हिचकी आई है आई है हिचकी आई है…
दिक्कतों के ढेर में बहुत बड़ी दिक्कत यह है कि हम कभी सच को सच नहीं मानते हमेशा अफ़वाह को सच मानते है |अब न जाने किसने अफ़वाह फैला दिया कि जब कोई याद करता है तब हिचकी आती है और हमने मान लिया |हमारे को चिकित्सा शास्त्र पर भरोसा नहीं हम चकित शास्त्र के अनुसार जीते है | जब कोई याद करता है तब भले हिचकी न आये लेकिन जब हिचकी आती है तब यह ज़रूर कहा जाता है कोई याद कर रहा है |जब हिचकी आती है तब वहां ऐसा एक शख्स मौजूद रहता है जो रहस्यमयी मुस्कान के साथ पूछता है क्या बात है बहुत हिचकी आ रही है कौन याद कर रहा है ।हिचकी का यह तर्क शास्त्र आदमी को मनोवैज्ञानिक युद्ध में झोंक देता है | अगर किसी के याद करने से ही हिचकी आती है तो यह ज़रूरी तो नहीं कि हर बार प्रेम करने वाला ही याद करे नफ़रत करने वाले भी तो याद कर सकते है , साहूकार भी याद कर सकता है , मकान मालिक भी याद कर सकता है | जिसे हिचकी आती है वह याद करने लगता है कि उसे कौन याद कर रहा होगा | अपनी ख्वाहिश के मुताबिक़ आदमी याद करने वालों की लिस्ट बना लेता है यह बड़ी मज़ेदार लिस्ट होती है हकीकत में यह उन लोगो की सूची होती है जो इसे कभी याद नहीं करते |हिचकी का समय और मात्रा तय नहीं होती है | यह तो भड़कीले बयान की तरह होती है न जाने कब आ जाये और बिजली बिल की तरह होती है न जाने किस महीने कितना आये | हिचकी हिचकती नहीं है वह तो दंगाइयों की तरह धड़धडाते हुए आती है अंतर बस स्थान का है एक का स्थान गली और एक का स्थान गला|वैज्ञानिक भय्या कुछ ऐसा अविष्कार करिये न कि हिचकी की आवाज़ में उस शख्स का नाम भी सुनाई दे जो याद कर रहा है क्योकि होता क्या है कि याद कोई और कर रहा होता है और हम समझ किसी और को रहे होते है | इससे सियासत की तरह सही का मूल्यांकन नहीं होता और गैरवाजिब को भाव मिलता है |पहली हिचकी में ही ध्यान उसकी तरफ़ जाता है जिसे भूलने में ज़माने लगे थे इस कारण कभी हिचकी सिसकी भी बन जाती है | कोई बूढा शख्स अगर “हमको अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है।गुनगुनाते हुए रंगे हाथ पकड़ा जाये तो समझ जाना सुबह से उसे हिचकी आ रही होगी | कुछ तो इतने उतावले होते है कि निवेदन ही कर देते है कभी हमें भी तो हिचकने का अवसर प्रदान कीजिये एक डरपोक प्रेमी से वर्षो बाद उसकी न हो सकी प्रेमिका ने कहा तब न हिचकते तो आज तुम भी हिचकते | यह कितनी सुखद बात है कि प्रेम हिचकी के रूप में लौट आता है |हिचकी परिवार में कलह की वजह भी बन सकती है लेकिन समझदार पत्नियां इसे कुशलता पूर्वक टाल देती है |पड़ोसन बस्ती जलाने वालों की तरह गृहस्थी जलाने की पूरी सामग्री से लैस होकर आती है और कहती है बहन तेरे आदमी को इतनी हिचकी आती है तू पता क्यों नहीं करती कि कौन कलमूही उन्हें याद कर रही है ? मेरे आदमी को हिचकी आये ये मैं बर्दाश्त कर ही नहीं सकती | समझदार पत्नी कहती है बहन कोई इन्हें याद करे तो इसमें इनका क्या दोष ये तो किसी को याद नहीं कर रहे है न।मेरा तो तरीका यह है कि आदमी को इतना काम बताओ कि उसे बस काम याद रहे किसी को याद करने जैसे काम के लिये उसे वक्त ही न मिले | बहन एक बात और कि घर में किच किच करने वाले से तो हिच हिच करने वाले आदमी लाख गुना बेहतर है याद उन्हें किया जाता है जो बिछड़ गये है खो गये है | अगर सही में हिचकी की वजह किसी को याद करना है तो सब से ज़्यादा हिचकी पंच , सरपंच , विधायक , मेयर और मंत्रियों को आती क्योकि यही मतदाताओं से बिछड़ गये हैं इन्हें हो वोटर ने खो दिया है |हालांकि हिचकी से वैश्विक स्मरण व्यवस्था तय नहीं होती फिर भी हिचकी से याद का पाकीज़ा रिश्ता है | कुछ मायूस तो यह भी ख्वाहिश रखते है कि भले कोई याद न करे पर हिचकी तो आये | हिचकी से आशिकों की रेटिंग तय होती है | ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज के न दिये गये बयान के अनुसार विगत पांच वर्षो में हिचकी में तेज़ी दर्ज की गई है जबकि इश्क के परिणाम ने निराश किया है |इंसान को इंसान याद करे तब हिचकी आती है यह तो दावा नहीं कर सकता लेकिन जब अल्लाह याद करता है तब एक हिचकी आती है और जीवन का खेल खत्म हो जाता है |
प्रभाकर कुमार.