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जम्मू-कश्मीर विलय दिवस

जम्मू-कश्मीर विलय दिवस भारत में 26 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो उस ऐतिहासिक दिन की याद दिलाता है जब वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारतीय संघ में राज्य के विलय के लिए “विलय पत्र” (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए थे. इस दिन के बाद जम्मू-कश्मीर आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा बन गया, और इसके साथ ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी कबाइलियों द्वारा राज्य पर किए गए आक्रमण को रोकने के लिए कार्यवाही शुरू की थी.

विलय पत्र के अनुसार, महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले, संचार और संचारण से संबंधित विषयों पर भारत सरकार को अधिकार दिए थे, जबकि अन्य विषयों पर राज्य की स्वायत्तता बनी रही. इस विलय ने भारत के संघीय ढांचे में जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा प्रदान किया, जो बाद में अनुच्छेद 370 के माध्यम से संवैधानिक रूप में मान्यता प्राप्त हुआ.

आज विलय दिवस को जम्मू-कश्मीर के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, क्योंकि यह दिन भारत के साथ राज्य के संवैधानिक और राजनीतिक संबंधों की नींव रखता है.

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Jammu and Kashmir Merger Day

Jammu and Kashmir Merger Day is celebrated in India on 26 October, which commemorates the historic day when Maharaja Hari Singh of Jammu and Kashmir signed the “Instrument of Accession” for the merger of the state into the Indian Union in 1947. After this day Jammu and Kashmir officially became a part of India, and with this, the Indian Army started action to stop the invasion of the state by Pakistani tribesmen.

According to the Instrument of Accession, Maharaja Hari Singh had given rights to the Government of India on subjects related to defence, foreign affairs, communications and telecommunications for Jammu and Kashmir, while the state’s autonomy remained on other subjects. This merger provided special status to Jammu and Kashmir in the federal structure of India, which was later recognized as constitutional through Article 370.

Today Merger Day is given an important place in the history of Jammu and Kashmir, as this day lays the foundation of the state’s constitutional and political relations with India.

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