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याद आते वो पल-27.

1. बालकृष्ण भट्ट:- आज ही के दिन वर्ष 1844 में आधुनिक हिन्दी साहित्य के शीर्ष निर्माता बालकृष्ण भट्ट का जन्म प्रयाग (उत्तर प्रदेश) के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. भट्ट की माता अपने पति की अपेक्षा अधिक पढ़ी-लिखी और विदुषी थीं. उनका प्रभाव बालकृष्ण भट्ट पर अधिक पड़ा. पंडित बालकृष्ण भट्ट के पिता का नाम पं॰ वेणी प्रसाद था. भट्ट मिशन स्कूल में पढ़ते थे. वहाँ के प्रधानाचार्य एक ईसाई पादरी से थे. भट्ट  का वाद-विवाद हो जाने के कारण इन्होंने मिशन स्कूल जाना बंद कर दिया. स्कूल में दसवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भट्ट जी ने घर पर ही संस्कृत का अध्ययन किया. संस्कृत के अतिरिक्त उन्हें हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू, फारसी भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान हो गया. भट्ट स्वतंत्र प्रकृति के व्यक्ति थे. उन्होंने व्यापार का कार्य किया तथा वे कुछ समय तक कायस्थ पाठशाला प्रयाग में संस्कृत के अध्यापक भी रहे किन्तु उनका मन किसी में नहीं रमा. भारतेंदु जी से प्रभावित होकर भट्ट ने हिंदी-साहित्य सेवा का व्रत ले लिया. भट्ट ने हिन्दी प्रदीप नामक मासिक पत्र निकाला और इस पत्र के वे स्वयं संपादक थे. हिन्दी प्रचार के लिए उन्होंने संवत्‌ 1933 में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की. उसकी ओर से एक हिन्दी मासिक पत्र का प्रकाशन भी किया, जिसका नाम था “हिन्दी प्रदीप”. हिन्दी प्रदीप के अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट ने दो-तीन अन्य पत्रिकाओं का संपादन भी किया. भट्ट के निबंध सदा मौलिक और भावना पूर्ण होते थे. वह इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें पुस्तकें लिखने के लिए अवकाश ही नहीं मिलता था.फिर भी उन्होंने “सौ अजान एक सुजान”, “रेल का विकट खेल”, “नूतन ब्रह्मचारी”, “बाल विवाह” तथा “भाग्य की परख” आदि पुस्तकें लिखीं.

2. हरविलास शारदा:- आज ही के दिन वर्ष 1867 में शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक, न्यायविद और लेखक हरविलास शारदा का जन्म अजमेर में एक माहेश्वरी परिवार में हुआ था. उनके पिता श्रीयुत हर नारायण शारदा (माहेश्वरी) एक वेदांती थे, जिन्होंने अजमेर के गवर्नमेंट कॉलेज में लाइब्रेरियन के रूप में काम किया. शारदा ने वर्ष 1883 में अपनी मैट्रिक परीक्षा पास की. इसके बाद, उन्होंने आगरा कॉलेज (तब कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध) में अध्ययन किया, और वर्ष 1888 में बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अंग्रेजी में ऑनर्स के साथ उत्तीर्ण किया, साथ ही उन्होंने दर्शन व फारसी की भी पढाई की. उन्होंने वर्ष 1889 में गवर्नमेंट कॉलेज, अजमेर में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया. वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन अपने पिता के खराब स्वास्थ्य के कारण अपनी योजनाओं को छोड़ दिया. शारदा ने ब्रिटिश भारत में बड़े पैमाने पर यात्रा की, उत्तर में शिमला से दक्षिण में रामेश्वरम तक और पश्चिम में बन्नू से पूर्व में कलकत्ता तक. वर्ष1888 में, शारदा ने इलाहाबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र का दौरा किया. उन्होंने कांग्रेस की कई और बैठकों में भाग लिया. वर्ष 1892 में, शारदा ने अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत के न्यायिक विभाग में काम करना शुरू किया. वर्ष  1894 में, वह अजमेर के नगर आयुक्त बने, और अजमेर विनियमन पुस्तक, प्रांत के कानूनों और नियमों के संकलन को संशोधित करने पर काम किया. शारदा ने अजमेर में एक डीएवी स्कूल की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और बाद में अजमेर के डीएवी समिति के अध्यक्ष बने. उन्होंने वर्ष 1925 में मथुरा में दयानंद के जन्म शताब्दी समारोह के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह उस समूह के महासचिव थे, जिन्होंने वर्ष 1933 में अजमेर में दयानंद की अर्ध शताब्दी के लिए एक समारोह का आयोजन किया था.

