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मार्गशीर्ष अमावस्या

मार्गशीर्ष अमावस्या (जिसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है) हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष (अगहन) मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को कहते हैं. यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, दान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन नदी स्नान (विशेष रूप से गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में) का महत्व है. इसे पापों के नाश और पुण्य की प्राप्ति का माध्यम माना गया है. मार्गशीर्ष अमावस्या पर वस्त्र, भोजन, तिल, अन्न और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु, शिव या पितृ देवताओं की पूजा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है.

मार्गशीर्ष मास को भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” कहकर सबसे उत्तम मास बताया है. यह दिन आत्मा की शुद्धि और भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

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Margashirsha Amavasya

Margashirsha Amavasya (also known as Agahan Amavasya) is the Amavasya Tithi falling in the month of Margashirsha (Agahan) according to the Hindu calendar. This day is considered very important from the religious and spiritual point of view.

On the day of Margashirsha Amavasya, Tarpan, Daan and Shradh rituals are performed for the ancestors. By doing this, the soul of the ancestors gets peace and their blessings are received. On this day, river bathing (especially in holy rivers like Ganga, Yamuna etc.) is important. It is considered a medium of destruction of sins and attainment of virtue. Donating clothes, food, sesame, grains and money on Margashirsha Amavasya is considered very auspicious.

Many people observe fast on this day and worship Lord Vishnu, Shiva or Pitra Devtas. It is said that the auspicious deeds done on this day yield many times more results.

Lord Krishna has described the month of Margashirsha as the best month in the Bhagavad Gita by saying “Masaanaam Margashirshaham”. This day is considered important for the purification of the soul and material and spiritual progress.

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