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व्यक्ति विशेष

भाग - 09.

गीतकार भरत व्यास

जिन्होंने विभिन्न भाषाओं में गाने लिखे हैं, वे एक लोकप्रिय हिंदी गीतकार भी हैं। उनका पूरा नाम भरत व्यास है, और वे भारतीय संगीत इंडस्ट्री में अपनी साहित्यिक योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए कई गाने लिखे हैं और उनके शब्द और भावनाएं लोगों को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने में मदद करती हैं।

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मराठी नाटककार विजय तेंडुलकर

मराठी नाटककार विजय तेंडुलकर भारतीय नाटक और सिनेमा के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने विविध विषयों पर आधारित कई सफल नाटक लिखे हैं और नाटक रंगमंच पर प्रदर्शित होते हैं।

विजय तेंडुलकर का जन्म 6 जनवरी 1943 को हुआ था। उन्होंने विशेष रूप से सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर आधारित नाटक लिखने के लिए अपनी पहचान बनाई है। उनके लिखे गए कुछ प्रमुख नाटकों में “श्रीरामपुर कॉमेडी”, “चेष्टा” और “खांडोबाच्या लौटर्यात खूप लाभ आहे” शामिल हैं।

विजय तेंडुलकर ने मराठी नाटकों के साथ-साथ हिंदी और इंग्लिश भाषा में भी लेखन किया है और उनका योगदान भारतीय साहित्य और नृत्य कला में महत्वपूर्ण माना जाता है।

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क्रिकेटर कपिलदेव

कपिलदेव ने भारतीय क्रिकेट को नए ऊचाईयों पर ले जाने वाले एक प्रमुख क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में अपनी अद्भुत प्रदर्शन के लिए एक प्रमुख स्थान हासिल किया है। उनका जन्म 6 जनवरी 1959 को हुआ था और उन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नए दिशा देने में अपना योगदान दिया है।

कपिलदेव का असली नाम कपिल देव निखंट शर्मा है, लेकिन उन्हें कपिलदेव के नाम से ही अधिकता से जाना जाता है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को उस समय की सामंजस्यपूर्ण घटनाओं में से एक में मार्गदर्शन किया जब भारत 1983 में विश्व कप क्रिकेट जीतने में सफल हुआ।

कपिलदेव एक ऑल-राउंडर खिलाड़ी थे, जिन्होंने बैटिंग और गेंदबाजी दोनों में उच्च स्तर का प्रदर्शन किया। उनकी आलराउंड क्षमताओं का सीधा परिचय 1983 में विश्व कप में हुआ जब उन्होंने भारत को उस टूर्नामेंट की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फाइनल मैच में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 175 रनों की शानदार पारी खेली और उनकी गेंदबाजी ने भी महत्वपूर्ण विकेटें लीं।

कपिलदेव को 175* रन की इस पारी के लिए आज भी याद किया जाता है, जो उनकी बेहद उत्कृष्ट बैटिंग का प्रतीक है। इसके बाद, उन्होंने भारत के कप्तान के रूप में अपने नेतृत्व में टीम को और भी उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का कार्य किया।

कपिलदेव को 1994 में पद्म भूषण और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर के बाद भी कई बड़े पदों पर कार्य किया है और आज भी वे क्रिकेट संबंधित कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

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संगीतकार ए आर रहमान

ए. आर. रहमान एक प्रमुख भारतीय संगीतकार, संगीत निर्देशक, गीतकार और संगीत प्रयोगशास्त्री हैं। उनका जन्म 6 जनवरी 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ था। उनका असली नाम एस. दिलीप कुमार है, लेकिन उन्हें ए. आर. रहमान के नाम से अधिक जाना जाता है।

ए. आर. रहमान ने अपनी कैरियर की शुरुआत बॉलीवुड के संगीत के क्षेत्र में की और तेजी से मशहूर हो गए। उनका पहला बॉलीवुड फिल्मों में संगीत देने का मौका “रोजा” (1992) से मिला, जिसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की श्रृंगार समिति पुरस्कार प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने कई और बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत दिया, जिनमें “ताल”, “दिल से”, “लगान”, “रंग दे बसंती”, “जब तक है जान”, “गजनी”, “रॉकस्टार”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”, “स्वदेस”, “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा”, “बजरंगी भाईजान”, और “दिल धड़कने दो” शामिल हैं।

ए. आर. रहमान को उनके संगीत से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जैसे कि ऑस्कर पुरस्कार, ग्रैमी पुरस्कार, बैफ्टा, और गोल्डन ग्लोब पुरस्कार। उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया है।

ए. आर. रहमान ने संगीत के क्षेत्र में अपनी अनूठी और नवाचारी प्रवृत्ति के लिए बहुत से उपाधियों को हासिल किया है, और उनका संगीत अद्वितीय और प्रेरणादायक है।

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संगीतकार जयदेव

संगीतकार जयदेव भारतीय संगीत के एक महत्वपूर्ण स्थान पर हैं, और वे खासकर हिन्दी संगीत में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। वे 12वीं शताब्दी के केंद्रीय भाग बिहार के चंद्रपुर (वर्तमान बांग्लादेश का स्थान) में हुए थे।

जयदेव का सबसे प्रमुख कृति “गीत गोविन्द” है, जो एक प्रमुख काव्य है जो श्रीकृष्ण की भक्ति को आदर्शित करता है। इस कृति को लिखा गया है और इसे संगीतीकृति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जयदेव का यह कृति आधुनिक भारतीय संगीत में एक महत्वपूर्ण स्थान पर है और इसे आज भी बड़े आदर से गाया जाता है।

जयदेव को भारतीय संगीत के कई अन्य पहलुओं में भी महत्वपूर्ण माना जाता है और उनका योगदान सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

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अभिनेता ओम पुरी

ओम पुरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रमुख अभिनेता थे जो अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 को हुआ था और उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत ब्रिटिश टीवी शो “तमाशा” (Tamas) से की थी जो 1988 में प्रस्तुत हुआ था।

ओम पुरी ने बॉलीवुड, हॉलीवुड, और भारतीय और विदेशी रंगमंच पर अपना अभिनय कौशल दिखाया।

कुछ उनकी प्रमुख फिल्में इस प्रकार हैं: –अर्ध्य सत्य’, ‘जाने भी दो यारों’ , ‘चमेली की शादी’ , ‘ओमदार’ , ‘गॉड तुसी ग्रेट हो’ और ‘भूतनाथ’।

ओम पुरी ने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते और उन्हें भारत सरकार ने 1990 में पद्म श्री से, और 2004 में भारतीय सिनेमा के लिए उनके योगदान के लिए दी गई संविदान के 50 वें वर्ष के अवसर पर दी गई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ओम पुरी का निधन 6 जनवरी 2017 को हुआ था, जो एक बड़ी हानि है और भारतीय सिनेमा को एक अद्वितीय अभिनेता की कमी का अहसास कराता है।

 

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