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व्यक्ति विशेष

भाग – 424.

राजनीतिज्ञ शारदा मुखर्जी

शारदा मुखर्जी एक प्रतिष्ठित भारतीय राजनीतिज्ञ थीं, जिनका जन्म 24 फरवरी 1919 को राजकोट, गुजरात में हुआ था. वे आंध्र प्रदेश और गुजरात की राज्यपाल के पद पर रह चुकी हैं. उनका प्रारंभिक जीवन मुंबई में बीता, जहां उन्होंने कैथेड्रल गर्ल्स हाई स्कूल, एल्फिंस्टन कॉलेज और लॉ कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के पहले प्रमुख सुब्रतो मुखर्जी से विवाह किया​​.

शारदा मुखर्जी ने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे वर्ष 1962 और वर्ष 1967 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं. उन्होंने सांसद के रूप में राष्ट्रीय जहाजरानी बोर्ड, रक्षा मामलों की सलाहकार समिति और राष्ट्रीय लघु बचत योजना सलाहकार बोर्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें 5 मई 1977 को आंध्र प्रदेश की राज्यपाल नियुक्त किया गया था और बाद में 14 अगस्त 1978 से 8 मई 1983 तक गुजरात की राज्यपाल रहीं​​​​.

उनकी मृत्यु 2007 में मुंबई में हुई. शारदा मुखर्जी का जीवन और कैरियर भारतीय राजनीति में उनके योगदान और समाज सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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गजल गायक तलत महमूद

तलत महमूद भारतीय संगीत जगत के एक गजल गायक और पार्श्व गायक थे. उनका जन्म 24 फरवरी 1924 को लखनऊ, भारत में हुआ था. तलत महमूद को उनकी मखमली आवाज और गहरे भावपूर्ण गायन के लिए जाना जाता है, जिसने गजल गायन की शैली को नई पहचान दी.

तलत महमूद ने वर्ष 1940 के दशक में अपने गायन कैरियर की शुरुआत की और जल्द ही हिंदी सिनेमा में एक लोकप्रिय प्लेबैक सिंगर के रूप में स्थापित हो गए. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान अनेक हिट गाने गाए जिनमें ‘ऐ दिल मुझे आजीद कहीं ले चल’, ‘जलते हैं जिसके लिए’, और ‘तस्वीर बनाता हूँ’ जैसे गाने शामिल हैं. उनकी आवाज में एक खास किस्म की कोमलता और भावुकता थी, जो उनके गानों को और भी अधिक प्रभावशाली बनाती थी.

तलत महमूद ने न केवल फिल्मों में अपनी आवाज दी, बल्कि उन्होंने कई निजी एलबम भी रिलीज किए, जिनमें उन्होंने गजलें और गीत प्रस्तुत किए. उनके द्वारा गायी गई गजलें आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं और उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी आवाज संगीत प्रेमियों के दिलों में जिंदा है. तलत महमूद का देहांत 9 मई 1998 को हुआ, लेकिन उनका संगीत अब भी उनके प्रशंसकों के बीच में गूंजता रहता है.

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अभिनेत्री कामिनी कौशल

कामिनी कौशल भारतीय सिनेमा की एक अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों के साथ-साथ बंगाली और मराठी सिनेमा में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया. उनका वास्तविक नाम उमा कश्यप था, और उन्होंने वर्ष 1940 – 50 के दशक में बॉलीवुड में अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया. उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली पीढ़ी की अभिनेत्रियों में गिना जाता है, जिन्होंने अपने समय में कई यादगार भूमिकाएं निभाईं.

कामिनी कौशल का जन्म 16 जनवरी 1927 को लाहौर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा लाहौर में पूरी की. उनके पिता एक इंजीनियर थे, और उनकी माँ एक गृहिणी थीं. कामिनी कौशल ने बचपन से ही अभिनय में रुचि दिखाई. कामिनी कौशल ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 1940 के दशक में की थी.  उनकी पहली फिल्म चित्रलेखा (1948) थी, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया. उन्होंने राज कपूर के साथ कई फिल्मों में काम किया, जिनमें नीचा नगर (1946), आग (1948), और बरसात (1949) शामिल हैं. इन फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया.

कामिनी कौशल की अभिनय क्षमता और सहज अभिव्यक्ति ने उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया. उन्होंने गंभीर और संवेदनशील भूमिकाओं को बखूबी निभाया.

फिल्में: –

नीचा नगर (1946): – यह फिल्म उनके कैरियर की पहली बड़ी हिट थी. इस फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार भी मिला था.

