
व्यक्ति विशेष -628.
बौद्ध भिक्षु अनागारिक धर्मपाल
अनागारिक धर्मपाल एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु, समाज सुधारक, और बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान के अग्रणी थे. उनका जन्म 17 सितंबर, 1864 ई. को श्रीलंका में हुआ था, और उन्होंने जीवनभर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किया. वे विशेष रूप से भारत में बौद्ध धर्म की पुनर्स्थापना और विकास के लिए प्रसिद्ध हैं.
धर्मपाल का असली नाम डेविड हेवविटारने था, लेकिन बाद में वे “अनागारिक” बने, जिसका अर्थ है “गृहहीन” या “संन्यासी”. उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर बौद्ध धर्म का पालन किया और इसे विश्वभर में फैलाने का कार्य किया. उन्होंने भारत में महाबोधि मंदिर (बोधगया) की पुनर्स्थापना के लिए भी आंदोलन चलाया, जो बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है.
धर्मपाल ने बौद्ध धर्म और इसकी शिक्षाओं को प्रचारित करने के लिए महाबोधि सोसायटी की स्थापना की. वे अहिंसा, सत्य और करुणा जैसे बौद्ध मूल्यों के प्रवर्तक थे, और उन्होंने पश्चिमी दुनिया में भी बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
उनका जीवन बौद्ध धर्म के प्रति निष्ठा और समाज सेवा के लिए समर्पित था. धर्मपाल को श्रीलंका और भारत में बौद्ध पुनर्जागरण के अग्रदूतों में से एक माना जाता है.अनागारिक धर्मपाल का निधन 29 अप्रैल, 1933 को हुआ था.
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कलाकार गगनेंद्रनाथ टैगोर
गगनेंद्रनाथ टैगोर एक प्रमुख भारतीय कलाकार थे, जो अपने अभिनव और विशिष्ट कला शैली के लिए जाने जाते हैं. वे विश्वविख्यात कवि रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे थे और बंगाल पुनर्जागरण के महत्वपूर्ण हिस्से थे. गगनेंद्रनाथ टैगोर का जन्म 17 सितम्बर सन 1867 को ब्रिटिशकालीन भारत में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में जोरासांको (टैगोर आवास) के ठाकुर परिवार में हुआ था.
गगनेंद्रनाथ ने पश्चिमी कला शैलियों का प्रभाव तो लिया, लेकिन उन्होंने इसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में ढालने का प्रयास किया. उनकी कला में मुख्य रूप से भारतीय और यूरोपीय शैलियों का संयोजन दिखाई देता है. वह भारतीय आधुनिक चित्रकला के प्रारंभिक पथप्रदर्शकों में से एक माने जाते हैं और उन्हें बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट का महत्वपूर्ण सदस्य भी माना जाता है.
उनकी शुरुआती कृतियों में भारतीय धार्मिक और पौराणिक विषय थे, लेकिन बाद में वे घनवाद (Cubism) और कार्टून कला की ओर आकर्षित हुए. उन्होंने भारतीय जीवन की सजीव व्याख्या करते हुए हास्य और व्यंग्य से भरे कार्टून भी बनाए. उनका कार्टून संग्रह “रंगकला” उस समय काफी प्रसिद्ध हुआ था.
गगनेंद्रनाथ टैगोर का काम भारतीय कला के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा और उन्होंने भारतीय चित्रकला में आधुनिकता के आगमन को एक नई दिशा दी.गगनेंद्रनाथ टैगोर का निधन 1938 में हुआ था.
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स्वतंत्रता सेनानी वामनराव बलिराम लाखे
वामनराव बलिराम लाखे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सेनानी थे. वे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से आते थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लाखे का योगदान विशेष रूप से विदर्भ और मध्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण माना जाता है. वामनराव बलिराम लाखे का जन्म 17 सितम्बर, 1872 को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ था.
उन्होंने अपनी शिक्षा नागपुर में पूरी की और वहीं से राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित हुए. वामनराव लाखे का संबंध महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन से था, और वे इन आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे. लाखे ने क्षेत्र में ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों को संगठित करने और जन-जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
स्वतंत्रता संग्राम के अलावा, वामनराव लाखे एक सामाजिक सुधारक भी थे. उन्होंने सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों व वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया. उनके नेतृत्व ने विदर्भ क्षेत्र में राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन दिलाने में मदद की.
