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अंतर्द्वंद्व के साये

दूसरों की उपेक्षाओं का बोझ

झील के किनारे बिताया गया वह दिन अवनि और उसके परिवार के लिए एक नया मोड़ साबित हुआ. उस दिन के बाद, घर का माहौल और भी खुशनुमा हो गया. माँ अब अवनि से उसकी राय पूछती थीं, और भाई भी उसके विचारों को गंभीरता से लेता था. अवनि को लगता था जैसे बरसों से जमी बर्फ पिघल रही हो.

आर्यन और अवनि का रिश्ता और भी गहरा होता गया. दोनों एक-दूसरे के सपनों और आकांक्षाओं का सम्मान करते थे. आर्यन हमेशा अवनि को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता था, और अवनि को उसके साथ सुरक्षित और खुश महसूस होता था.

एक दिन, अवनि को अपने कॉलेज से एक बड़ी खबर मिली. उसके प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए चुना गया था. यह वही प्रोजेक्ट था जिसे कभी उसके भाई ने ‘बेकार की बात’ कहा था.

अवनि खुशी से झूम उठी और तुरंत आर्यन को यह खबर दी. आर्यन भी उसकी सफलता सुनकर बहुत खुश हुआ.

“यह तो बहुत बड़ी बात है, अवनि!” आर्यन ने कहा. “मुझे हमेशा से पता था कि तुम्हारा काम बहुत अच्छा है.”

अवनि ने यह खबर अपनी माँ और भाई को भी दी. इस बार, उनका रवैया बिल्कुल अलग था. माँ ने उसे गले लगाया और उसकी सफलता पर गर्व जताया. भाई ने भी उसे बधाई दी और कहा कि उसे हमेशा से उस पर विश्वास था (भले ही पहले उसने ऐसा नहीं कहा था).

प्रतियोगिता के लिए अवनि को दूसरे शहर जाना पड़ा. आर्यन ने उसे पूरा सहयोग दिया और उसके साथ गया. प्रतियोगिता में अवनि ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और उसे पुरस्कार मिला.

जब वह जीतकर घर लौटी, तो उसके परिवार ने उसका भव्य स्वागत किया. घर को फूलों और रंगीन कागज़ों से सजाया गया था. माँ ने उसकी पसंदीदा मिठाई बनाई थी, और भाई ने उसके लिए एक छोटा सा उपहार खरीदा था.

उस दिन, अवनि ने महसूस किया कि आखिरकार उसे वह प्यार और सम्मान मिल रहा है जिसकी वह हमेशा से हकदार थी. अपनों से मिली व्यथा अब धुंधली पड़ चुकी थी, और उसकी जगह स्नेह और अपनेपन ने ले ली थी.

एक रात, जब अवनि अपनी बालकनी में खड़ी तारों को देख रही थी, आर्यन उसके पास आया. उसने धीरे से अवनि का हाथ थामा.

“अवनि,” आर्यन ने कहा, उसकी आवाज़ में प्यार घुला हुआ था. “तुमने अपनी हर मुश्किल का सामना हिम्मत से किया है. तुमने दिखाया है कि अगर हम चाहें तो अपने रिश्तों को भी बदल सकते हैं.”

अवनि ने आर्यन की ओर देखा और मुसकुराई. “यह सब तुम्हारे साथ की वजह से मुमकिन हो पाया, आर्यन.”

“और तुम्हारी अपनी हिम्मत की वजह से,” आर्यन ने कहा. फिर, उसने अपनी जेब से एक छोटा सा डिब्बा निकाला.

अवनि ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा. आर्यन ने डिब्बा खोला. उसमें एक सुंदर सी अंगूठी थी.

“अवनि,” आर्यन ने कहा, उसकी आँखों में प्यार और उम्मीद थी. “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”

अवनि की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन इस बार ये आँसू खुशी के थे.

“हाँ,” उसने धीरे से कहा. “हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगी.”

उस रात, तारों भरे आसमान के नीचे, अवनि को लगा जैसे उसकी ज़िंदगी पूरी हो गई हो. उसने अपनों से मिली व्यथा को पीछे छोड़ दिया था, और अब उसे प्यार और खुशी का एक नया जीवन मिलने वाला था.

यह कहानी दिखाती है कि दुख और निराशा के बाद भी उम्मीद और खुशी का सूरज ज़रूर निकलता है. अपने भीतर की शक्ति और सच्चे प्यार के साथ, हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं.

शेष भाग अगले अंक में…,

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