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मुंगेर की इतिहस ?…….

मुंगेर, जो बिहार राज्य के गंगा नदी के किनारे स्थित है, का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक विस्तारित है। यह क्षेत्र अपने समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर, और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है।

प्राचीन काल:

मुंगेर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, मुंगेर को महाभारत के पात्रों में से एक अंगदेश का हिस्सा कहा जाता है। इसे पौराणिक कथाओं में “मुदगल्य” या “मोंगिर” के नाम से भी जाना जाता था।

गुप्त और पाल वंश:

गुप्त काल के दौरान मुंगेर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था। इसके बाद पाल वंश के शासनकाल में मुंगेर का और भी विकास हुआ। पाल वंश के दौरान मुंगेर बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया, और इस समय यहां कई मठों और विहारों का निर्माण किया गया।

मुस्लिम शासनकाल:

12वीं शताब्दी के बाद मुंगेर पर मुस्लिम शासकों का नियंत्रण हो गया। इस समय के दौरान मुंगेर का महत्व एक सैन्य केंद्र के रूप में बढ़ गया। मुंगेर का किला, जिसे मुंगेर किला के नाम से जाना जाता है, इस काल का एक प्रमुख स्मारक है। यह किला मुंगेर की सामरिक स्थिति को मजबूत करने के लिए बनाया गया था और आज भी यह मुंगेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है।

मुगल काल:

मुगल काल में मुंगेर का महत्व और भी बढ़ गया। मुगल सम्राट अकबर के समय में, मुंगेर एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी और प्रशासनिक केंद्र था। मुगलों ने यहां कई निर्माण कार्य किए, जिनमें मुंगेर का किला प्रमुख है। किला मुंगेर का प्रमुख आकर्षण है और इसका निर्माण कार्य अकबर के शासनकाल में हुआ था।

मराठा और ब्रिटिश काल:

18वीं शताब्दी में मुंगेर मराठों के अधीन आ गया और इसके बाद ब्रिटिश शासनकाल में मुंगेर का उपयोग एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे के रूप में किया गया। ब्रिटिश काल में मुंगेर का विकास तेजी से हुआ और इसे बिहार का एक प्रमुख नगर बना दिया गया।

आधुनिक काल:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी मुंगेर का महत्वपूर्ण स्थान रहा। यहां कई स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। आज के समय में मुंगेर अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, मुंगेर योग शिक्षा के लिए भी प्रसिद्ध है, खासकर “बिहार स्कूल ऑफ योग” के कारण।

मुंगेर का इतिहास प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक धार्मिक, सांस्कृतिक, और सैन्य महत्व से भरा हुआ है। यह नगर बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक है।

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