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व्यक्ति विशेष

भाग – 198.

अभिनेत्री बीना राय

बीना राय भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपने अभिनय कैरियर के दौरान कई यादगार फिल्में कीं. उनका  जन्म 13 जुलाई 1931 को लाहौर में हुआ था. उनका असली नाम कृष्णा सारिन था. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही अभिनय में रुचि लेना शुरू कर दिया था.

प्रमुख फिल्में: –

काली घटा (1951): – इस फिल्म से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की.

अनारकली (1953): – यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई और उन्हें इस फिल्म में उनके अद्वितीय अभिनय के लिए बहुत सराहा गया.

ताजमहल (1963): – इस फिल्म में उन्होंने मुमताज महल का किरदार निभाया, जो आज भी याद किया जाता है.

घूंघट (1960): – इस फिल्म में उनके प्रदर्शन ने उन्हें फिल्म-फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार दिलवाया.

बीना राय ने अभिनेता प्रेमनाथ से विवाह किया था. उनके दो बेटे हैं, जिनमें से एक प्रेम किशन भी अभिनेता थे. बीना राय को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले. उन्हें  “घूंघट” के लिए उन्होंने फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता.

बीना राय का निधन 6 दिसंबर 2009 को हुआ. उनका योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किया जाएगा.

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राजनीतिज्ञ भीष्म नारायण सिंह

भीष्म नारायण सिंह एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जीवन और कैरियर विभिन्न महत्वपूर्ण पदों और जिम्मेदारियों से भरा हुआ था.

भीष्म नारायण सिंह का जन्म 13 जुलाई 1933 को हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से पूरी की, जहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. भीष्म नारायण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया.

बिहार के राज्यपाल (1989-1993): भीष्म नारायण सिंह ने बिहार के राज्यपाल के रूप में सेवा की. इस दौरान उन्होंने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और राज्य की प्रगति के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं. उन्होंने वर्ष 1991-93 तमिलनाडु के  बिहार के राज्यपाल के साथ-साथ, उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने दोनों राज्यों में एक साथ सेवा करने वाले पहले राज्यपालों में से एक थे.

उन्होंने असम, मेघालय, और सिक्किम के राज्यपाल के रूप में भी सेवा की. इन राज्यों में उन्होंने शांति और विकास के लिए कई प्रयास किए. अपने राजनीतिक कैरियर के दौरान, उन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में भी सेवा की और विभिन्न विभागों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं. भीष्म नारायण सिंह का निधन 1 अगस्त 2020 को हुआ था. उनके योगदान को भारतीय राजनीति और समाज में हमेशा याद किया जाएगा.

भीष्म नारायण सिंह की राजनीतिक दूरदर्शिता और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया.

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फिल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश मेहरा

प्रकाश मेहरा एक भारतीय फिल्म निर्माता और निर्देशक थे, जिन्हें बॉलीवुड में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने मुख्य रूप से 1970 –  80 के दशक में अपने काम के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की.

प्रकाश मेहरा का जन्म 13 जुलाई 1939 को बिजनौर, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. उनका फिल्म निर्माण और निर्देशन के प्रति रुझान उन्हें मुंबई (तत्कालीन बंबई) ले आया, जहाँ उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की. प्रकाश मेहरा ने अपने कैरियर की शुरुआत 1968 में फिल्म “हसीना मान जाएगी” से की, लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 1973 में फिल्म “जंजीर” से मिली. इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को एक सुपरस्टार बना दिया और ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में उनकी छवि स्थापित की.

प्रमुख फिल्में:  –

जंजीर (1973): – अमिताभ बच्चन और जया भादुरी अभिनीत, यह फिल्म एक बहुत बड़ी हिट थी और इसने बॉलीवुड में एक नए युग की शुरुआत की.

खून पसीना (1977): – अमिताभ बच्चन और रेखा अभिनीत, यह फिल्म भी एक बड़ी सफलता साबित हुई.

लावारिस (1981): – अमिताभ बच्चन और जीनत अमान अभिनीत, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की और इसके गाने भी बेहद लोकप्रिय हुए.

नमक हलाल (1982): – अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, स्मिता पाटिल, और परवीन बाबी अभिनीत, यह फिल्म एक कॉमेडी ड्रामा थी और बहुत बड़ी हिट साबित हुई.

शराबी (1984): – अमिताभ बच्चन और जयाप्रदा अभिनीत, इस फिल्म ने भी बहुत सफलता प्राप्त की और इसके गाने आज भी लोकप्रिय हैं.