बरसात (1949): – यह फिल्म उनके कैरियर की सबसे बड़ी हिट में से एक थी. इसमें उन्होंने गोपा की भूमिका निभाई, जो दर्शकों के दिलों में छा गई.

आग (1948): – इस फिल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया और अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया.

जोगन (1950): – इस फिल्म में उन्होंने एक गंभीर और संवेदनशील भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा.

बैजू बावरा (1952): – इस फिल्म में उन्होंने गोपी की भूमिका निभाई, जो उनके कैरियर की एक और यादगार भूमिका थी.

कामिनी कौशल ने बी.आर. भगत से शादी की, जो एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक थे. उनकी शादी के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना कम कर दिया और अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित किया. उनकी बेटी कल्पना कार्तिक भी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बनीं, जिन्होंने वर्ष 1970 -80 के दशक में कई फिल्मों में काम किया.

कामिनी कौशल को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले. उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया.  उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया.

कामिनी कौशल का निधन 9 जनवरी 2021 को हुआ था. उनकी मृत्यु ने भारतीय सिनेमा जगत को गहरा सदमा पहुंचाया. उन्हें एक प्रतिभाशाली और समर्पित अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय से एक अमिट छाप छोड़ी.उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं. उन्होंने न केवल हिंदी सिनेमा, बल्कि बंगाली और मराठी सिनेमा में भी अपने अभिनय का जलवा बिखेरा.  उनकी सादगी, समर्पण और प्रतिभा ने उन्हें भारतीय सिनेमा की एक महान अभिनेत्री बना दिया.

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अभिनेता जॉय मुखर्जी

जॉय मुखर्जी एक फिल्म अभिनेता थे, जिन्होंने वर्ष 1960 -70 के दशक में हिंदी सिनेमा में अपनी एक विशेष पहचान बनाई. वह 24 फ़रवरी, 1939 को जन्मे थे और 9 मार्च, 2012 को उनका निधन हो गया. जॉय मुखर्जी ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1960 में फिल्म “लव इन शिमला” से की थी, जिसे उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए काफी सराहा गया.

उन्हें उनकी आकर्षक उपस्थिति और रोमांटिक हीरो के रूप में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता था. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जैसे कि “फिर वही दिल लाया हूँ”, “लव इन टोक्यो”, “शगिर्द” और “एक मुसाफिर एक हसीना”. जॉय मुखर्जी के अभिनय कैरियर ने उन्हें उस समय के सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेताओं में से एक बना दिया.

उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें उनके योगदान और सिनेमा के प्रति उनकी अद्वितीय प्रतिभा के लिए याद किया जाता है. जॉय मुखर्जी न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक निर्देशक के रूप में भी काम किया, जिसमें उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन किया. उनके काम ने उन्हें एक महत्वपूर्ण और यादगार व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया, जिसकी उनके प्रशंसक आज भी सराहना करते हैं.

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पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता

जयललिता जयराम, जिन्हें आमतौर पर जयललिता के नाम से जाना जाता है, भारतीय राजनीति की एक प्रमुख हस्ती थीं. वह तमिलनाडु की छठी बार मुख्यमंत्री बनीं और अन्नाद्रमुक पार्टी (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम) की एक प्रमुख नेता थीं. उनका जन्म 24 फरवरी 1948 को हुआ था, और उनका निधन 5 दिसंबर 2016 को हुआ था.

जयललिता का कैरियर राजनीति से पहले तमिल सिनेमा में था, जहां उन्होंने एक अभिनेत्री के रूप में काफी सफलता प्राप्त की. उन्होंने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया और विभिन्न भाषाओं में अभिनय किया, जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिंदी और मलयालम शामिल हैं. उनकी फिल्मों ने उन्हें दक्षिण भारत में एक घरेलू नाम बना दिया.

राजनीति में उनका प्रवेश उनके मेंटर एम.जी.रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उनके संबंधों के माध्यम से हुआ, जो खुद एक पूर्व फिल्म स्टार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे. जयललिता ने अन्नाद्रमुक पार्टी में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं और अंततः पार्टी की प्रमुख बन गईं. उनके नेतृत्व में, पार्टी ने कई चुनावी सफलताएँ प्राप्त कीं, और वह तमिलनाडु की राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति बन गईं.

