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शिखा का महत्त्व…

हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत, छोटी-से-छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं. छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं. शिखा का त्याग करना मानो अपने कल्याणका त्याग करना हैं, या यूँ कहें कि, घङी के छोटे पुर्जे की जगह बडा पुर्जा काम नहीं कर सकता क्योंकि, भले वह छोटा हैं परन्तु उसकी अपनी महत्ता है. शिखा न रखने से हम जिस लाभ से वंचित रह जाते हैं, उसकी पूर्ति अन्य किसी साधन से नहीं हो सकती. एक कथा के अनुसार, हैहय व तालजंघ वंश के राजाओं ने शक, यवन, काम्बोज पारद आदि राजाओं को साथ लेकर राजा बाहू का राज्य छीन लिया. राजा बाहु अपनी पत्नी के साथ वन में चला गया जहाँ राजा की मृत्यु हो गयी. महर्षि और्व ने उसकी गर्भवती पत्नी की रक्षा की और उसे अपने आश्रम में ले आये. वहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो आगे चलकर राजा सगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. राजासगर ने महर्षि और्व से शस्त्र और शास्त्र विद्या सीखीं. समय पाकर राजा सगर ने हैहयों को मार डाला और फिर शक, यवन, काम्बोज, पारद, आदि राजाओं को भी मारने का निश्चय किया.

ये शक, यवन आदि राजा महर्षि वसिष्ठ की शरण में चले गये. महर्षि वसिष्ठ ने उन्हें कुछ शर्तों पर उन्हें अभयदान दे दिया साथ ही सगर को आज्ञा दी कि, वे उनको न मारे. राजा सगर अपनी प्रतिज्ञा भी नहीं छोङ सकते थे और महर्षि वसिष्ठ जी की आज्ञा भी नहीं टाल सकते थे. अत: उन्होंने उन राजाओं का सिर शिखा सहित मुँडवाकर उनकों छोङ दिया. प्राचीन काल में किसी की शिखा काट देना मृत्युदण्ड के समान माना जाता था. बङे दुख की बात हैं कि आज हिन्दु लोग अपने हाथों से अपनी शिखा काट रहे है. यह गुलामी की पहचान हैं.

शिखा ‘हिन्दुत्व’ की पहचान हैं. यह आपके धर्म और संस्कृति का रक्षक हैं. शिखा के विशेष महत्व के कारण ही हिन्दुओं ने यवन शासन के दौरान अपनी शिखा की रक्षा के लिए सिर कटवा दिये पर शिखा नहीं कटवायी. डा॰ हाय्वमन कहते है ”मैने कई वर्ष भारत में रहकर भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया हैं, यहाँ के निवासी बहुत काल से चोटी रखते हैं, जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता हैं. दक्षिण भारत में तो आधे सिर पर ‘गोखुर’ के समान चोटी रखते हैं. उनकी बुध्दि की विलक्षणता देखकर मैं अत्यंत प्रभावित हुआ हुँ. अवश्य ही बौध्दिक विकास में चोटी बड़ी सहायता देती हैं. सिर पर चोटी रखना बड़ा लाभदायक माना जाता हैं.

मेरा तो हिन्दु धर्म में अगाध विश्वास हैं और मैं भी चोटी रखने का कायल हो गया हूँ. प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा॰ आई॰ ई क्लार्क एम॰ डी कहते हैं कि, ” मैंने जबसे इस विज्ञान की खोज की हैं तब से मुझे विश्वास हो गया हैं कि, हिन्दुओं का हर एक नियम विज्ञान से परिपूर्ण हैं. चोटी रखना हिन्दू धर्म ही नहीं, सुषुम्ना के केद्रों की रक्षा के लिये ऋषि-मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार हैं. इसी प्रकार पाश्चात्य विद्वान मि॰ अर्ल थामस लिखते हैं की “सुषुम्ना की रक्षा हिन्दु लोग चोटी रखकर करते हैं जबकि, अन्य देशों में लोग सिर पर लम्बे बाल रखकर या हैट पहनकर करते हैं. इन सब में चोटी रखना सबसे लाभकारी हैं. किसी भी प्रकार से सुषुम्ना की रक्षा करना जरुरी हैं. वास्तव में मानव-शरीर को प्रकृति ने इतना सबल बनाया हैं कि वह बड़े से बड़े आघात को भी सहन करके रह जाता हैं परन्तु, शरीर में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जिन पर आघात होने से मनुष्य की तत्काल मृत्यु हो सकती हैं. इन्हें ‘मर्म-स्थान’ भी कहा जाता हैं. शिखा के अधोभाग में भी मर्म-स्थान होता हैं, जिसके लिये सुश्रुताचार्य ने लिखा है कि,

मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासन्धि सन्निपातो।

रोमावर्तोऽधिपतिस्तत्रपि सद्यो मरणम्।।

अर्थात्, मस्तक के भीतर ऊपर जहाँ बालों का आवर्त (भँवर) होता हैं, वहाँ संपूर्ण नाङियों व संधियों का मेल हैं, उसे ‘अधिपतिमर्म’ कहा जाता हैं. यहाँ चोट लगने से तत्काल मृत्यु हो जाती हैं (सुश्रुत संहिता शारीरस्थानम् सुषुम्ना के मूल स्थान को ‘मस्तुलिंग’ कहते हैं. मस्तिष्क के साथ ज्ञानेन्द्रियों कान, नाक, जीभ, आँख आदि का संबंध हैं और कामेन्द्रियों – हाथ, पैर, गुदा, इन्द्रिय आदि का संबंध मस्तुलिंग से हैं मस्तिष्क व मस्तुलिंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कामेन्द्रियों की शक्ति बढती हैं. मस्तिष्क ठंडक चाहता हैं और मस्तुलिंग गर्मी मस्तिष्क को ठंडक पहुँचाने के लिये ‘क्षौर कर्म’ करवाना और मस्तुलिंग को गर्मी पहुँचाने के लिये ‘गोखुर’ के परिमाण के बाल रखना आवश्यक होता है. अत: चोटी के लम्बे बाल बाहर की अनावश्यक गर्मी या ठंडक से मस्तुलिंग की रक्षा करते हैं.

शिखा रखने के कई लाभ होते हैं जैसे- शिखा रखने तथा इसके नियमों का यथावत् पालन करने से सद्‌बुद्धि सद्‌विचारादि की प्राप्ति होती हैं साथ ही आत्मशक्ति प्रबल बनती हैं. मनुष्य धार्मिक, सात्विक व संयमी बना रहता हैं. लौकिक – पारलौकिक कार्यों में भी सफलता मिलती हैं. सभी देवी देवता भी मानव जाति की रक्षा करते हैं. ‘सुषुम्ना’ की रक्षा से मनुष्य स्वस्थ, बलिष्ठ, तेजस्वी और दीर्घायु होता हैं. नेत्र ज्योति (आँखों की रौशनी) भी सुरक्षित रहती हैं. इस प्रकार धार्मिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक सभी दृष्टियों से शिखा की महत्ता स्पष्ट होती हैं. वर्तमान समय में पश्चमी संस्कृति के चक्कर में पड़कर फैशनेबल दिखने की होड़ में शिखा नहीं रखते हैं साथ ही अपने ही हाथों से अपनी संस्कृति का त्याग भी कर डालते हैं. लोग हँसी उड़ाये, पागल कहे तो भी सब सह लो, पर धर्म का त्याग मत करो. मनुष्य मात्र का कल्याण चाहने वाली अपनी हिन्दू संस्कृति नष्ट हो रही हैं. हिन्दु स्वयं ही अपनी संस्कृति का नाश करेगा तो रक्षा कौन…?

प्रभाकर कुमार.

