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आजादी से अबतक ढाई कोस का सफर

भारत की आजादी का सफर केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाली यात्रा है. “ढाई कोस” का प्रतीकात्मक अर्थ यहाँ दूरी से अधिक, संघर्षों, उपलब्धियों और सपनों के मिश्रण को दर्शाता है. वर्ष 1947 से आज तक, भारत ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्रों में अद्भुत प्रगति की है. आइये जानते हैं इस महत्वपूर्ण सफ़र के बारे में….

15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन विभाजन की त्रासदी और शरणार्थियों के पुनर्वास जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. डॉ. भीमराव अंबेडकर की अगुआई में संविधान का निर्माण (वर्ष 1950) हुआ, जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया. पंडित नेहरू के नेतृत्व में मिश्रित अर्थव्यवस्था और पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत हुई. इसी दौरान भाखड़ा नंगल बाँध और आईआईटी जैसे संस्थानों की स्थापना ने विकास की आधारशिला रखी गई.

वर्ष 1960-70 के दशक में हरित क्रांति ने खाद्यान्न संकट को दूर किया, लेकिन किसानों की समस्याएँ बनी रहीं. वर्ष 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की जीत ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान बनाई. वर्ष 1975 में आपातकाल ने लोकतंत्र की परीक्षा ली, जिसके बाद वर्ष 1977 में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. इसी दौरान राष्ट्रीयकरण (बैंक, कोयला) और गरीबी हटाओ जैसे नारों ने आर्थिक नीतियों को नया आकार दिया.

वर्ष 1991 का आर्थिक संकट भारत के लिए मोड़ साबित हुआ. तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीतियाँ लागू कीं, जिससे अर्थव्यवस्था खुली और आईटी क्रांति का सूत्रपात हुआ. वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया. इस दशक में टेलीविज़न और मोबाइल तकनीक ने जनजीवन को बदलना शुरू किया.

21वीं सदी में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुआ. मंगलयान (वर्ष 2013) और चंद्रयान-2 (वर्ष 2019) जैसे अंतरिक्ष अभियानों ने वैज्ञानिक क्षमता का परचम लहराया. सूचना का अधिकार अधिनियम (वर्ष 2005) और मनरेगा जैसी योजनाओं ने सामाजिक न्याय को बल दिया. हालाँकि, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन (वर्ष 2011), जातिगत हिंसा, और नोटबंदी (वर्ष 2016) जैसे मुद्दों ने समाज को विभाजित भी किया.

कोविड-19 महामारी के बावजूद, भारत ने वैक्सीन उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई. डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और जीएसटी जैसे कदमों ने आर्थिक सुधारों को गति दी. 5जी तकनीक, रुपये का डिजिटल संस्करण, और हरित ऊर्जा पर जोर भविष्य की दिशा तय कर रहा है. सामाजिक स्तर पर नई शिक्षा नीति (वर्ष 2020) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान उल्लेखनीय हैं.

आज भी भारतवर्ष गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरणीय संकट, और सामाजिक असमानता से जूझ रहा है. राजनीतिक स्तर पर सांप्रदायिकता और केंद्र-राज्य संबंध जटिल मुद्दे बने हुए हैं. नागरिकों की शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुँच सुनिश्चित करना अभी बाकी है. फिर भी, युवा जनसंख्या और लोकतांत्रिक मूल्य भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं.

78 वर्षों का यह सफर सिखाता है कि प्रगति एक सहयोगात्मक प्रयास है. “ढाई कोस” की यात्रा में हर कदम संकल्प और समर्पण की माँग करता है. भविष्य में भारत को समावेशी विकास, टिकाऊ प्रौद्योगिकी, और सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित करना होगा. यह सफर अधूरा है, लेकिन हर पीढ़ी के साथ नए सपने जुड़ते जा रहे हैं.

79वें  स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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