देश में सनातन धर्म पर भी कुठाराघात किया जा रहा है. सनातन का ही देन है कि मनुष्य आदि मानव से मानव बना, सनातन धर्म ही मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाई, धर्मान्धता, अंधविश्वास, पाखंड का कोई जगह नहीं है सनातन धर्म में. सनातन तो अनादि काल से जो चला आ रहा है जो शाश्वत सत्य है वही सनातन है, धर्म के अर्थ को नहीं जानते है, देश में धर्मावलंबियों की बाढ़ सी आ गयी है, रोज धर्म के नये नये परिभाषा गढ़ रहे है, जब देश में विदेशी आक्रांताओं का आक्रमण हो रहा था तब ये सब लोगों का दर्शन और सिद्धांत काम नहीं कर रहा था. जब देश आजाद हो गया तो सब मठाधीश निकल गये. रोज धर्मान्तरण का खेल खेल रहे है, कोई रोटी खिलाकर धर्म परिवर्तन करा रहा है तो कोई इमोशनल ब्लैक मेल कर धर्म परिवर्तन करा रहे है.
धर्म जो धारण करने योग्य हो, धर्म जो मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाता हो, दुनिया में जितने भी धर्म है मानव धर्म के श्रोत है. विभिन्न नदियों के जल को अपने अपने हिसाब से सब श्रेष्ठ कह कर लड़ रहा है, जब वही नदी का जल समुद्र में समाहित हो जाता है तो वहां कोई नहीं कहता है कि हमारी नदी का जल कहाँ गया, उदाहरण स्वरूप अग्नि का धर्म है जलना, बर्फ का धर्म है शीतलता प्रदान करना, अग्नि में डालने के बाद यदि कोई पदार्थ नहीं जलता है और हथेली पर बर्फ रखने के बाद ठंडक नहीं प्रदान करता है तो मानो कि अग्नि और बर्फ का धर्म समाप्त हो गया. सनातन धर्म…. श्रद्धा विश्वास, यहूदी धर्म.. सत्य प्रेम, ईसाई धर्म… सेवा, इस्लाम धर्म… भाईचारा, जैन धर्म.. अहिंसा, सिख धर्म.. गुरु भक्ति, बौद्ध धर्म.. करुणा पर बल देता है, ये सब मानव धर्म के श्रोत है, समय के साथ परिभाषा बदल जाता है, लेकिन वर्तमान समय में लोग धर्मान्धता अंधविश्वास पाखंड के सहारे सब लोग अपने अपने धर्म को श्रेष्ठ साबित करने में लगे हुए है. यही हाल जातिवाद का है, मानव मात्र एक समान, एक पिता के सब संतान, यदि 21वी सदी में हमलोग प्रवेश कर गए लेकिन, अभी तक देशवासी धर्म और जाति के नाम पर लड़-झगड़ रहे है.
अठारह पुराण की रचना हुई मानव के स्वभाव बदलने के लिए… फिर भी मनुष्य का स्वभाव नहीं बदला. देश कोरोना जैसी महामारी झेल कर निकला ही कि गिरगिट के तरह रंग बदल लिया, इस देश में सभी लोग वक्ता है, यहाँ श्रोता कोई नहीं है, यहाँ सभी लोग चिकित्सक है, कोई रोगी नहीं है, जिनसे बात करें चाहे वह भाषण देगा, चाहे उपदेश देगा, चाहे वह आपको किसी भी प्रकार का बीमारी हो ईलाज बता देगा, धन्य है हमारा भारतवर्ष यहाँ लोग सुनते नहीं सुनाते है, जब सोशल मीडिया को खोलीये हर तरह का नेता, अभिनेता, गुरु, डाक्टर, वैध, कवि, पत्रकार, लेखक, साहित्यकार, जोतिषाचार्य, सब के सब नये भारत के निर्माण में लगे हुए, देश के प्रशासन, पुलिस सारे के सारे ऐजेसिंया सब के सब… कोई अपराध को कंट्रोल कर रहा है, कोई भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर रहा है, कोई गुणवत्ता पूर्ण विकास कर रहा है, कोई धर्म को बचाने में लगा हुआ है, कोई न्याय व्यवस्था को दुरुस्त कर रहा है, कोई मजबूत से मजबूत कानून बना रहा है, कोई शिक्षक बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण पढाई दे रहा है.
डाक्टर सब रोग उन्मूलन में लगे हुए है, चुनाव लड़ने वाले बड़े बड़े नारों और वादों के साथ चुनाव लड़ कर जनता के सारे समस्याओं का समाधान छूमंतर में कर दे रहा है, ज्योतिष विद्धा से ग्रह-नक्षत्र ठीक कर रहे हैं, बहुत सारे कंपनी गुणवत्ता पूर्ण दुध, दही, तेल और दवा बनाने में लगा हुआ है, सारे के सारे लोग राष्ट्र के निर्माण में लगे हुए है, मानो लगता है कि सारे समस्या का समाधान संभव हो गया, गंदा पानी से कितना भी साफ कर लो देश की गंदगी कभी साफ नहीं हो पायेगी, गंदगी साफ करने के साफ पानी की जरूरत है, जो साफ पानी देश में बचा हुआ है उसको भी हीड़ हाड़ के गंदा मत करिये, नहीं तो देश का सर्वनाश होने से कोई नहीं बचा सकता है……
संजय कुमार सिंह, संस्थापक,
ब्रह्म बाबा सेवा एवं शोध संस्थान,
निरोग धाम अलावलपुर पटना.