कैसे कहूं
किससे कहूँ कैसे कहूँ
कोई सुनता यहाँ नहीं
सब अपनी धुन में हैं
कोई देखता यहाँ नहीं
मित्रों को मैं कहता हूँ
बातें कभी किया करो
प्रेम अनुराग बड़ता है
ख्याल तो रखा करो
राजनीति पेचीदा बना
न कोई पहचानता है
सब अपने स्वार्थ को
सिद्ध सिर्फ करता है
लोग झूठे सपनों को
सच यूँ मान लेते हैं
उनके मायाजालों में
भौचक्के रह जाते हैं
विकास शहर तक है
गाँव उपेक्षित रह गए
जल,जंगल,जमीन तो
अनाथ सब बन गए
सब देश एक दूसरे को
पाठ पढ़ना चाहते हैं
कार्बन उत्सर्जन लेकर
विभेद में पड़ जाते हैं
युद्ध विनाश लाता है
कितने ही मर जाते हैं
अपनी हठधर्मिता से ही
सबको कष्ट पहुंचाते हैं
विवाद को हम छोड़ दें
कर्तव्यपथ पर हम चलें
आपस में हो प्रेम सबका
साथ मिलकर हम रहें…
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How to say
to whom to tell how to tell
no one listens here
everyone is on their way
no one sees here
I tell my friends
do things ever
love grows
take care
politics complicated
no one recognizes
all to their own interests
proven only does
people false dreams
accept the truth
in their illusions
are taken aback
development is up to the city
the villages remained neglected
water, forest, land
all became orphans
all countries to each other
want to read text
carbon emissions
fall into conflict
war brings destruction
how many die
by your stubbornness
hurt everyone
let’s leave the dispute
let’s go on duty
Everyone should love each other
Together we live…
Prabhakar Kumar.