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व्यक्ति विशेष

भाग - 23.

रतनजी टाटा

रतनजी टाटा एक भारतीय उद्योगपति और व्यवसायी हैं, जिन्होंने टाटा समूह को एक महत्वपूर्ण उद्योग संगठन में बदल दिया है. उन्होंने भारतीय उद्योगों को विश्वस्तरीय मानकों पर ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रतन टाटा का जन्म 20 जनवरी 1871 को हुआ था, और उन्होंने टाटा परिवार के सदस्य के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. उन्होंने अपनी पढ़ाई के बाद मास्टर्स इन ऑर्चिटेक्चर की डिग्री प्राप्त की और फिर व्यापार में कैरियर बनाया. रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में कई वर्षों तक सेवा की, और उन्होंने कई विभागों में व्यवसाय के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उन्होंने अफ्रीका, यूरोप, और अमेरिका में टाटा समूह की गति को तेजी से बढ़ाया और विभिन्न उद्योगों में नवाचार और उन्नति का समर्थन किया.

रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग और सेवाओं में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया, जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा टेली सर्विसेस, और बहुत से अन्य क्षेत्रों में. रतन टाटा का योगदान व्यापार, उद्योग, और सामाजिक क्षेत्र में विश्वभर में मान्यता प्राप्त है, और उन्हें भारतीय उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के रूप में जाना जाता है.

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राजनीतिज्ञ के. सी. अब्राहम

 के.सी. अब्राहम (K.C. Abraham) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे. वे केरल राज्य के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और विधायक भी रहे हैं.

के.सी. अब्राहम का जन्म 20  जनवरी 1899  को हुआ था. उन्होंने केरल के राजनीतिक स्तर पर अपनी कैरियर की शुरुआत की और केरल समाज के लिए कई महत्वपूर्ण समाजसेवा कार्यों में भी भाग लिया. अब्राहम का नाम विशेष रूप से आपूर्ति और प्रविधि मंत्रालय के एक सदस्य के रूप में प्रसिद्ध है, जो भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कैबिनेट में कार्यरत थे. उन्होंने कैबिनेट सचिव के रूप में भी काम किया और विभिन्न कृषि और उपभोक्ता मुद्दों पर उनकी सलाह दी.

के.सी. अब्राहम का नाम उनके समाज सेवा कार्यों के लिए भी जाना जाता है, और उन्होंने उन विधायकों के लिए भी काम किया जो केरल के विकास और सामाजिक न्याय के मामले में सक्रिय रहे. उनका निधन 1988 में हुआ, लेकिन उनकी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा का योगदान आज भी याद किया जाता है.

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साहित्यकार स्वयं प्रकाश

स्वयं प्रकाश एक भारतीय साहित्यकार और कवि थे, जिन्होंने अपनी कला और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया था. उनका जन्म 20 जनवरी 1947 को हुआ था और उनका निधन 4 दिसम्बर 1981 को हुआ.

स्वयं प्रकाश का जीवन और साहित्यकार्य कुछ रूपों में अद्वितीय था. उन्होंने अपने जीवन के दौरान हिन्दी और उर्दू कविता, कहानी, और निबंधों का रचनात्मक कार्य किया और उनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य के अनुपम हिस्से में शामिल हैं. स्वयं प्रकाश का रचनात्मक कार्य मुख्य रूप से उर्दू साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध है, और उन्होंने कविता, ग़ज़ल, और नज़्म के माध्यम से अपने भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त किया। उनके कविताओं में धार्मिक और आध्यात्मिक तत्व भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे.

स्वयं प्रकाश की कुछ प्रमुख कृतियाँ उनकी कविता संग्रह “संजीवनी” और “आत्मिका” हैं, जो उनके साहित्य कला को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करती हैं. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से साहित्य की दुनिया में अपनी मान्यता प्राप्त की और भारतीय साहित्यकारों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया.

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स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान

स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान जिन्हें बाद में “बाचा ख़ान” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण संघर्षक थे और अपने नेतृत्व में पश्चिमी भारत के पठान क्षेत्र के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जुटने के लिए प्रोत्साहित किया.

अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का जन्म 1890 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था. उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर असहमति सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया और अपने सजीव असहमति के लिए जाने जाते थे. अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का सबसे प्रमुख योगदान यह था कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान “खुदाइ खिदमतगार” (सर्वोधयक सेवक) संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण सेवाओं की प्रोत्साहन करना और असहमति सत्याग्रह के लिए लोगों को तैयार करना था. उन्होंने अपने संगठन के सदस्यों को अमरान्थ यात्रा और दांडी मार्च जैसे महत्वपूर्ण स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने के लिए मोबाइलाइज किया.

अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को “सरदार-ए-ख़दीम” (सेनानी का नेता) के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें गांधीजी के सबसे निष्कलंक सहयोगी में से एक माना जाता है. उन्होंने अपने जीवन में असहमति और अंधविश्वास के खिलाफ खड़े होकर महत्वपूर्ण योगदान किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 20 जनवरी 1988 में अपने जीवन की आखिरी सांस ली.

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अभिनेत्री परवीन बॉबी

परवीन बॉबी एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी. परवीन बॉबी ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘चरित्र, से की थी. परवीन बॉबी को 1970 के दशक के शीर्ष नायकों के साथ ग्लैमरस भूमिकाएं निभाने के लिए याद किया जाता है.परवीन बॉबी को भारत की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में एक माना जाता है.

परवीन बॉबी का जन्म 04 अप्रैल 1954 को  जूनागढ़, गुजरात के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता वली मोहम्मद बाबी, जूनागढ़ के नवाब के साथ प्रशासक थे. उन्होने 1970 और 1980 की ब्लोकबस्टर फिल्मों मे भी काम किया है, जैसे दीवार, नमक हलाल, अमर अकबर एन्थोनी और शान.  उन्हें क़रीब 10 फ़िल्मों में कला के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया था जिनमें मुख्य फ़िल्में हैं : – मजबूर, दीवार, अमर अकबर एंथनी, सुहाग, कालिया, मेरी आवाज़ सुनो, नमक हलाल, अशांति, खुद्दार, रंग बिरंगी आदि शामिल हैं.

परवीन बॉबी का निधन  20 जनवरी, 2005 को मुम्बई में हुआ था. बॉबी ने बॉलीवुड में अपने कैरियर के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और वह आज भी अपने अद्वितीय करियर के लिए याद की जाती हैं.

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