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खलिहान तैयार हो गया…

हुई मिट्टी से लिपाई पुताई

खड़े पत्थर में होगी धान पिटाई

मेहनत से की थी हमने जुताई

उपज को हमारे ना लगे हाय

देखो खलिहान तैयार हो गया

ओढ़े हरियाली चादर ने रूप बदला

लह लहाते फसलों ने किस्मत बदला

हसुआ लिए किसान कटनी को चला

अब खलिहान में दिखेगा समृद्धि थाला

देखो खलिहान तैयार हो गया

एक बीज ने कितनों को जन्म दिया

शीत ऋतु ने अपना दस्तक दिया

तैयार फसलों ने शीत पानी पिया

मन में जल रहा खुशियों का दिया

देखो खलिहान तैयार हो गया

नव वर्ष का सौगात ले आएगा

बीच समृद्धि और खुशियां लाएगा

उपज से अपना घर भर जाएगा

पुवाल से धान अब बिछड़ जाएगा

देखो खलिहान तैयार हो गया

अब्बा पिता को धन्यवाद देना है

मेहनत दिन दुगनी रात चौगुनी करना है

अगले वर्ष के लिए शुभकामनाएं है

अपने खलिहान को फिर भर देना है

देखो खलिहान तैयार हो गया।

प्रभाकर कुमार. 

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