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व्यक्ति विशेष

भाग – 309.

साहित्यकार रामकिंकर उपाध्याय

रामकिंकर उपाध्याय हिंदी साहित्य के एक प्रमुख साहित्यकार, विद्वान, और प्रवचनकर्ता थे. वे मुख्य रूप से अपने गीता प्रवचन और धार्मिक साहित्य के लिए जाने जाते हैं. उनके साहित्य और प्रवचन में भारतीय संस्कृति, धर्म, और नैतिकता का गहन समावेश होता था. रामकिंकर उपाध्याय का जन्म 1 नवम्बर, 1924 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था. वे बचपन से ही धर्म और साहित्य की ओर आकर्षित थे और अपनी साधना और अध्ययन के माध्यम से उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया.

उनकी सबसे प्रमुख कृति “गीता प्रवचन” है, जो भगवद्गीता के श्लोकों की सरल और सहज व्याख्या प्रस्तुत करती है. इस कृति के माध्यम से रामकिंकर उपाध्याय ने गीता के गूढ़ तत्वों को सामान्य जन के लिए सुलभ और समझने योग्य बनाया. उनके प्रवचन सादगी, शुद्धता, और आध्यात्मिकता से भरे होते थे, और उन्होंने अपने जीवन को धर्म और समाज सेवा के लिए समर्पित किया.

रामकिंकर उपाध्याय ने अनेक धार्मिक और सामाजिक विषयों पर भी लेखन किया. उनकी रचनाओं में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, और अन्य धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या शामिल है. उनके साहित्य और प्रवचन ने लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद की. उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. वे भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था और समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाएंगे.

रामकिंकर उपाध्याय का 2003 में निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी साहित्यिक और धार्मिक जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं.

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चित्रकार दीनानाथ भार्गव

दीनानाथ भार्गव एक प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार और मूर्तिकार थे। उनका जन्म 01नवंबर, 1927 को मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में हुआ था. वे विशेष रूप से अपनी शैव और शाक्त परंपराओं के साथ-साथ भारतीय लोक कला के अद्भुत मिश्रण के लिए जाने जाते हैं। भार्गव की कला में भारतीय संस्कृति, धार्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय समावेश होता है.

उनकी कई कृतियाँ भारत और विदेशों में प्रदर्शित की गई हैं. वे भारतीय कला के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और उनकी कला के माध्यम से भारतीय परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ा है. दीनानाथ भार्गव की कृतियों में जीवंत रंगों का उपयोग और प्रेरणादायक विषयों का चयन होता है. चित्रकार दीनानाथ भार्गव का निधन 24 दिसंबर, 2016 को हुआ था.

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शायर अब्दुल क़ावी देसनावी

अब्दुल क़ावी देसनावी एक प्रसिद्ध भारतीय उर्दू शायर थे, जिनका जन्म 1 नवम्बर, 1930 को बिहार राज्य के नालन्दा ज़िले के देसना गाँव में हुआ था. वे अपने शेरों और गज़लों के लिए जाने जाते हैं, जिनमें उन्होंने प्रेम, ज़िंदगी, समाजिक मुद्दों और इंसानियत की बातें की हैं. उनकी शायरी में गहराई और भावनाओं की एक विशेष मिठास होती है.

देसनावी की शायरी आमतौर पर सरल, सुगम और स्पष्ट होती है. वे शायरी में संवादात्मकता और आम जीवन के अनुभवों को बखूबी शामिल करते हैं. उन्होंने उर्दू साहित्य को समृद्ध करने के लिए अनेक रचनाएँ की हैं. उनकी शायरी में न केवल प्यार का जज़्बा होता है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी उनकी गहरी नजर होती है.

उनकी कई रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं और उन्हें शायरी की महफिलों में भी विशेष पहचान मिली है. अब्दुल क़ावी देसनावी का योगदान उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण है, और उनकी रचनाएँ आज भी लोगों के दिलों में गूंजती हैं.अब्दुल क़ावी देसनावी का निधन 7 जुलाई, 2011 को भोपाल में हुआ था.

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29वें मुख्य न्यायाधीश आदर्श सेन आनंद

आदर्श सेन आनंद भारत के 29वें मुख्य न्यायाधीश हैं. उनका कार्यकाल 18 अगस्त 2023 से शुरू हुआ. वे भारतीय न्यायपालिका में एक सम्मानित और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा किया है. आदर्श सेन आनंद का जन्म 1 नवम्बर 1936 को हुआ था और उनकी मृत्यु 1 दिसम्बर, 2017 को नोएडा, उत्तर प्रदेश में हुआ.

आदर्श सेन आनंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद कानून की पढ़ाई की और बार में शामिल हुए. उन्होंने वर्ष 1983 में वकालत शुरू की और उच्च न्यायालय में एक प्रमुख वकील के रूप में पहचान बनाई. उन्हें वर्ष 2002 में दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों में न्याय किया है.

