
गरीबी व भुखमरी के गर्भ से निकली है बाल मजदूरी: प्रो. गौरी शंकर
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर “राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में बाधक” विषय पर केकेएम कॉलेज के एग्जाम हॉल सह परिसंवाद हॉल में विचार गोष्ठी आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की.
अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि बाल श्रम वह स्थिति है, जब 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे आजीविका कमाने के लिए मजदूरी करते हैं. बाल श्रम बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, मानसिक विकास और बचपन के अधिकारों का हनन है. भारत में बीमारू प्रदेश बाल श्रम की समस्या से ज्यादा ही पीड़ित है. बाल श्रम की दशा में सुधार लाजिमी है. बाल श्रम की उत्पत्ति गरीबी और भुखमरी के गर्भ से ही होती है. बाल श्रम राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में बाधक है. शिक्षा और कौशल विकास में निवेश की कमी बाल श्रम को जन्म देती है. बाजार में बाल श्रम सस्ती मजदूरी को बढ़ावा देती है. आईएलओ के एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल विश्व में 16 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं, जिनमें से भारत में एक करोड़ से अधिक बच्चे विभिन्न खतरनाक उद्योगों में काम करते हैं. बाल श्रम का सबसे वीभत्स रूप बच्चों का देह व्यापार और बलात बंधुआ बाल मजदूरी है. इसलिए आज जरूरत है बाल श्रम निषेध दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि किसी भी बच्चे को मजबूरी करते नहीं देखेंगे. यदि देखेंगे तो उसे रोकने और जागरूक करने का प्रयत्न भी करेंगे.
प्रो. पासवान ने बाल श्रम पर कहा कि “काम नहीं कलम दो हर बच्चे को ज्ञान दो, बचपन मत छीनो सपनों को जीने दो. मतलब बच्चों के हाथों में औजार नहीं, कलम और किताबें होनी चाहिए. बाल श्रम से बचपन छीन जाता है लेकिन शिक्षा उन्हें आत्मनिर्भर बनती है. जब हर बच्चा शिक्षित होगा, तब राष्ट्र समरस और विकसित होगा. बाल श्रम का उद्देश्य जन जागरूकता बढ़ाना, बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है.’ बाल श्रम हटाओ, भारत को विकसित बनाओ.’ ‘बचपन बचाओ, भविष्य बनाओ’ स्लोगन को वास्तविक रूप में जीवन में उतारकर जमीन पर साकार करना होगा.
राजनीतिक विज्ञान के पींजी हेड डॉ मनोज कुमार ने कहा कि, बाल श्रम निषेध वर्तमान समय की मांग है. हर बच्चा अनमोल है, उसे मजदूरी” नहीं प्यार की दरकार है. हमें बाल श्रम मुक्त भारत का सपना देखने और उसे सकार करने में भागीदार बनना चाहिए. क्योंकि बाल श्रम समाधान नहीं, बल्कि समस्या की जड़ है. इस जड़ को समूल नष्ट करने की आवश्यकता है.
राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि बाल श्रम एक अपराध है, जो बच्चों के अधिकार, शिक्षा और बचपन को छीन लेता है. बाल श्रम संविधान के प्रावधान का उल्लंघन है. एक बच्चा मजदूर नहीं, देश का भविष्य है. अगर उसे शिक्षा, पोषण और प्यार मिले तो वही बच्चा कल का वैज्ञानिक इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस तथा राजनेता बन सकता है. अतः बाल श्रम निषेध आज की आवश्यकता है.
अर्थविद प्रो. सरदार राय ने कहा कि बच्चे राष्ट्र के भावी कर्णधार और भविष्य हैं. ये पूर्ण रूपेण शिक्षा, स्वास्थ्य और पौष्टिक भोजन के हकदार हैं. उनका बचपन पढ़ने लिखने और खेलने कूदने से नहीं रोका जाना चाहिए. बिहार में गरीब 1.07 मिलियन बाल श्रमिक हैं, तो यूपी में सबसे ज्यादा 1.93 मिलियन बाल श्रमिक हैं. बाल श्रम को समाप्त किए बिना वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र नहीं बनाया जा सकता.
इस मौके पर प्रो. अजीत कुमार भारती तथा रौशन कुमार, अमन सिंह चंदेल, श्रवण कुमार सिंह, रिशु कुमारी, पूजा कुमारी, मुस्कान, पूनम कुमारी कोमल कुमारी, मुस्कान पांडे, अनुप्रिया कन्हैया कुमार, नीतीश कुमार आदि छात्र-छात्राओं ने संकल्प लिया कि हम बच्चों को शिक्षा, पोषण और अधिकार दिलाने हेतु प्रायः सजग रहेंगे. यदि मजदूरी करते बच्चे को देखेंगे तो उसे रोकने, जागरूक तथा शिक्षित करने का हर संभव प्रयास करेंगे. क्योंकि बाल श्रम एक कलंक है. बाल श्रम मुक्त बिहार व भारत हमारा लक्ष्य तथा सपना है.
प्रभाकर कुमार (जमुई).