प्रकाश मेहरा को उनके उत्कृष्ट निर्देशन और फिल्म निर्माण के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से भारतीय सिनेमा में एक नया मापदंड स्थापित किया. प्रकाश मेहरा का निधन 17 मई 2009 को हुआ. उनके निधन से बॉलीवुड ने एक महान निर्देशक और निर्माता को खो दिया.

प्रकाश मेहरा की फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.

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उपन्यासकार सुनीता जैन

सुनीता जैन एक प्रतिष्ठित भारतीय उपन्यासकार, कवयित्री, और अनुवादक हैं. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अपने साहित्यिक योगदान से ख्याति अर्जित की है. सुनीता जैन का लेखन जीवन, मानवीय संबंधों और समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से चित्रित करता है.

सुनीता जैन का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने ‘स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क’ से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया. इसके बाद उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ नेब्रास्का’ से पीएचडी.  की उपाधि प्राप्त की.

सुनीता जैन ने अपने कैरियर की शुरुआत एक कवयित्री के रूप में की और बाद में उपन्यास लेखन और अनुवाद में भी अपना योगदान दिया. उनके साहित्यिक कार्यों में विभिन्न प्रकार के विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दे, और मानव मनोविज्ञान शामिल हैं.

प्रमुख कृतियाँ: –

कहानी संग्रह: – सुनीता जैन ने कई कहानियाँ लिखी हैं जो उनकी गहन समझ और समाज की सूक्ष्म दृष्टि को प्रदर्शित करती हैं.

उपन्यास: – उनके उपन्यास समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं और पाठकों को गहरे चिंतन में डाल देते हैं.

कविताएँ: – उन्होंने कई काव्य संग्रह लिखे हैं जो उनकी साहित्यिक प्रतिभा का प्रमाण हैं.

अनुवाद: – सुनीता जैन ने कई महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों का अनुवाद भी किया है, जिससे विभिन्न भाषाओं के साहित्य को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाया जा सके.

सुनीता जैन को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उनके कार्यों ने न केवल साहित्यिक जगत में बल्कि आम जनता के बीच भी महत्वपूर्ण स्थान बनाया है.

सुनीता जैन का लेखन शैली सरल, सजीव, और प्रभावशाली है. उनके कार्यों में भाषा की सुंदरता और विचारों की गहराई स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. उन्होंने समाज में व्याप्त समस्याओं और मानव संबंधों की जटिलताओं को अपनी लेखनी के माध्यम से उजागर किया है.

सुनीता जैन वर्तमान में लेखन के साथ-साथ विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. उनकी साहित्यिक यात्रा और योगदान ने उन्हें भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है.

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अभिनेत्री उर्वशी शर्मा

उर्वशी शर्मा, जिन्हें अब रैना जोशी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेत्री और मॉडल हैं. उन्होंने बॉलीवुड में अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की और अपनी अदाकारी और खूबसूरती से दर्शकों का दिल जीता.

उर्वशी शर्मा का जन्म 13 जुलाई 1984 को दिल्ली, भारत में हुआ था. उन्होंने अपने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत की और जल्दी ही फैशन और विज्ञापन उद्योग में अपनी पहचान बना ली.

उर्वशी ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और कई बड़े ब्रांड्स के लिए विज्ञापन किए. उनके आकर्षक लुक्स और व्यक्तित्व ने उन्हें फैशन इंडस्ट्री में एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया.

उर्वशी शर्मा ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत 2007 में फिल्म “नकाब” से की, जिसे अनीस बज़्मी ने निर्देशित किया था. इस फिल्म में उनके अभिनय को समीक्षकों ने सराहा और उन्होंने फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए नामांकन भी प्राप्त किया.

प्रमुख फिल्में: –

नकाब (2007): – बॉबी देओल और अक्षय खन्ना के साथ इस फिल्म में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई.

खट्टा मीठा (2010): – इस फिल्म में उन्होंने अक्षय कुमार के साथ काम किया.

चक्रधार (2012): – इसमें उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उर्वशी शर्मा ने टेलीविजन पर भी काम किया और विभिन्न शो में अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन किया. उर्वशी  ने 2012 में अभिनेता और व्यवसायी सचिन जोशी से विवाह किया और शादी के बाद उन्होंने अपना नाम रैना जोशी रख लिया. उनके दो बच्चे हैं.

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उपन्यासकार आशापूर्णा देवी

आशापूर्णा देवी एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका थीं, जिन्हें बंगाली साहित्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने लेखन में समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से महिलाओं के मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया.