3.  पणीक्कर, के. एम.: – आज ही के दिन वर्ष 1895 में मैसूर (कर्नाटक) के राजनीतिज्ञ, राजनीयक और विद्वान पणीक्कर, के. एम. का जन्म त्रावणकोर में हुआ था. ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त करने वाले पणिक्कर ने लंदन के मिड्ल टेंपल से बार के लिए अध्ययन किया और भारत लौटकर अलीगढ़ तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन किया. वर्ष 1925 में वह पत्रकारिता की ओर मुड़े और द हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक बने. नरेंद्र मंडल के चांसलर के सचिव के रूप में काम करते हुए भारतीय रजवाड़ों की सेवा के दौरान उन्होंने राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया. उन्होंने पटियाला रियासत के विदेश मंत्री तथा बीकानेर रियासत के विदेशी मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री (1944-47) के रूप में भी काम किया. भारत के स्वतंत्र होने के बाद उन्हें चीन (1948-52), मिस्र (1952-53) और फ़्रांस (1956-59) का राजदूत बनाया गया.जीवन के उत्तरार्ध में वह पुन: शिक्षण की ओर लौटे तथा जीवनपर्यंत मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे. पणिक्कर द्वारा मालाबार में पुर्तग़ालियों तथा डचों पर अध्ययन, विशेषकर उनकी कृति ‘एशिया ऐंड वेस्टर्न डॉमिनेन्स’ (1953) से एशिया पर यूरोपीय प्रभाव के प्रति उनकी रुचि परिलक्षित होती है. उन्होंने नाटक और उपन्यास भी लिखे हैं.

4.  हिन्दी साहित्य सम्मेलन:- आज ही के दिन वर्ष 1918 में गांधी जी की अध्यक्षता इन्दौर में ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा हिन्दी राजभाषा मानी गयी. इस सम्मेलन में हिन्दी के कई बड़े लेखक, कवी और साहित्यकारों ने भाग लिया था.

5. एम. करुणानिधि:- आज ही के दिन वर्ष 1924 में भारतीय राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि का जन्म तिरुक्कुवलई, मद्रास प्रैज़िडन्सी, ब्रिटिश भारत में हुआ था. उनके पिता का नाम मुत्तुवेल था और माता अंजुगम थीं। वे ईसाई धर्म के वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते थे.एम. करुणानिधि ने अपने जीवन की शुरुआत तमिल फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में की. अपनी बुद्धि और भाषण के माध्यम से वे बहुत काम समय में एक महान राजनेता बन गए. एम. करुणानिधि द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे और समाजवादी और बुद्ध के आदर्शों को बढ़ाबा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक कहानियाँ लिखने के लिए मशहूर थे. उन्होंने तमिल सिनेमा जगत का इस्तेमाल करके अपनी ‘पराशक्ति’ नामक फिल्म के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार किया. शुरू में इस फिल्म पर प्रतिबन्द लगा दिया गया था, लेकिन बाद में इसे वर्ष 1952 में रिलीज कर दिया गया. ये बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही बड़ी फिल्म के रूप में साबित हुई. करुणानिधि ने तीन विवाह किये थे. उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती अम्माल था, जिनसे उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम एम.के. मुथू है. पद्मावती का निधन मुथु के जन्म के आसपास ही हो गया था. इसके बाद उनकी शादी दयालु अम्मा से हुई, जिनसे इस दम्पत्ति को चार बच्चे हुए- एम.के. अलागिरि, एम.के. स्टालिन, एम.के. तमिलारसु और सेल्वी. उनकी तीसरी पत्नी का नाम राजाथिअम्माल हैं, जिनसे उन्हें एक बेटी कनिमोझी हैं. जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर एम. करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया. उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय युवाओं के लिए एक संगठन की स्थापना की. उन्होंने इसके सदस्यों को ‘मनावर नेसन’ नामक एक हस्तलिखित अखबार परिचालित किया. बाद में उन्होंने ‘तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम’ नामक एक छात्र संगठन की स्थापना की, जो द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था.कल्लाकुडी में हिंदी विरोधी विरोध प्रदर्शन में उनकी भागीदारी, तमिल राजनीति में अपनी जड़ मजबूत करने में करुणानिधि के लिए मददगार साबित होने वाला पहला प्रमुख कदम था.करुणानिधि अपनी वक्तव्य शैली और राजनीति पर दमदार पकड़ के चलते तमिलनाडु के लोगों के दिलों पर राज करते थे. उनकी लिखी फिल्मों की वजह से पहले ही लोग उन्हें स्टार मानते थे. राजनीति में आने के बाद उन्होंने अपने इस स्टार स्टेटस को और मजबूत किया. एक और चीज जिसने उनकी इस छवि को प्रभावी बनाया, वह था उनका स्टाइल. किसी फिल्म स्टार की तरह वे हमेशा काला चश्मा और कंधे पर पीला गमछा पहनकर निकलते थे.