वामनराव बलिराम लाखे का निधन 21 अगस्त, 1948 को हुआ था. आज भी लाखे को विदर्भ और महाराष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने साहस और निष्ठा से भारत की आज़ादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार
हनुमान प्रसाद पोद्दार एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारतीय सामाजिक और धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 1892 में राजस्थान के रतनगढ़ में हुआ था और उनका लालन-पोषण उनकी दादी ने किया था. उनकी धार्मिक संस्कारों ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला, और उन्होंने बचपन से ही गीता, रामायण, वेद, उपनिषद और पुराणों की कहानियां पढ़ीं.
हनुमान प्रसाद पोद्दार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया. उन्होंने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और खादी व स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने के लिए काम किया. उन्होंने कई बार जेल यात्रा की और जेल में रहते हुए भी उन्होंने अपने धार्मिक और राष्ट्रीय आदर्शों को नहीं छोड़ा.
हनुमान प्रसाद पोद्दार का निधन 22 मार्च 1971 को हुआ था. उन्होंने गीता प्रेस की स्थापना की, जो धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए जानी जाती है. इस प्रेस के माध्यम से उन्होंने भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान के प्रसार में अमूल्य योगदान दिया. उनका जीवन और कार्य आज भी कई लोगों को प्रेरणा देता है.
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चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन
मक़बूल फ़िदा हुसैन, जिन्हें एम. एफ. हुसैन के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद भारतीय चित्रकारों में से एक थे. हुसैन को “भारत के पिकासो” के रूप में भी जाना जाता है और उन्होंने भारतीय कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. उनका काम भारतीय समाज, संस्कृति, मिथकों, और धार्मिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ था, और उनकी कला ने पारंपरिक भारतीय चित्रकला और आधुनिकता का अद्वितीय संयोजन पेश किया.
मक़बूल फ़िदा हुसैन का जन्म 17 सितम्बर 1915 को हुआ था. हुसैन की कला शैली बेहद विशिष्ट थी, जिसमें उन्होंने बोल्ड रंगों, सरल आकृतियों और जोरदार ब्रश स्ट्रोक्स का इस्तेमाल किया. उनके चित्रों में मुख्य रूप से भारतीय पौराणिक कथाओं, इतिहास और संस्कृति के तत्व दिखाई देते हैं.
हुसैन ने कई प्रसिद्ध चित्र बनाए, जिनमें महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों से प्रेरित चित्र शामिल हैं. उन्होंने भारत की विविधता, ग्रामीण जीवन, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रतीकों को भी अपनी कला में उतारा.
हुसैन अक्सर अपनी कला के कारण विवादों में रहे, खासकर हिंदू देवताओं के नग्न चित्रण के कारण। कुछ लोगों ने इसे अपमानजनक माना, जिससे उनके खिलाफ विरोध और कानूनी मामले भी हुए. अंततः हुसैन को वर्ष 2006 में भारत छोड़कर निर्वासन में रहना पड़ा, और उन्हें वर्ष 2010 में कतर की नागरिकता मिली.
हुसैन सिर्फ एक चित्रकार ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने फिल्में भी बनाईं. उनकी फिल्म “थ्रू द आइज़ ऑफ़ ए पेंटर” (1967) को बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में गोल्डन बियर पुरस्कार मिला था. हुसैन को भारत सरकार द्वारा कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें वर्ष 1955 में पद्मश्री, वर्ष 1973 में पद्मभूषण, और वर्ष 1991 में पद्मविभूषण शामिल हैं.
मक़बूल फ़िदा हुसैन का निधन 9 जून 2011 को लंदन (इंग्लैंड) में हुआ था. हुसैन ने अपनी अनोखी शैली और साहसिक दृष्टिकोण से भारतीय कला को एक नई दिशा दी, और उन्हें आधुनिक भारतीय चित्रकला के सबसे बड़े नामों में गिना जाता है.
