News

सनातनी नववर्ष का हुआ आगाज…

सनातन धर्म, जो विश्व के सबसे प्राचीन और समृद्ध धर्मों में से एक है, अपने पर्वों, त्योहारों और संस्कारों के लिए जाना जाता है. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है सनातनी नववर्ष, जो हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है. यह नववर्ष न केवल एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह सनातन संस्कृति, ज्ञान और परंपराओं का भी प्रतीक है. इस वर्ष सनातनी नववर्ष का आगाज हर्षोल्लास के साथ हुआ है, जो हमें नई ऊर्जा और उत्साह से भर देता है.

सनातन नववर्ष भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो समय के चक्र और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करता है. यह नववर्ष न केवल पंचांग के आधार पर निर्धारित होता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से गहराई से जुड़ा हुआ है. सनातन परंपरा में नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है. यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जब प्रकृति अपने नवीन स्वरूप में खिलती है. इसका संबंध न केवल खगोलीय घटनाओं से है, बल्कि यह आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इस दिन को गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र), उगादि (आंध्र प्रदेश और कर्नाटक), और चेटी चंड (सिंधी समाज) जैसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है.

सनातन नववर्ष के दिन को ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि के निर्माण का दिन माना जाता है. यह शुभ अवसर सभी के जीवन में नए संकल्प और नई ऊर्जा का संदेश लेकर आता है. इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं. सनातनी नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, जिसे गुड़ी पड़वा या वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार नए वर्ष की शुरुआत माना जाता है. इस दिन से न केवल नया वर्ष प्रारंभ होता है, बल्कि प्रकृति भी नए रूप में ढलने लगती है. वसंत ऋतु का आगमन, फसलों की कटाई और नई फसल का उत्सव इस दिन को विशेष बनाता है. सनातनी नववर्ष के दिन विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है. इनमें से कुछ प्रमुख परंपराएं निम्नलिखित हैं: –

गुड़ी फहराना: – महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इस दिन गुड़ी (एक प्रकार का ध्वज) फहराया जाता है. गुड़ी को विजय और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

नए वस्त्र धारण करना: – इस दिन लोग नए वस्त्र पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं. यह नए साल की शुरुआत को और भी खास बनाता है.

पूजा-अर्चना: – सनातनी नववर्ष के दिन लोग मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की जाती है.

नवरात्रि का आरंभ: – सनातनी नववर्ष के दिन से ही नवरात्रि का आरंभ होता है. यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है.

सनातनी नववर्ष का महत्व केवल एक नए साल की शुरुआत तक ही सीमित नहीं है परन्तु,  यह दिन हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की प्रेरणा देता है. सनातन धर्म में प्रकृति को देवता के रूप में पूजा जाता है, और यह नववर्ष हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है. वर्तमान समय में सनातनी नववर्ष का महत्व और भी बढ़ गया है. यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहने का संदेश भी देता है. आधुनिक जीवनशैली में जहां लोग अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं, वहां सनातनी नववर्ष हमें अपनी पहचान और संस्कृति की याद दिलाता है वर्तमान समय के दौर में, जहां वैश्वीकरण और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, सनातन नववर्ष हमारी संस्कृति की पहचान को संरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. यह हमारी जड़ों से जुड़ने और अपनी परंपराओं को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का अवसर है.

सनातनी नववर्ष न केवल एक नए साल की शुरुआत है, बल्कि यह हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और प्रकृति के साथ जुड़े रहने का संदेश देता है. यह दिन हमें नई ऊर्जा और उत्साह से भर देता है, और हमें एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है. सनातन नववर्ष केवल एक तिथि नहीं, बल्कि जीवन को नवीन दृष्टिकोण से देखने का समय है. यह हमें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उनकी सुंदरता को अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है.

ज्ञानसागरटाइम्स के सभी पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

:

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button