आदर्श सेन आनंद के द्वारा लिए गए कई निर्णयों ने भारतीय कानून और न्यायपालिका में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है. आदर्श सेन आनंद ने हमेशा संविधान के सिद्धांतों और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. आदर्श सेन आनंद की न्यायपालिका में भूमिका उनके ज्ञान और अनुभव से प्रेरित है, और वे भारतीय न्यायिक प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.

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35वें मुख्य न्यायाधीश रमेश चंद्र लहोटी

रमेश चंद्र लहोटी भारत के 35वें मुख्य न्यायाधीश थे. उनका कार्यकाल 1 जून 2004 से 31 अक्टूबर 2005 तक रहा. लहोटी को उनके न्यायिक कार्य, निर्णयों और भारतीय न्यायपालिका में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. रमेश चंद्र लहोटी का जन्म 1 नवंबर, 1940 को मध्य प्रदेश के गुना जिले में हुआ था और उनका निधन 23 मार्च, 2022 को नई -दिल्ली में हुआ. 

रमेश चंद्र लहोटी ने कानून की पढ़ाई की और बाद में वकील के रूप में अभ्यास किया. उन्हें वर्ष 1994 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया. बाद में, उन्हें  वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया. लहोटी के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए गए, जो भारतीय कानून में महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उन्होंने संविधान के सिद्धांतों और मानवाधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

रमेश चंद्र लहोटी की न्यायपालिका में भूमिका उनके अनुभव और ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण रही है. उनके द्वारा किए गए निर्णय और दिशा-निर्देश भारतीय न्यायपालिका के विकास में योगदान करते हैं.

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कवयित्री प्रभा खेतान

प्रभा खेतान भारतीय कवयित्री, लेखिका, समाजसेविका, और उद्यमी थीं. वे हिंदी साहित्य में अपनी सशक्त और संवेदनशील लेखनी के लिए जानी जाती हैं. प्रभा खेतान का साहित्य महिलाओं के मुद्दों, उनके संघर्षों और समाज में उनकी भूमिका पर आधारित है. उन्होंने नारीवादी दृष्टिकोण से अपने विचारों को साहित्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया और हिंदी साहित्य में अपनी एक खास पहचान बनाई.

प्रभा खेतान का जन्म 1 नवंबर 1942 को राजस्थान के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. उनका परिवार परंपरागत विचारधारा का था, लेकिन प्रभा खेतान ने सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को चुनौती दी और अपनी शिक्षा और कैरियर के प्रति समर्पित रहीं. उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. अपनी साहित्यिक यात्रा के साथ-साथ वे एक सफल उद्यमी भी थीं और महिलाओं के अधिकारों के लिए लगातार कार्य करती रहीं.

प्रभा खेतान का साहित्य समाज में महिलाओं की स्थिति, उनके संघर्ष और उनकी स्वतंत्रता की आवाज़ को उजागर करता है. उनकी लेखनी में महिलाओं के अनुभवों, उनके आंतरिक द्वंद्व और सामाजिक बंधनों का प्रामाणिक चित्रण मिलता है.

प्रभा खेतान की आत्मकथा “अन्या से अनन्या” एक बहुत प्रसिद्ध कृति है. इस आत्मकथा में उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों, समाज द्वारा निर्धारित सीमाओं को तोड़ने और एक महिला के रूप में अपने अस्तित्व की खोज का विवरण दिया है. यह किताब नारीवादी दृष्टिकोण से लिखी गई है और इसमें उनके व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ समाज में महिलाओं की स्थिति पर भी गहन चिंतन किया गया है.

उन्होंने कई उपन्यास, कहानियाँ और कविताएँ भी लिखीं, जिनमें नारी जीवन, उनके संबंध, और समाज में उनकी भूमिका को केंद्र में रखा गया. उनकी रचनाओं में समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले भेदभाव, उनकी इच्छाओं और उनके संघर्षों को मार्मिकता से प्रस्तुत किया गया है. उनकी कविताओं में संवेदनशीलता और सशक्तता का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है.

प्रभा खेतान ने कई विदेशी साहित्यिक कृतियों का हिंदी में अनुवाद भी किया. उनके अनुवाद कार्य ने भारतीय पाठकों को विश्व साहित्य से परिचित कराया और साहित्यिक दुनिया में उनकी पहचान को और मजबूत किया.

प्रभा खेतान सिर्फ एक लेखिका ही नहीं थीं, बल्कि समाजसेविका के रूप में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे नारी सशक्तिकरण की समर्थक थीं और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत काम किया. वे “प्रभा खेतान फाउंडेशन” की संस्थापक थीं, जो समाज में शिक्षा, कला और संस्कृति के विकास के लिए कार्यरत है. यह संस्था महिलाओं के कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में भी काम करती है.

