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युग की सीख…

सह-अस्तित्व का सबक

एक घने जंगल में, सदियों से जानवरों की अलग-अलग प्रजातियाँ अपने-अपने इलाकों में शांति से रहती थीं. शेर अपनी ताकत के लिए जाने जाते थे, हाथी अपनी विशालता के लिए, और लोमड़ी अपनी चालाकी के लिए. लेकिन जब जंगल के किनारे इंसानी बस्तियाँ बढ़ने लगीं, तो जानवरों के इलाकों में अतिक्रमण होने लगा.

शुरू में, जानवरों ने इंसानों का विरोध किया, लेकिन उनकी संख्या और तकनीक के सामने उनकी पारंपरिक ताकतें कम पड़ने लगीं. जंगल सिकुड़ने लगा और जानवरों के बीच भोजन और आश्रय के लिए संघर्ष बढ़ने लगा.

एक बूढ़े और समझदार हाथी ने सभी जानवरों की एक सभा बुलाई. उसने कहा कि अब लड़ने का समय नहीं है, बल्कि इंसानों के साथ सह-अस्तित्व सीखने का समय है. कुछ जानवरों ने इसका विरोध किया, लेकिन हाथी ने समझाया कि अगर वे मिलकर प्रयास करें, तो वे इंसानों को जंगल के महत्व और जानवरों की ज़रूरतों के बारे में समझा सकते हैं.

धीरे-धीरे, जानवरों ने मिलकर काम करना शुरू किया. उन्होंने इंसानों के साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश की, उन्हें जंगल के नियमों और संतुलन के बारे में बताया. कुछ समझदार इंसानों ने उनकी बात सुनी और जंगल को बचाने के प्रयासों में उनका साथ दिया.

इस अनुभव ने जानवरों को एक महत्वपूर्ण सीख दी – यह युग केवल अपनी ताकत दिखाने का नहीं, बल्कि मिलकर रहने और एक-दूसरे का सम्मान करने का है. सह-अस्तित्व ही आने वाले समय में सभी के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकता है.

आज का युग सह-अस्तित्व का युग है. मनुष्य को प्रकृति और अन्य जीवों के साथ सामंजस्य बनाकर रहना सीखना होगा, तभी यह ग्रह सभी के लिए रहने योग्य बना रहेगा.

शेष भाग अगले अंक में…,

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