किस्से तेरे रंग हजार…
रंगों की इस दुनिया में, अन्वेषा हमेशा से कुछ अलग महसूस करती थी। उसकी ज़िंदगी में रंग तो थे, लेकिन उनमें कोई गहराई नहीं थी, कोई जुड़ाव नहीं था। वह एक छोटे से पहाड़ी गाँव में रहती थी, जहाँ हर सुबह सूरज अपनी सुनहरी किरणों से घाटियों को चूमता था। पर अन्वेषा की आँखों में बस एक रंग था—सफेद, एक खालीपन जैसा।
फिर एक दिन, गाँव में एक अजनबी आया। उसकी आँखों में जादू था, उसके शब्दों में कविता। वह रंगों की कहानियाँ सुनाता था, कहानियाँ जो जीवन के हर पहलू को समेटे थीं—खुशी की लालिमा, प्रेम का गुलाबी, दर्द का गहरा नीला और आशा का उजला पीला।
अन्वेषा को पहली बार महसूस हुआ कि रंग सिर्फ आँखों से नहीं देखे जाते, वे दिल से महसूस किए जाते हैं। धीरे-धीरे, उसकी दुनिया में रंग लौटने लगे। वह गाँव के बच्चों को कहानियाँ सुनाने लगी, बूढ़ी अम्माओं को उनके बीते दिनों की यादों से रंगों में समेटने लगी।
एक दिन, जब वह पहाड़ी की चोटी पर बैठी थी, सूरज ढलने लगा। आसमान में अनगिनत रंगों का नृत्य था—गुलाबी, नारंगी, बैंगनी। अन्वेषा मुस्कराई और बुदबुदाई— “किस्से तेरे रंग हजार, और मैंने तो अभी शुरुआत ही की है।”
अन्वेषा की आँखों में डूबते सूरज के रंग समा रहे थे। उसके दिल में एक नई उमंग थी—मानो वह खुद भी इन रंगों का हिस्सा बन गई हो। तभी, एक हल्की-सी सरसराहट हुई। वह मुड़ी तो देखा, एक छोटी लड़की पास में खड़ी थी।
लड़की का नाम नेहा था। उसकी आँखों में चमक थी, और हाथ में एक पुराना रजिस्टर। वह झिझकते हुए बोली, “दीदी, क्या आप मेरी कहानी पढ़ेंगी?”
अन्वेषा मुस्कराई। उसने रजिस्टर खोला, और अंदर कई रंगों से लिखी गई छोटी-छोटी कहानियाँ थीं—गाँव के लोगों की, पक्षियों की, पहाड़ी पर खिलते फूलों की।
“तुमने ये कहानियाँ खुद लिखी हैं?” अन्वेषा ने पूछा।
नेहा ने सिर हिलाया, “पर मुझे डर लगता है कि कोई इन्हें पसंद नहीं करेगा।”
अन्वेषा ने हल्के से रजिस्टर के पन्ने पलटे। “कहानी किसी की पसंद-नापसंद से नहीं बनती, नेहा। हर कहानी अपने आप में एक रंग होती है, एक एहसास। और मुझे लगता है तुम्हारी कहानियाँ बहुत खूबसूरत हैं।”
नेहा की आँखों में खुशी तैर गई। वह चुपचाप बैठ गई, और दोनों पहाड़ी की चोटी से सूरज के रंगों को देखते रहे—गुलाबी, नारंगी, बैंगनी। अब इन रंगों में अन्वेषा और नेहा की कहानियों का नया रंग भी शामिल था। से आगे
धीरे-धीरे हवा में ठंडक बढ़ने लगी। पहाड़ी के नीचे गाँव की टिमटिमाती बत्तियाँ आसमान के सितारों से होड़ कर रही थीं। नेहा ने अन्वेषा की ओर देखा और पूछा, “दीदी, क्या रंगों की भी अपनी कहानियाँ होती हैं?”
अन्वेषा मुस्कराई। उसने हल्की सी ठंडी हवा को महसूस किया और कहा, “हर रंग एक भावना है, एक किस्सा। लाल—जुनून, प्रेम। नीला—शांति, गहराई। पीला—आशा, खुशहाली। और बैंगनी? यह रहस्य और जादू। जैसे तुम्हारी कहानियाँ, नेहा—हर एक में एक अनोखा रंग छुपा है।”
नेहा ने अपनी छोटी उंगलियों से रजिस्टर को मजबूती से पकड़ लिया। वह एक पल के लिए सोच में डूब गई और फिर बोली, “तो क्या मैं भी अपनी कहानियों में नए रंग जोड़ सकती हूँ?”
अन्वेषा ने हंसते हुए कहा, “बिलकुल! हर लेखक के पास अपनी रंगों की तूलिका होती है। जो भी एहसास तुम्हें छूता है, उसे शब्दों में पिरो दो।”
सहसा, एक सितारा टूटकर चमका और आकाश में कहीं खो गया। नेहा ने आँखें बंद करके मन ही मन कुछ माँगा। अन्वेषा ने उसे देखा और पूछा, “क्या माँगा?”
नेहा ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “कि मेरी कहानियाँ भी हजार रंगों वाली हों।”
पहाड़ी पर बैठी उन दो कहानियों से भरी आत्माओं ने चुपचाप आसमान की ओर देखा। उनके भीतर अब सिर्फ रंग नहीं, बल्कि कहानियों का एक नया संसार जाग उठा था। किस्से तेरे रंग हजार, और नेहा की यात्रा अब शुरू हो चुकी थी।से आगे
नेहा ने अपनी छोटी उंगलियों से रजिस्टर के पन्नों को धीरे-धीरे सहलाया, जैसे हर कहानी को महसूस कर रही हो। उसकी आँखों में उत्सुकता थी, मानो अब वह खुद भी इन रंगों में कुछ नया जोड़ने जा रही हो।
“दीदी,” नेहा ने उत्साह से कहा, “अगर हर रंग की अपनी कहानी होती है, तो क्या हम भी अपनी ज़िंदगी के रंग बना सकते हैं?”
अन्वेषा ने मुस्कराते हुए उसकी ओर देखा। “बिलकुल, नेहा! ज़िंदगी भी एक कैनवास की तरह होती है, जहाँ हम अपने अनुभवों से नए रंग भर सकते हैं।”
नेहा उठकर खड़ी हो गई और दूर आसमान की ओर देखते हुए बोली, “तो मैं अपनी पहली कहानी में इंद्रधनुष जोड़ूंगी। हर रंग के साथ एक नई भावना, एक नया सपना!”
अन्वेषा ने खुशी से सिर हिलाया। “और तुम्हारी कहानियों में जो भी पढ़ेगा, वे भी अपने रंग चुन सकेंगे।”
तभी पहाड़ी पर हल्की हवा चली, मानो नेहा और अन्वेषा की बातों की गूँज ने उसे भी स्पर्श किया हो। दूर पहाड़ियों के पीछे सूरज पूरी तरह छिप चुका था, लेकिन आसमान में अब भी रंगों की एक झलक थी—गुलाबी, नारंगी, बैंगनी, और अब नेहा के सपनों के रंग भी उसमें घुलने लगे थे।
“किस्से तेरे रंग हजार, और अब यह कहानी बस शुरुआत थी।”



