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साया …

अध्याय 2: साये का रहस्य

अमन उस धुंधली आकृति को देखता रहा. औरत की आँखें बंद थीं, और उसके चेहरे पर एक गहरी उदासी छाई हुई थी. अचानक, हवा में एक ठंडी लहर दौड़ी, और साये के भीतर की आकृति थोड़ी और स्पष्ट हुई. अमन को लगा जैसे वह उसे कुछ बताने की कोशिश कर रही हो.

डर थोड़ा कम हुआ, उसकी जगह जिज्ञासा ने ले ली. उसने धीरे से पूछा, “आप… आप कौन हैं?”

कोई जवाब नहीं आया, सिवाय हवा के सरसराहट के. लेकिन तभी, अमन ने देखा कि साये के पास की मिट्टी पर कुछ बन रहा है. गीली मिट्टी में, एक उँगली से जैसे कुछ लिखा जा रहा था. अमन ध्यान से देखने लगा. धीरे-धीरे अक्षर उभरने लगे: “शा… शांति…”

अमन हैरान था. क्या यह साया उससे कुछ कहना चाहता था? क्या उसे शांति चाहिए थी?

अगले दिन, अमन फिर से बरगद के पेड़ के नीचे गया. साया वहीं था, शांत और स्थिर. अमन अपने साथ एक स्लेट और चाक ले गया था. उसने मिट्टी पर वही शब्द लिखा, “शांति?”

कुछ देर तक कुछ नहीं हुआ. फिर, अमन ने देखा कि साये के पास की एक सूखी पत्ती हिल रही है, मानो किसी ने उसे छुआ हो. पत्ती हिलकर एक खास दिशा में इशारा कर रही थी – जंगल के भीतर की ओर.

अमन समझ गया. साया उसे कुछ दिखाना चाहता था. डर और उत्सुकता के मिश्रण के साथ, अमन उस दिशा में बढ़ने लगा, जिस ओर पत्ती ने इशारा किया था. साया धीरे-धीरे उसके साथ चल रहा था, एक मौन साथी की तरह.

जंगल के अंदर, अमन को एक पुरानी, ​​टूटी हुई झोपड़ी मिली. वह काफी समय से वीरान पड़ी थी. झोपड़ी के पास, एक छोटा सा, overgrown बगीचा था. और बगीचे के बीच में, एक पत्थर का छोटा सा स्मारक था, जिस पर कुछ धुंधले अक्षर खुदे हुए थे.

अमन झुककर उन अक्षरों को पढ़ने की कोशिश करने लगा. मिट्टी और काई ने उन्हें लगभग पूरी तरह से ढक दिया था. उसने अपनी उँगली से धीरे-धीरे मिट्टी हटाई.

अचानक, साया और भी धुंधला हो गया, मानो उसमें कोई दर्द हो. अमन ने स्मारक पर खुदे हुए पहले कुछ अक्षर पढ़े: “लक्ष्मी…”

शेष भाग अगले अंक में…,

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