
साहस के सुमेरु और संकल्प के गिरिराज थे चंद्रशेखर आजाद
स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांति पुत्र चंद्रशेखर आजाद की 119वीं जयंती पर नगर परिषद स्थित आनंद विहार कॉलोनी सिरचंद नवादा में स्वतंत्रता आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद की भूमिका विषय पर एक परिचर्चा कार्यक्रम में बोलते हुए कुमार कालिका मेमोरियल महाविद्यालय के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. (प्रो.) गौरी शंकर पासवान ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता संग्राम के प्रोफेट हीरो थे. वे साहस के सुमेरु और संकल्प के गिरिराज थे. स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अतुलनीय भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है. “मैं आजाद था, आजाद हूं और आजाद रहूंगा” यह वाक्य सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि चंद्रशेखर आजाद के जीवन का संकल्प था. उनका बलिदान भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा है. उन्होंने न केवल ब्रिटिश हुकूमत से विद्रोह किया, बल्कि युवाओं को क्रांति का मार्ग भी दिखाया.
प्रो. पासवान ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद त्याग और संघर्ष की सजीव प्रतिमूर्ति थे. उनकी जयंती पर देशवासियों को संकल्प लेना चाहिए कि राष्ट्र सर्वोपरि है. राष्ट्र सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है. चंद्रशेखर आजाद का संकल्प था कि मैं कभी जीवित अंग्रेजों के हाथ नहीं आऊंगा. इस वचन को उन्होंने अंतिम सांस (27 फरवरी 1931) तक निभाया.
सरस्वती अर्जुन एकलव्य महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निरंजन कुमार दुबे ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. वे बंदूक की गोली से नहीं, बल्कि अपनी विचारों की आंधी से अंग्रेजों को डराते थे. हम ऐसे क्रांति वीर चंद्रशेखर आजाद को नमन करते हैं. चंद्रशेखर आजाद युवाओं के लिए न केवल एक इतिहास हैं, अपितु आदर्श भी हैं.
मौके पर अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत, अधिवक्ता रामचंद्र रवि, प्रो. एस. के. झा, अधिवक्ता मुरारी झा, ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद न केवल क्रांतिकारी थे, बल्कि नव युवकों के लिए वैचारिक मशाल भी थे. क्रांति वीरों के रक्त से सिंचित होती है. आजाद साहब इसका सबसे प्रज्वलित दीपक थे. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. आजादी की लड़ाई में सर्वस्व न्योछावर कर दिया. उनका नाम इतिहास के पन्नों में ही नहीं, बल्कि देशवासियों की आत्मा में अंकित है. आज के दिन लोगों को यह प्रण लेना चाहिए कि स्वतंत्रता का अर्थ उत्तरदायित्व भी है.
इस मौके पर प्रो. डीके गोयल, प्रो. सरदार राय, प्रो. संजीव कुमार सिंह, प्रो. आनंद कुमार सिंह, प्रो. अमोद कुमार सिंह, प्रो. सत्येंद्र कुमार सिंह आदि बुद्धिजीवी उपस्थित थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में चंद्रशेखर आजाद की भूमिका को अद्वितीय व बेमिसाल बताया. उनका बलिदान हमें सिखाता है कि स्वतंत्रता की कीमत क्या होती है.
प्रभाकर कुमार (जमुई).