साहित्य के अलावा, प्रभा खेतान ने व्यावसायिक क्षेत्र में भी अपने लिए एक मजबूत पहचान बनाई. वे कोलकाता में एक सफल उद्यमी के रूप में जानी जाती थीं, जहाँ उन्होंने चमड़े के व्यवसाय में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं. एक महिला उद्यमी के रूप में उन्होंने इस उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई, जो आमतौर पर पुरुष-प्रधान क्षेत्र माना जाता था.

प्रभा खेतान को उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपनी लेखनी और सामाजिक कार्यों के माध्यम से न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए भी अथक प्रयास किया.

प्रभा खेतान का निधन 19 सितंबर 2008 को हुआ. उनका जीवन संघर्ष, सफलता और समाज में महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है.उनकी लेखनी और समाजसेवा के कार्य आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. प्रभा खेतान का साहित्य और जीवन नारी सशक्तिकरण और समाज में उनके योगदान के लिए हमेशा याद रखा जाएगा.

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अभिनेत्री एवं पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय

ऐश्वर्या राय बच्चन एक प्रमुख भारतीय अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड हैं. उनका जन्म 1 नवंबर 1973 को  मैंगलूर, कर्नाटका में हुआ था. वे भारतीय सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और सफल अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं.

ऐश्वर्या ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कर्नाटका में की और बाद में मुंबई विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की. वर्ष 1994 में, ऐश्वर्या राय ने मिस इंडिया का खिताब जीता और इसके बाद उन्होंने मिस वर्ल्ड का खिताब भी अपने नाम किया. यह जीत उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मददगार साबित हुई.

फिल्म कैरियर: –

ऐश्वर्या राय ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत तमिल फिल्म से की थी. ऐश्वर्या ने वर्ष  1997 में फिल्म “ऊर्मीला” से बॉलीवुड में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया, जैसे: –  “हम दिल दे चुके सनम” (1999), “देवदास” (2002), “जज़्बा” (2015), “ऐ दिल है मुश्किल” (2016).

ऐश्वर्या राय को उनकी फिल्मों और अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, और कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं. उन्होंने वर्ष  2007 में अभिनेता अभिषेक बच्चन से शादी की और उनके एक बेटी, आराध्या बच्चन हैं.

ऐश्वर्या को विभिन्न सामाजिक और चैरिटेबल कार्यों में भी सक्रियता के लिए जाना जाता है. वे एक अच्छी कूटनीतिक भी हैं और उन्हें कई बार विभिन्न देशों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व करते देखा गया है.

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अभिनेत्री रूबी भाटिया

रूबी भाटिया एक भारतीय अभिनेत्री हैं जो मुख्यतः हिंदी टेलीविजन धारावाहिकों में काम करती हैं. उन्होंने अपने कैरियर में कई लोकप्रिय शो और फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं. रूबी भाटिया का जन्म 1 नवंबर 1973 को  अलबामा, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था.

उनके पिता का नाम हरबंस भाटिया है और माता का नाम प्रेमलता भाटिया है. उनका पालन-पोषण टोरंटो के एक उपनगर अजाक्स, ओंटारियो में हुआ था. रूबी की प्रारम्भिक शिक्षा  आर्कबिशप डेनिस ओ’कॉनर कैथोलिक हाई स्कूल से की थी. रूबी ने वर्ष 1993 में मिस इंडिया कनाडा प्रतियोगिता जीती और वर्ष 1994 में भारत आकर उन्होंने फेमिना मिस इंडिया में भाग लिया था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की थी. रूबी भाटिया ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत वर्ष 2003 में फिल्म ‘मैं प्रेम की दीवानी हूँ’ से की थी.

रूबी भाटिया ने कई टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया है, जिनमें उनके किरदारों को दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया. उन्होंने कुछ फिल्मों में भी काम किया है, हालांकि उनका प्रमुख फोकस टेलीविजन पर रहा है. रूबी भाटिया ने अपने अभिनय कौशल के लिए पहचान बनाई है और उन्हें विभिन्न भूमिकाओं में देखा गया है, जो उन्हें एक बहुआयामी अभिनेत्री बनाती है.

रूबी भाटिया अपने कैरियर पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं. रूबी भाटिया की अभिनय शैली और उनके द्वारा निभाए गए किरदार उन्हें टेलीविजन इंडस्ट्री में एक विशेष स्थान दिलाते हैं

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   अन्य: –

  1. भारत सरकार अधिनियम 1858 पारित हुआ: – 01 नवंबर 1858 को भारत सरकार अधिनियम 1858 पारित हुआ था. इस अधिनियम के तहत भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर ‘भारत का वायसराय’ कर दिया गया था. बताते चलें कि,भारत के पहले वायसराय लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning) थे.
  2. पहला भाप इंजन: – 01 नवंबर 1950 को भारत में पहला भाप इंजन चितरंजन रेल कारखाने में बनाया गया था. बताते चलें कि, वर्ष 1971 से भाप इंजनों का निर्माण पूरी तरह बंद कर दिया गया और यहाँ डीजल इंजन बनाए जाने लगा था.
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