6. वी. वी. सुब्रमण्य अय्यर:- स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी वी. वी. सुब्रमण्य अय्यर का निधन हुआ था. वी. वी. सुब्रमण्य अय्यर वर्ष 1920 तक पांडिचेरी में रहे और यहां उनकी महर्षि अरविंद से मुलाकात हुई. वे पांडिचेरी से मद्रास आ गये और यहां उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और सजा हुई. उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण फ्रांसीसी अधिकारियों ने भी एक बार उन्हें पांडिचेरी से देश निकाला देकर अलजीयर्स पहुँचा दिया था.

7. चिमनभाई पटेल:- आज ही के दिन वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ थे, जो गुजरात के भूतपूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल का संखेड़ा में जन्म हुआ था. सरकार गिराने और सरकार बनाने में सबसे माहिर खिलाड़ी थे चिमनभाई पटेल. वर्ष 1973 की बात है गुजरात के चौथे मुख्यमंत्री घनश्याम ओझा का इस्तीफ़ा स्वीकार हो गया. यह एक ऐसे गांधीवादी नेता की विदाई थी, जिसने उठापटक की सियासत के गुर नहीं सीखे थे. इधर चिमन भाई पटेल के पास महज़ 70 विधायक थे.ओझा को हटाए जाने के बाद कांग्रेस के विधायक मंडल का नया नेता चुना जाना था. चिमन भाई एक बार फिर से दौड़ में शामिल थे.ये जून के आखिरी सप्ताह की बात है. चिमनभाई पटेल अपनी दावेदारी पेश करने के लिए इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे.इस मुलाक़ात में दोनों तरफ गर्मी काफी बढ़ गई. अंत में चिमनभाई पटेल ने इंदिरा गांधी को तल्ख़ अंदाज में कहा, “आप यह तय नहीं कर सकती कि गुजरात में विधायक दल का नेता कौन होगा. यह चीज वहां के विधायक ही तय करेंगे.” बताते चलें कि,इंदिरा गांधी: कांग्रेस में उनकी हर बात नियम बन जाती थी. इंदिरा के लिए यह नई बात थी. अब तक कांग्रेस में किसी भी नेता ने उनके सामने फन्ने खां बनने की जुर्रत नहीं की थी. उनका फैसला ही पार्टी का फैसला होता था.

8. जॉर्ज फ़र्नांडिस:- आज ही के दिन वर्ष 1930 में पूर्व ट्रेड यूनियन नेता थे, जो राजनेता, पत्रकार और भारत के रक्षामंत्री जॉर्ज फ़र्नांडिस का जन्म मैंगलोर के मैंग्‍लोरिन-कैथोलिक परिवार में हुआ था. इन्‍होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मैंगलौर के स्‍कूल से पूरी की. इसके बाद मैंगलौर के सेंट अल्‍योसिस कॉलेज से अपनी 12वीं कक्षा पूरी की. घर की पारम्परा के अनुसार उन्हे 16 वर्ष की आयु में बैंगलोर के सेंट पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया. 19 वर्ष की आयु में वे सेमिनरी छोड़ भाग गए और मैंगलौर के रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा होटल एवं रेस्‍तरां में काम करने लगे.  वर्ष 1949 में जॉर्ज मैंगलोर छोड़ मुम्बई काम की तलाश में आ गए. मुम्बई में इनका जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा रहा. एक समाचारपत्र में प्रूफरीडर की नौकरी मिलने से पहले वे फुटपाथ पर रहा करते थे और चौपाटी स्‍टैंड की बेंच पर सोया करते थे लेकिन रात में ही एक पुलिस वाला आकर उन्‍हें उठा देता था जिसके कारण उन्‍हें जमीन पर सोना पड़ता था. ज्ञात है कि, जॉर्ज राममनोहर लोहिया के करीब आए और उनके जीवन से काफी प्रभावित हुए. उसके बाद वे सोशलिस्‍ट ट्रेड यूनियन के आन्दोलन में शामिल हो गए. इस आन्दोलन में उन्‍होंने मजदूरों, कम पैसे में कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारियों तथा होटलों और रेस्तरांओं में काम करने वाले मजदूरों के लिए आवाज उठाई. इसके बाद वे वर्ष 1950 में श्रमिकों की आवाज बन गए.  वर्ष 1977 में, आपातकाल हटा दिए जाने के बाद, फ़र्नान्डिस ने अनुपस्थिति में बिहार में मुजफ्फरपुर सीट जीती और उन्हें इंडस्ट्रीज के केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया. केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने निवेश के उल्लंघन के कारण, अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों आईबीएम और कोका-कोला को देश छोड़ने का आदेश दिया. वह वर्ष 1989-90 तक रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोंकण रेलवे परियोजना के पीछे प्रेरणा शक्ति थी. वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार (1998-2004) में रक्षा मंत्री थे, जब कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान और भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए.

