
रवि बचपन से ही समुद्र के किनारे बड़ा हुआ था. उसकी जिंदगी की हर सुबह लहरों के साथ आती और हर शाम उन्हीं लहरों के बीच खो जाती. मछली पकड़ना सिर्फ उसका पेशा नहीं था, बल्कि उसकी पहचान थी. लेकिन समुद्र जितना देता था, उतना ही कठिनाई भी लाता था.
एक रात, जब रवि और उसके साथी गहरे समुद्र में थे, अचानक मौसम ने करवट ली. काले बादलों ने आसमान को ढँक लिया, तेज़ हवाओं ने नाव को हिला दिया, और फिर आया वह भयावह तूफान. उनकी छोटी-सी नाव विशाल लहरों के बीच फँस गई. चिल्लाने और बचाव की गुहार के बीच, रवि ने खुद को शांत रखा. उसने नाव को संभालने की पूरी कोशिश की, लेकिन प्रकृति की ताकत के आगे वह असहाय था.
कई घंटे तक संघर्ष करने के बाद, जब सबको लगा कि अब उम्मीद की कोई किरण नहीं बची, रवि ने हिम्मत नहीं हारी. उसने अपनी पूरी ताकत से टूटी नाव को सहारा दिया और साथी नाविकों को बचाने की कोशिश की. धीरे-धीरे, तूफान थमा और सूरज की पहली किरणों ने उनके जीवन को एक नई रोशनी दी.
आज रवि न केवल एक मछुआरा है, बल्कि नए नाविकों को प्रशिक्षण भी देता है. वह उन्हें सिखाता है कि समुद्र केवल एक आजीविका नहीं, बल्कि एक चुनौती है जिसे दिल और दिमाग से जीतना पड़ता है.
यह कहानी साहस, संघर्ष और निडरता की मिसाल है—एक नाविक जिसने लहरों से लड़कर अपनी किस्मत लिखी. क्या आपको भी कभी किसी चुनौती का सामना करना पड़ा है जहाँ हिम्मत आपकी सबसे बड़ी ताकत बनी?
शेष भाग अगले अंक में…,