
लक्ष्मी के साये के चले जाने के बाद, गाँव में एक बदलाव आया. उस वीरान जगह पर अब एक छोटा सा, सुंदर स्मृति स्थल था, जहाँ लोग फूल चढ़ाने और प्रार्थना करने आते थे. लक्ष्मी की कहानी अब गाँव के इतिहास का हिस्सा बन गई थी, एक सबक कि अन्याय कभी भी भुलाया नहीं जाना चाहिए.
अमन, जो कभी एक डरपोक लड़का था, अब बदल गया था. लक्ष्मी के रहस्य को सुलझाने की उसकी यात्रा ने उसे आत्मविश्वास और साहस दिया था. उसने महसूस किया कि एक अकेला व्यक्ति भी सच्चाई के लिए लड़ सकता है और बदलाव ला सकता है.
उस घटना के बाद, अमन ने इतिहास में और रुचि लेना शुरू कर दिया. वह पुरानी कहानियाँ पढ़ता, बुजुर्गों से उनके अनुभव सुनता, और अपने गाँव और उसके आसपास की भूली हुई कहानियों को जानने की कोशिश करता.
एक दिन, अमन को गाँव के पास एक पुरानी बावड़ी मिली, जो पूरी तरह से सूख चुकी थी और झाड़ियों से घिरी हुई थी. गाँव के लोगों को उसके बारे में याद भी नहीं था. अमन को लगा कि इस बावड़ी का भी कोई इतिहास होगा. उसने कुछ और लड़कों को इकट्ठा किया और उन्होंने मिलकर उस बावड़ी को साफ करना शुरू कर दिया.
कई दिनों की मेहनत के बाद, बावड़ी फिर से दिखने लगी. जब उन्होंने उसकी दीवारों को साफ किया, तो उन्हें कुछ पुराने शिलालेख मिले. अमन ने एक शिक्षक की मदद से उन शिलालेखों को पढ़ा. उनमें उस बावड़ी के निर्माण और उसके महत्व के बारे में लिखा था. यह बावड़ी कभी गाँव के लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत थी, लेकिन समय के साथ यह उपेक्षित हो गई थी.
अमन और उसके साथियों ने मिलकर गाँव के लोगों को उस बावड़ी के बारे में बताया. लोगों को अपनी भूली हुई विरासत के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई. उन्होंने मिलकर उस बावड़ी की मरम्मत करवाई और उसे फिर से इस्तेमाल में लाने लगे.
अमन अब गाँव में एक जाना-माना चेहरा बन गया था. लोग उसे उस लड़के के रूप में जानते थे जिसने ‘साये’ का रहस्य सुलझाया और अब अपनी विरासत को बचाने के लिए काम कर रहा था.
लक्ष्मी का साया भले ही चला गया था, लेकिन उसकी कहानी अमन के दिल में हमेशा ज़िंदा रही. उसने अमन को सिखाया था कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है और भूली हुई कहानियों को याद रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
बरगद का वह पेड़ आज भी वहीं खड़ा है. अब बच्चे उससे डरते नहीं, बल्कि उसके नीचे बैठकर अमन से लक्ष्मी की कहानी सुनते हैं. और अमन, उस साये को याद करते हुए मुस्कुराता है, जिसने उसे जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया था.
शेष भाग अगले अंक में…,