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हनुमान जयंती…

| हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट् ||

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चैत शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन हनुमान का जन्म हुआ था. वहीं महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण के अनुसार, हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था. हनुमानजी के जन्म के संबंध में एक बड़ी रोचक कहानी है आइए जानते हैं….

समुद्र मंथन के पश्चात भगवान शिव जी ने भगवान विष्णु के मोहनी रूप देखने की इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि, हे प्रभु आपने जो देवताओं और असुरों को जिस मोहनी रूप का दर्शन करवाया था वही रूप मुझे भी दिखाइए. तब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप को धरा. उनका वो आकर्षक रूप देखकर भगवान शिव कामातुर हो गए और अपना उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया. उसी समय वायुदेव ने भगवान शिव के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया. फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान का जन्म हुआ. हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार भी माना जाता है. जबकि दूसरी कहानी इस प्रकार है…

हनुमानजी माता अंजनी के गर्भ से पैदा हुए और उन्हें बहुत तेज भूख लग गई थी. तब उन्होंने सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़ पड़े, उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया था लेकिन, हनुमान जी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया. इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है.

बताते चलें कि, माता सीता ने हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया. ऐसी मान्यता है कि, यह दिन दीपावली का दिन था. इसलिए दीपावली के दिन को भी हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है.

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी कलयुग में जीवित देवता है और ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक और भक्ति भाव से हनुमान जी की उपासना करता है उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. वालव्यास सुमनजी महाराज बताते है कि, हनुमानजी पूजा-आराधना करने के कुछ नियम व कानून है जिनका पालन अवश्य करना चाहिए.

सर्वप्रथम चैत पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नित्य क्रिया कर्म से निवृत होकर स्नान करें. उसके बाद हनुमानजी को मन ही मन में ध्यान करते हुए दाहिने हाथ में गंगा जल लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर पूर्व दिशा में हनुमानजी मूर्ति या चित्र स्थापित करें. एक साफ़ चौकी पर लाल कपडा बिछाएं और उस पर हनुमानजी मूर्ति या चित्र स्थापित करे. उसके बाद हनुमानजी के आगे दिया या धुप जलाएं और लाल रंग के फूल चढाएं (गुलाब का फूल सर्वोत्तम माना जाता है). इसके बाद उन्हें लड्डू और तुलसी दल अर्पित करें. उसके बाद हनुमान जी के सामने मन्त्रों का जप करें. जप करने के उपरान्त शांत मन से रामचरितमानस, हनुमान चलीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड या बजरंग बाहू का पाठ करना चाहिए. इस अवधि में पूर्ण ब्रह्मचर्य रहना चाहिए और एक समय फलाहार करना चाहिए.

ध्यान दें: –

  • हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को सिंदूर अवश्य चढाना चाहिए. ज्ञात है कि, सिंदूर को असीम ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.
  • सिंदूर से जीवन में सकारात्मकता आती है.
  • विशेष मनोकामना हेतु हनुमान मंदिर में चोला, पान और सिंदूर अवश्य चढाना चाहिए.
  • तुलसी के 108 पत्तो पर लाल चन्दन से ‘जय श्री राम’ लिखाकर हनुमान जी को चढाने से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है.

भारत के कई हिस्सों में हनुमान जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, और विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका बहुत महत्व है. इस दिन शोभा यात्राएं और भजन संध्याएं भी आयोजित की जाती हैं, जिसमें भक्त भगवान हनुमान की आराधना करते हैं.

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Hanuman Jayanti…

 

| Han Hanumate Rudraatmakaayan Hun Phat| | |

According to mythological texts, Hanuman was born on the full moon day of Chait Shukla Paksha. According to the Ramayana written by Maharishi Valmiki, Hanumanji was born on Tuesday, on Chaturdashi of Krishna Paksha of Kartik month, in Swati Nakshatra and Aries ascendant. There is a very interesting story regarding the birth of Hanumanji, let us know….

After the churning of the ocean, Lord Shiva expressed his desire to see the charming form of Lord Vishnu and said, O Lord, please show me the same charming form which you had shown to the gods and demons. Then Lord Vishnu assumed the form of Mohini. Seeing her attractive appearance, Lord Shiva became lustful and ejaculated his semen. At the same time, Vayudev inserted Lord Shiva’s seed into the womb of Anjana, wife of monkey king Kesari. As a result, Hanuman was born in the monkey form from the womb of Mother Anjana. Hanuman is also considered to be the 11th Rudra incarnation of Lord Shiva. While the second story is as follows…

Hanumanji was born from the womb of Mother Anjani and he was very hungry. Then they considered the Sun to be a fruit and ran to eat it. On the same day, Rahu also came to eat the Sun, but after seeing Hanuman ji, the Sun considered him to be another Rahu. Since this day is the full moon day of Chaitra month, this date is celebrated as Hanuman Jayanti.

Let us tell you that, seeing Hanuman ji’s devotion and dedication, Mother Sita blessed him with immortality. It is believed that this day was Diwali. Therefore, the day of Diwali is also celebrated as Hanuman Jayanti.

According to mythological texts, Hanuman ji is a living deity in Kalyug and it is believed that the devotee who worships Hanuman ji with devotion and devotion, his every wish is definitely fulfilled. Val vyas suman ji Maharaj tells that there are some rules and regulations for worshiping Hanumanji which must be followed.

First of all, wake up in the morning on the day of Chait Purnima, finish your daily rituals and take a bath. After that Hanumanji should take a vow of fasting by meditating in his mind, holding Ganga water in his right hand. After this, wear clean clothes and install Hanumanji idol or picture in the east direction. Spread a red cloth on a clean platform and install Hanumanji’s idol or picture on it. After that, light a lamp or incense in front of Hanumanji and offer red flowers (rose flower is considered the best). After this, offer them laddus and Tulsi Dal. after that chant mantras in front of Hanuman ji. After chanting, one should recite Ramcharitmanas, Hanuman Chalisa, Bajrang Baan, Sundar Kand or Bajrang Bahu with a calm mind. During this period one should remain completely celibate and eat fruits only once.

Pay attention: –

  • On the day of Hanuman Jayanti, vermillion must be offered to Hanuman ji. It is known that vermillion is considered a symbol of limitless energy.
  • Sindoor brings positivity in life.
  • Chola, pan and vermilion must be offered in Hanuman temple for special wishes.
  • By writing ‘Jai Shri Ram’ with red sandalwood on 108 Tulsi leaves and offering them to Hanuman ji, all the wishes are fulfilled.

Hanuman Jayanti is celebrated with great pomp in many parts of India, and it has great significance especially in states like Uttar Pradesh, Bihar, and Maharashtra. Shobha-yatras and Bhajan evenings are also organized on this day, in which devotees worship Lord Hanuman.

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