जयललिता को उनकी नीतियों और प्रशासनिक क्षमता के लिए व्यापक रूप से सराहा गया था, विशेष रूप से सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के क्षेत्र में. उन्होंने महिलाओं, बच्चों और गरीबों के लिए कई लाभकारी योजनाएँ शुरू कीं. हालांकि, उनका कैरियर विवादों से भी भरा था, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप और न्यायिक मुकदमे शामिल थे.

उनकी मृत्यु के बाद, जयललिता को तमिलनाडु और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण और विभाजनकारी आकृति के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत उनके अनुयायियों और आलोचकों दोनों के बीच जीवंत चर्चाओं का विषय बनी हुई है.

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अभिनेत्री पूजा भट्ट

पूजा भट्ट एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, फिल्म निर्माता, और फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने वर्ष 1990 के दशक में भारतीय सिनेमा में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई. वह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता महेश भट्ट और लोरेन ब्राइट की बेटी हैं और अभिनेता राहुल भट्ट की बहन और अलिया भट्ट और शाहीन भट्ट की सौतेली बहन हैं.

पूजा भट्ट ने अपने कैरियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की थी और उन्होंने “डैडी” (1989) फिल्म में अभिनय किया, जिसे उनके पिता महेश भट्ट ने निर्देशित किया था. उन्होंने इस फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए काफी प्रशंसा प्राप्त की. इसके बाद, पूजा ने “दिल है कि मानता नहीं” (1991), “सड़क” (1991), “जुनून” (1992), “तड़ीपार” (1993), और “बॉर्डर” (1997) जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया.

वर्ष 1990 के दशक के मध्य में, पूजा ने अभिनय से ब्रेक लेने का फैसला किया और फिल्म निर्माण और निर्देशन की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस, ‘पूजा भट्ट प्रोडक्शन्स’ के तहत “पाप” (2004) और “जिस्म 2” (2012) जैसी फिल्में प्रोड्यूस और डायरेक्ट कीं.

पूजा भट्ट ने अपने कैरियर में विविध भूमिकाएं निभाई हैं और उन्होंने अपने अभिनय, निर्माण, और निर्देशन के माध्यम से भारतीय सिनेमा में एक विशेष स्थान बनाया है. उनके काम ने उन्हें उद्योग में एक सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है.

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अभिनेत्री ललिता पवार

ललिता पवार भारतीय सिनेमा की एक अनुभवी और प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं, जिन्होंने लगभग 700 फिल्मों में अपने अभिनय के जौहर दिखाए. उनका जन्म 18 अप्रैल 1916 को हुआ था और उनका निधन 24 फरवरी 1998 को हुआ. ललिता पवार का कैरियर लगभग सात दशकों तक फैला हुआ था, जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया.

ललिता पवार ने अपने कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी और धीरे-धीरे मुख्य भूमिकाओं में नजर आईं. हालांकि, उन्हें विशेष रूप से उनके चरित्र भूमिकाओं और खासकर विलेन की भूमिकाओं में उनके अद्भुत अभिनय के लिए जाना जाता है. उनके अभिनय ने अक्सर उन्हें सख्त माँ, सास या फिर नेगेटिव चरित्रों के रूप में पेश किया, जिनमें उनकी अद्वितीय अभिव्यक्ति और शक्तिशाली स्क्रीन प्रेजेंस ने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया.

उनके कुछ यादगार फिल्मों में “श्री 420”, “अनाड़ी”, “मृत्युदंड”, और “सौदागर” शामिल हैं. ललिता पवार की विशेषता उनकी विविधतापूर्ण भूमिकाओं में थी, जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाया.

उनकी मृत्यु के बाद भी, ललिता पवार की फिल्मों और उनके अभिनय को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के रूप में याद किया जाता है. उनका काम नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है, और उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक के रूप में याद किया जाता है.

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अमर चित्रकथा अनंत पै

अमर चित्रकथा (ACK) भारतीय साहित्य, मिथक, इतिहास, और संस्कृति को कॉमिक बुक फॉर्मेट में पेश करने वाली एक प्रसिद्ध प्रकाशन श्रृंखला है. इसकी स्थापना वर्ष 1967 में अनंत पै द्वारा की गई थी, जो एक उद्यमी और शिक्षाविद थे. अनंत पै का उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारत के विविध इतिहास, पुराणिक कथाओं, और नायकों के बारे में शिक्षित करना था, जिन्हें वे शायद ही कभी स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ते.