आशापूर्णा देवी का जन्म 8 जनवरी 1909 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था. उनका पूरा नाम आशापूर्णा देवी गुप्ता था. उन्होंने औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी, लेकिन घर पर ही पढ़ाई की और साहित्य में गहरी रुचि विकसित की.

आशापूर्णा देवी ने अपने साहित्यिक कैरियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की थी. उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया और बाद में उपन्यास, लघुकथाएँ, और बच्चों की कहानियाँ भी लिखीं. उनकी रचनाओं में महिलाओं की समस्याओं, सामाजिक असमानता, और पारिवारिक संबंधों का चित्रण प्रमुखता से किया गया है.

प्रमुख कृतियाँ: –

प्रथम प्रतिश्रुति: – यह उपन्यास उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है. इस उपन्यास में उन्होंने नारी जीवन की कठिनाइयों और उनकी संघर्षशीलता का सजीव चित्रण किया है.

सुवर्णलता: – यह उपन्यास भी उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल है और इसमें भी महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया गया है.

बकुल कथा: – यह उपन्यास एक महिला की जीवन यात्रा को दर्शाता है और उनके संघर्षों और उपलब्धियों को बताता है.

आशापूर्णा देवी ने लगभग 250 लघुकथाएँ और 50 से अधिक उपन्यास लिखे. उनकी रचनाएँ समाज के विभिन्न वर्गों और पहलुओं को उजागर करती हैं.

आशापूर्णा देवी को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए: –

साहित्य अकादमी पुरस्कार: – वर्ष 1976 में उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: – वर्ष 1976 में उन्हें भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया.

पद्म श्री: – वर्ष 1976 में भारत सरकार ने उन्हें इस नागरिक सम्मान से सम्मानित किया.

आशापूर्णा देवी का विवाह एक पारंपरिक बंगाली परिवार में हुआ था और उन्होंने अपने लेखन के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेदारियाँ भी बखूबी निभाईं. आशापूर्णा देवी का निधन 13 जुलाई 1995 को हुआ. उनकी साहित्यिक धरोहर आज भी जीवंत है और उनकी रचनाएँ पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं.

आशापूर्णा देवी का जीवन और साहित्यिक योगदान भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उनके कार्यों ने न केवल बंगाली साहित्य को समृद्ध किया बल्कि भारतीय साहित्य को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई.

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क्रिकेटर यशपाल शर्मा

यशपाल शर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर थे, जिन्होंने 1980 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला. वे अपने साहसी और आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे और उन्होंने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए.

यशपाल शर्मा का जन्म 11 अगस्त 1954 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा लुधियाना में ही प्राप्त की और क्रिकेट के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था.

यशपाल ने घरेलू क्रिकेट में पंजाब के लिए खेला और अपनी शानदार बल्लेबाजी के चलते राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर में आए. यशपाल ने 1978 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया और 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ ही टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया.

प्रमुख अंश: –

वर्ष 1983 क्रिकेट विश्व कप: – यशपाल शर्मा का प्रदर्शन 1983 के विश्व कप में बेहद महत्वपूर्ण था. उन्होंने टूर्नामेंट में कई महत्वपूर्ण पारियाँ खेलीं, जिनमें वेस्ट इंडीज के खिलाफ 89 रन की शानदार पारी शामिल है. उनकी इस पारी ने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचाया और अंततः भारत ने विश्व कप जीता.

टेस्ट कैरियर: – यशपाल शर्मा ने 37 टेस्ट मैचों में 1606 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 9 अर्धशतक शामिल हैं. उनका उच्चतम स्कोर 140 रन था.

वनडे कैरियर: – उन्होंने 42 वनडे मैचों में 883 रन बनाए, जिसमें 4 अर्धशतक शामिल हैं.

यशपाल ने रणजी ट्रॉफी में पंजाब और हरियाणा के लिए भी खेला और अपने घरेलू कैरियर में शानदार प्रदर्शन किया. यशपाल शर्मा का विवाह रेनु शर्मा से हुआ और उनके दो बच्चे हैं. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, वे भारतीय क्रिकेट के चयनकर्ता भी रहे और उन्होंने युवा खिलाड़ियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

यशपाल शर्मा का निधन 13 जुलाई 2021 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ. उनके निधन से भारतीय क्रिकेट ने एक महान खिलाड़ी और मार्गदर्शक खो दिया. यशपाल शर्मा का कैरियर और योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा. उनकी 1983 विश्व कप में निभाई गई भूमिका और उनके साहसी खेल ने उन्हें क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में अमर बना दिया है.

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