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Importance of crest…

The smallest principle of Hindu religion, even the smallest thing is complete and beneficial in its place. Even a small tuft i.e. braid shows its completeness and need by becoming a means of welfare and development. Sacrificing Shikha is like sacrificing one’s welfare, or rather, a big part cannot work in place of a small part of a watch because, even though it is small, it has its own importance. The benefits that we are deprived of by not having education, cannot be fulfilled by any other means. According to a legend, the kings of the Haihay and Taljung dynasties took away the kingdom of King Bahu by taking along the kings of Shaka, Yavana, Kamboj Parad, etc. King Bahu went to the forest with his wife where the king died. Maharishi Aurv protected his pregnant wife and brought her to his ashram. There she gave birth to a son, who later became famous as King Sagar. Rajasagar learned weapons and scriptures from Maharishi Ayurveda. After getting time, King Sagar killed the Haihayas and then decided to kill Shaka, Yavana, Kamboj, Parad, etc. Kings as well.

These Shakas, Yavan, etc. kings went to the shelter of Maharishi Vasishtha. Maharishi Vasishtha gave him refuge in certain conditions and also ordered Sagar not to kill him. King Sagar could not even give up his promise and could not even disobey the orders of Maharishi Vasishtha. Therefore, he shaved the heads of those kings along with the crest and left them. In ancient times, chopping off someone’s crest was considered a death sentence. It is a matter of great sadness that today Hindu people are cutting their crest with their own hands. This is the hallmark of slavery.

Shikha is the identity of ‘Hinduism’. He is the protector of your religion and culture. Because of the special importance of Shikha, Hindus got their heads cut to protect their Shikha during Yavana rule, but Shikha was not cut. Dr. Hyvaman says, “I have studied Indian culture by living in India for many years, the residents of this place have been keeping braids for a long time, the description of which is also found in the Vedas. In South India, a braid like ‘Gokhur’ is kept on half of the head. I was very impressed to see the uniqueness of his intellect. Certainly, braids give great help in intellectual development. Keeping a braid on the head is considered very beneficial.

I have deep faith in the Hindu religion and I have also become convinced of keeping the braid. Renowned scientist Dr. I. E. Clark MD says, “Ever since I discovered this science, I have come to believe that every rule of Hinduism is full of science. Keeping braids is not only Hinduism, The discovery of sages to protect the centers of Sushumna is a unique miracle. Similarly, Western scholar Mr. Earl Thomas writes that “Hindu people protect Sushumna by keeping braids, while in other countries people keep long hair on their head or Do it by wearing a hat. Keeping a braid is the most beneficial in all of these. It is necessary to protect Sushumna in any way. In fact, nature has made the human body so strong that it can bear even the biggest trauma, but there are some places in the body in which a person can die immediately due to trauma. These are also called ‘Marma-Sthan’. There is also a heart-place in the lower part of Shikha, for which Sushrutacharya has written that,

Mastkabhyantroprishtat Shirsandhi Sanipato

Romawartodhipatistrpi Sadho marnam।।

That is, inside the head, where the hair is wrinkled, there is a combination of all the veins and joints, it is called ‘Adhipatimarma’. Here injury leads to immediate death (Sushruta Samhita Sharirasthanam The origin of the Sushumna is called ‘Mastulinga’. The senses of perception ears, nose, tongue, eyes, etc. are connected with the brain, and the senses of desire – hands, feet, anus, senses, etc The more powerful the brain and the mastuling, the more powerful the senses and the libido. The brain needs cooling and the mastuling heat The brain needs ‘Kshaur Karma’ to cool the brain and the ‘Gokhur’ to cool the mastuling. Therefore, the long hair of the top protects the mastling from unnecessary heat or cold outside.

There are many benefits of keeping the crest such as keeping the crest and following its rules properly leads to the attainment of good intelligence and good thoughts as well as self-power becomes strong. A man remains religious, sattvic, and restrained. Success is also achieved in worldly and transcendental activities. All the gods and goddesses also protect the human race. Protection of ‘Sushumna’ makes a person healthy, strong, brilliant, and long-lived. Netra Jyoti (the light of the eyes) is also preserved. Thus the importance of the crest is clear from all religious, cultural, and scientific points of view. In the present day, western culture does not keep the crest in the race to look fashionable and also abandon their culture with their own hands. People laugh at you, and call you crazy, but don’t give up your religion. Our Hindu culture, which seeks the welfare of mankind, is being destroyed. If Hindus themselves will destroy their culture, who will protect them…?

Prabhakar Kumar.

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