनिक गोपीनाथ कविराज

गोपीनाथ कविराज (1887-1976) भारतीय दार्शनिक, विद्वान, और संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान थे. वे भारतीय दर्शन, विशेषकर तंत्र शास्त्र और कश्मीर शैव दर्शन में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं.

गोपीनाथ कविराज का जन्म 7 सितंबर 1887 को बंगाल प्रेसीडेंसी के जैसोर जिले (अब बांग्लादेश में) के धामुआ गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की और बाद में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से संस्कृत में एम.ए. किया. इसके बाद उन्होंने काशी विद्यापीठ में शोध किया.

गोपीनाथ कविराज ने अपना अधिकांश जीवन काशी में बिताया, जहाँ उन्होंने कई महत्वपूर्ण शैक्षिक और शोध कार्य किए. वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत और दर्शन के प्रोफेसर बने और बाद में उन्हें काशी विद्यापीठ के प्राचार्य का पदभार भी सौंपा गया. उन्होंने ‘सारस्वत संवाद’ और ‘तंत्रिका संवादिनी’ जैसी कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया और तंत्र शास्त्र और भारतीय दर्शन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रकाशित किए.

गोपीनाथ कविराज ने भारतीय दर्शन, तंत्र शास्त्र, और कश्मीर शैव दर्शन पर कई पुस्तकें और लेख लिखे. उनके लेखन में तंत्र शास्त्र की गहन व्याख्या और विश्लेषण मिलता है. उनके तंत्र शास्त्र पर कई महत्वपूर्ण लेख और पुस्तकें हैं, जिनमें ‘तंत्र सार’ और ‘तंत्र तत्व’ प्रमुख हैं.उन्होंने कश्मीर शैव दर्शन पर भी गहन शोध किया और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

गोपीनाथ कविराज को उनके विद्वत्तापूर्ण कार्य के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए: – भारत सरकार ने उन्हें 1964 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया. उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी मान्यता प्राप्त थी और वे कई शिष्य और अनुयायी थे.

गोपीनाथ कविराज ने भारतीय दर्शन के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन किया और उन्हें आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया. उनका विचार था कि तंत्र शास्त्र और कश्मीर शैव दर्शन में छिपी ज्ञान की गहराइयों को समझकर व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है.

गोपीनाथ कविराज का जीवन और कार्य भारतीय दर्शन और तंत्र शास्त्र के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अध्याय है. उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. उनकी कृतियाँ भारतीय दर्शन के गहरे और जटिल विषयों को सरलता से समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

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पद्मिनी अपनी नृत्य प्रतिभा के लिए विशेष रूप से जानी जाती थीं वहीं , श्यामा की अभिनय शैली और उनकी फिल्मों में उनके योगदान के कारण उन्हें हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की महत्वपूर्ण अभिनेत्री माना जाता है.

While Padmini was particularly known for her dancing talent, Shyama’s acting style and her contribution to her films made her considered an important actress of the golden era of Hindi cinema.

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