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अमर चित्रकथा के संस्थापक अनंत पई
अमर चित्रकथा (ACK) भारतीय साहित्य, मिथक, इतिहास, और संस्कृति को कॉमिक बुक फॉर्मेट में पेश करने वाली एक प्रसिद्ध प्रकाशन श्रृंखला है. इसकी स्थापना वर्ष 1967 में अनंत पै द्वारा की गई थी, जो एक उद्यमी और शिक्षाविद थे. अनंत पै का उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारत के विविध इतिहास, पुराणिक कथाओं, और नायकों के बारे में शिक्षित करना था, जिन्हें वे शायद ही कभी स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ते. अनंत पै का जन्म 17 सितंबर, 1929 को कर्नाटक के कार्कल शहर में हुआ था.
अमर चित्रकथा की किताबें अपने आकर्षक चित्रण और सरल भाषा के लिए जानी जाती हैं, जो पाठकों को भारतीय विरासत से जोड़ती हैं. इन कॉमिक्स ने न केवल बच्चों बल्कि वयस्कों को भी आकर्षित किया है. अनंत पै ने इस श्रृंखला के माध्यम से सैकड़ों किताबें प्रकाशित कीं, जिसमें महाभारत, रामायण, जीवनियाँ महान व्यक्तित्वों की, और भारतीय लोककथाएँ शामिल हैं.
अनंत पै का मानना था कि बच्चों को उनकी जड़ों और संस्कृति से परिचित कराने से उनमें एक सकारात्मक आत्म-छवि विकसित होगी. उनका यह प्रयास इतना सफल रहा कि अमर चित्रकथा ने भारतीय प्रकाशन उद्योग में एक मील का पत्थर स्थापित किया. अनंत पै के नेतृत्व में, ACK ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों के बीच भी भारतीय संस्कृति की जानकारी फैलाई.
अनंत पै का निधन 24 फरवरी 2011 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत अमर चित्रकथा के माध्यम से आज भी जीवित है. उनके द्वारा स्थापित शैक्षिक और मनोरंजक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का काम जारी है, जिससे उनका सपना आज भी पूरा हो रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
नरेन्द्र मोदी भारत के 14वें और वर्तमान प्रधानमंत्री हैं. वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व सदस्य हैं. मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी और इसके बाद 2019 में पुनः भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटे.
नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था. वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं, और उनके बचपन में उनके पिता चाय बेचते थे. मोदी ने प्रारंभिक शिक्षा वडनगर में प्राप्त की. वे आरएसएस से जुड़े और अपने शुरुआती दिनों में ही संगठन के प्रचारक बन गए. उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ ही संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई और राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.
गुजरात के मुख्यमंत्री (2001–2014): – मोदी ने 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला और 2014 तक इस पद पर बने रहे. उनके नेतृत्व में गुजरात में विकास को लेकर कई प्रयास किए गए. खासकर औद्योगिक विकास के लिए उनके कार्यों की सराहना की जाती है. हालांकि, 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनकी सरकार की भूमिका को लेकर विवाद रहा, लेकिन अदालतों ने बाद में उन्हें इन आरोपों से मुक्त कर दिया.
प्रधानमंत्री (2014–वर्तमान): – वर्ष 2014 के आम चुनाव में, मोदी ने भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ा और अभूतपूर्व जीत हासिल की. उनके नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया.
वर्ष 2019 के आम चुनाव में, मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने और भी अधिक सीटों के साथ विजय प्राप्त की, जिससे उनकी लोकप्रियता का प्रमाण मिला.
प्रमुख नीतियाँ और कार्यक्रम: –
स्वच्छ भारत अभियान: – देश को स्वच्छ बनाने और स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान वर्ष 2014 में शुरू किया गया.
मेक इन इंडिया: – भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए यह योजना शुरू की गई.
आयुष्मान भारत: – दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना, जिसके तहत गरीबों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है.
जन धन योजना: – गरीबों के लिए बैंक खाते खोलने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई.
डिजिटल इंडिया: – भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए.
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर): – मोदी सरकार ने 2017 में देश भर में एक समान कर प्रणाली लागू की.
अनुच्छेद 370 का हटाया जाना: – वर्ष 2019 में, उनकी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाया.
तीन तलाक: – मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया गया.
कृषि कानून: – वर्ष 2020 में कृषि सुधार के लिए कानून पारित किए गए, हालांकि बाद में किसान आंदोलनों के बाद इन्हें वापस ले लिया गया.
मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत किया. वे कई वैश्विक मंचों पर सक्रिय रहे और भारत की वैश्विक छवि को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. अमेरिका, जापान, रूस, और खाड़ी देशों के साथ उनके नेतृत्व में संबंध मजबूत हुए हैं.
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, जैसे नोटबंदी और जीएसटी, की सराहना और आलोचना दोनों हुई हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान उनके नेतृत्व में भारत ने वैक्सीनेशन और महामारी नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए, लेकिन दूसरी लहर के दौरान गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ा. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी को लेकर भी देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए.
नरेन्द्र मोदी अपने व्यक्तित्व, विकासोन्मुखी दृष्टिकोण और निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. उनके समर्थक उन्हें एक निर्णायक नेता मानते हैं, जबकि उनके आलोचक कुछ नीतियों और निर्णयों को लेकर आलोचना करते हैं.
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स्पिनर रविचंद्रन अश्विन
रविचंद्रन अश्विन भारतीय क्रिकेट टीम के एक प्रमुख स्पिन गेंदबाज हैं और भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे सफल स्पिनरों में से एक माने जाते हैं. अश्विन ने अपनी विविधता और रणनीतिक गेंदबाजी से भारत और विश्व क्रिकेट में एक अलग पहचान बनाई है.
रविचंद्रन अश्विन का जन्म 17 सितंबर 1986 को एक तमिल परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पब्लिक स्कूल से की और बाद में एसएसएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. उनके पिता भी एक क्लब स्तर के क्रिकेटर थे, और इस खेल के प्रति उनकी रुचि वहीं से विकसित हुई.
अश्विन ने तमिलनाडु की ओर से घरेलू क्रिकेट खेला और अपने शुरुआती दिनों में ही अपनी ऑफ-स्पिन गेंदबाजी से ध्यान आकर्षित किया. आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) में अश्विन ने चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए खेलते हुए अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवाया. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में CSK के लिए खेलते हुए अश्विन ने कई अहम मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन किया.
आईपीएल में अश्विन के योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद की. बाद में उन्होंने किंग्स इलेवन पंजाब, दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमों के लिए भी खेला. अश्विन ने 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे में डेब्यू किया और जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख स्पिन गेंदबाज बन गए. उन्होंने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और अपने पहले ही मैच में 9 विकेट लेकर सनसनी मचा दी.
अश्विन को टेस्ट क्रिकेट में उनकी शानदार ऑफ-स्पिन और विविधता के लिए जाना जाता है. वे न सिर्फ विकेट लेते हैं, बल्कि किफायती गेंदबाजी भी करते हैं. अश्विन की गेंदबाजी में उनकी प्रमुख ताकत उनकी ऑफ-ब्रेक, कैरीम बॉल, और स्ट्रेटर गेंद होती है, जिनका उपयोग वे चतुराई से करते हैं.
अश्विन टेस्ट क्रिकेट में 500 से अधिक विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाजों में से एक हैं और वे अनिल कुंबले के बाद भारत के सबसे सफल स्पिनर माने जाते हैं. वे टेस्ट मैचों में कई बार “मैन ऑफ द मैच” और “मैन ऑफ द सीरीज” पुरस्कार जीत चुके हैं, खासकर घरेलू पिचों पर उनके प्रदर्शन को अद्वितीय माना जाता है.
अश्विन ने वनडे और टी20 क्रिकेट में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है. वर्ष 2011 के विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रह चुके अश्विन ने भारत के लिए कई निर्णायक मैचों में योगदान दिया. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में वे सीमित ओवरों के प्रारूप से कम खेले हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी निरंतरता बनी हुई है.
अश्विन न केवल एक कुशल गेंदबाज हैं, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी उल्लेखनीय है. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 5 से अधिक शतक लगाए हैं और भारतीय टीम के लिए एक उपयोगी ऑलराउंडर के रूप में जाने जाते हैं.
उपलब्धियाँ और रिकॉर्ड: –
ICC टेस्ट गेंदबाज रैंकिंग में कई बार नंबर 1 स्थान हासिल किया.
500 टेस्ट विकेट लेने वाले सबसे तेज भारतीय गेंदबाजों में से एक हैं.