अमर चित्रकथा की किताबें अपने आकर्षक चित्रण और सरल भाषा के लिए जानी जाती हैं, जो पाठकों को भारतीय विरासत से जोड़ती हैं. इन कॉमिक्स ने न केवल बच्चों बल्कि वयस्कों को भी आकर्षित किया है. अनंत पै ने इस श्रृंखला के माध्यम से सैकड़ों किताबें प्रकाशित कीं, जिसमें महाभारत, रामायण, जीवनियाँ महान व्यक्तित्वों की, और भारतीय लोककथाएँ शामिल हैं.

अनंत पै का मानना था कि बच्चों को उनकी जड़ों और संस्कृति से परिचित कराने से उनमें एक सकारात्मक आत्म-छवि विकसित होगी. उनका यह प्रयास इतना सफल रहा कि अमर चित्रकथा ने भारतीय प्रकाशन उद्योग में एक मील का पत्थर स्थापित किया. अनंत पै के नेतृत्व में, ACK ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों के बीच भी भारतीय संस्कृति की जानकारी फैलाई.

अनंत पै का निधन 24 फरवरी 2011 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत अमर चित्रकथा के माध्यम से आज भी जीवित है. उनके द्वारा स्थापित शैक्षिक और मनोरंजक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का काम जारी है, जिससे उनका सपना आज भी पूरा हो रहा है.

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अभिनेत्री श्रीदेवी

श्रीदेवी भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक थीं. उन्हें हिंदी सिनेमा की पहली महिला सुपरस्टार कहा जाता है, और उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, और कन्नड़ फिल्मों में एक सफल कैरियर बनाया. अपनी बेहतरीन अभिनय प्रतिभा, नृत्य कौशल, और करिश्माई व्यक्तित्व के कारण, श्रीदेवी को भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक आइकन के रूप में देखा जाता है.

श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु के शिवकाशी में हुआ था. उनका असली नाम श्री अम्मा यंगर अय्यपन था. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में बाल कलाकार के रूप में तमिल फिल्म “कंधन करुणाई” (1967) से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. श्रीदेवी ने वर्ष 1970 के दशक के अंत में तेलुगु, तमिल और मलयालम फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री के रूप में काम करना शुरू किया. उनकी शुरुआती फिल्मों में “16 वयथिनिले” (1977), “सिगप्पू रोजक्कल” (1978), और “मून्द्रम पिराई” (1982) प्रमुख थीं.

श्रीदेवी ने 1978 में फिल्म “सोलवा सावन” से बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन उन्हें बड़ी सफलता 1983 में फिल्म “हिम्मतवाला” से मिली, जिसमें उनके साथ जितेंद्र थे. यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई और श्रीदेवी रातोंरात सुपरस्टार बन गईं.

प्रमुख फिल्में: – “मवाली” (1983), “तोहफ़ा” (1984), “नगीना” (1986), “मिस्टर इंडिया” (1987), “चालबाज़” (1989), “लम्हे” (1991), “खुदा गवाह” (1992), और “जुदाई” (1997). फिल्म “चालबाज़” में श्रीदेवी के दोहरी भूमिका ने उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड दिलाया.

श्रीदेवी को उनकी नृत्य शैली और अनूठे अभिनय के लिए सराहा गया. उनकी फिल्म “नगीना” में उनकी नृत्य प्रस्तुति “मैं नागिन तू सपेरा” बहुत प्रसिद्ध हुई. “मिस्टर इंडिया” में उनके हाव-भाव और अभिनय ने उन्हें खास पहचान दिलाई. श्रीदेवी ने लगभग 15 साल बाद 2012 में फिल्म “इंग्लिश विंग्लिश” से बड़े पर्दे पर वापसी की. इस फिल्म में उनके शानदार प्रदर्शन की खूब तारीफ हुई. इसके बाद उन्होंने 2017 में “मॉम” में एक माँ की भूमिका निभाई, जिसे आलोचकों और दर्शकों दोनों से सराहना मिली.

24 फरवरी 2018 को दुबई में श्रीदेवी का अचानक निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. श्रीदेवी ने वर्ष 1996 में फिल्म निर्माता बोनी कपूर से शादी की थी. उनके दो बेटियां हैं: जान्हवी कपूर और ख़ुशी कपूर. जान्हवी कपूर ने भी अभिनय में कदम रखा है.

श्रीदेवी की खूबसूरती, अभिव्यक्ति, और बहुआयामी अभिनय क्षमता ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक अमूल्य रत्न बना दिया. उनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. उनके जाने के बाद भी, वे अपने प्रशंसकों के दिलों में और उनकी फिल्मों के जरिए हमेशा जीवित रहेंगी.

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