वर्ष 2016 में उन्हें आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर और आईसीसी टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
टेस्ट क्रिकेट में मैन ऑफ द सीरीज का खिताब जीतने वाले सबसे सफल भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं.
अश्विन को उनकी खेल रणनीति और मानसिकता के लिए जाना जाता है. वे हमेशा नई तकनीकों और विविधताओं पर काम करते रहते हैं, जिससे उनकी गेंदबाजी हमेशा अप्रत्याशित रहती है. उनकी बौद्धिक क्षमता और खेल की समझ ने उन्हें विश्व क्रिकेट में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है.
रविचंद्रन अश्विन भारतीय क्रिकेट के सबसे शानदार खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी स्पिन गेंदबाजी से न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है. उनका योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में लंबे समय तक याद किया जाएगा.
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अभिनेत्री प्रिया आनंद
प्रिया आनंद एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से तमिल, तेलुगु, हिंदी, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में काम करती हैं. उनका जन्म 17 सितंबर 1986 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था. प्रिया ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत वर्ष 2009 में तमिल फिल्म “वामनन” से की थी और उसके बाद से उन्होंने कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया.
प्रिया आनंद का जन्म चेन्नई में हुआ, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई यूएसए में की. वे संचार और पत्रकारिता में स्नातक हैं. शुरू में उन्होंने फिल्मों में काम करने के बारे में नहीं सोचा था, बल्कि विज्ञापन जगत में रुचि रखती थीं. बाद में उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा, जिससे उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई.
प्रमुख फिल्में: –
वामनन” (2009) से उनकी तमिल फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत हुई.
उन्होंने सूर्या के साथ फिल्म “सिंघम 2″ (2013) में काम किया.
अरिमा नांबी” (2014) और “कन्नी रासी” (2020) जैसी तमिल फिल्मों में भी वे नजर आईं.
प्रिया आनंद ने तेलुगु फिल्मों में भी सफलता पाई. उनकी पहली तेलुगु फिल्म “लीडर” (2010) थी, जो सफल रही.
” रामा रामा कृष्णा कृष्णा ” (2010) और “कोवाली” जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता दिखाई.
प्रिया ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया. उन्होंने 2012 में रिलीज़ हुई फिल्म “इंग्लिश विंग्लिश” में श्रीदेवी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने उन्हें हिंदी दर्शकों के बीच लोकप्रियता दिलाई. इसके अलावा उन्होंने “फुकरे” (2013) में भी अहम किरदार निभाया, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
प्रिया आनंद को विभिन्न भाषाओं में काम करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं और पशु अधिकारों के लिए भी आवाज उठाती हैं. प्रिया की बहुभाषीय क्षमताएं और विविधतापूर्ण भूमिकाएं उन्हें एक बहुमुखी अभिनेत्री बनाती हैं.
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कवि हसरत जयपुरी
कवि हसरत जयपुरी जिनका वास्तविक नाम इकबाल हुसैन था. वो भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और शायर थे. उनका जन्म 15 अप्रैल 1914 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था. हसरत जयपुरी ने हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी गीतकारी से एक विशेष पहचान बनाई और उन्होंने कई सदाबहार गीत लिखे जो आज भी लोकप्रिय हैं.
हसरत जयपुरी का सिनेमाई कैरियर वर्ष 1940 के दशक के अंत में शुरू हुआ जब उन्होंने राज कपूर के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. उन्होंने राज कपूर की फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गीत लिखे, जिसमें “बरसात में हमसे मिले तुम” और “मेरा जूता है जापानी” जैसे गीत शामिल हैं. उनके गीतों में गहरी भावनाएं और शायराना अंदाज देखने को मिलता है.
हसरत जयपुरी की शायरी में भी उनकी गहरी भावनात्मक गहराई और रूमानियत झलकती है. उन्होंने न केवल फिल्मों के लिए बल्कि निजी मुशायरों और कवि सम्मेलनों में भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। हसरत जयपुरी की रचनाओं में आम आदमी की भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता थी, जिसने उन्हें व्यापक जनमानस में लोकप्रिय बनाया.
हसरत जयपुरी का निधन 17 सितंबर 1999 को हुआ, लेकिन उनके गीत और शायरी आज भी हिंदी संगीत और शायरी के प्रेमियों के बीच में बेहद प्रिय हैं.