9. रूमा पाल:- आज ही के दिन वर्ष 1941 में  महिला न्यायधीश रूमा पाल का जन्म हुआ था.

10. एयर इंडिया की पहली उड़ान लंदन तक:-  आज ही के दिन वर्ष 1948 में एयर इंडिया ने अपनी पहली उड़ान मुम्बई से लंदन तक की. जिससे दोनों देशों के बीच विमान संबंधों की शुरुआत हुई थी.

11. सारिका ठाकुर:- आज ही के दिन वर्ष 1962 में अभिनेत्री सारिका ठाकुर का जन्म सारिका का जन्म नई दिल्ली में मराठी और राजपूत वंश के एक परिवार में हुआ था. जब वह बहुत छोटी थी तब उसके पिता ने परिवार छोड़ दिया. तभी से वह परिवार की कमाने वाली बन गई. सारिका के पिता का नाम दिनेश सावंत है.अभिनेत्री सारिका ने अपने करियर की शुरुआत सात साल की छोटी उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में की थी। उनकी पहली फिल्म दिवंगत फिल्मकार बीआर चोपड़ा की 1967 में आई हमराज थी. उनके पति कमल हासन (भारतीय फिल्म अभिनेता, राजनीतिज्ञ, पटकथा लेखक और फ़िल्म निर्माता) हैं.

12. तालारी रंगैय्या:- आज ही के दिन वर्ष 1970 में आंध्र प्रदेश के राजनीतिज्ञ तालारी रंगैय्या का जन्म हुआ था.

13. कृष्ण बल्लभ सहाय:- आज ही के दिन वर्ष 1974 में बिहार के मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण बल्लभ सहाय का निधन हुआ था. कृष्ण बल्लभ सहाय वर्ष 1920 के असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए. वर्ष 1923 में सहाय ने समाज पार्टी के मंत्री के रूप में बिहार विधान परिषद में प्रवेश किया. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. कृष्ण बल्लभ सहाय ने स्वामी सहजानंद द्वारा चलाए गये किसान आन्दोलन में सक्रिय रूप से सहयोग किया था. सहाय पहले बिहार के राजस्व मंत्री और फिर संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. सहाय  2 अक्टूबर 1963 से 5 मार्च 1967 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे.

14. मुनि जिनविजय:- आज ही के दिन वर्ष 1976 में प्राचीन भारतीय साहित्य के अन्वेषी, संपादक और पाठालोचक मुनि जिनविजय का निधन हुआ था.

15. तृप्ति मुर्गंडे:- आज ही के दिन वर्ष 1982 में बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुर्गंडे का जन्म हुआ था.

16. भारत सहायता मंच:- आज ही के दिन वर्ष 1994 में भारत सहायता क्लब का नया नाम ‘भारत सहायता मंच’ किया गया.

17. के. चन्द्रशेखर राव:-  आज ही के दिन वर्ष 2008 में तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चन्द्रशेखर राव ने उपचुनाव में क़रारी हार के बाद अपने पर से इस्तीफ़ा दिया.

18. निर्यात पर रिफंड:- आज ही के दिन वर्ष 2008 में केन्द्र सरकार ने सीमेंट निर्यात पर रिफंड को दी गई मंज़ूरी वापस ली.

19. भजन लाल:- आज ही के दिन वर्ष 2011में हरियाणा के कुशल राजनीतिज्ञ तथा तीन बार के मुख्यमंत्री भजन लाल का निधन हुआ था.

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Remember those moments- 27.

1.  Balkrishna Bhatt:- On this day in the year 1844, Balkrishna Bhatt, the top creator of modern Hindi literature, was born in a prestigious family of Prayag (Uttar Pradesh). Bhatt’s mother was more educated and intelligent than her husband. His influence was more on Balkrishna Bhatt. Pandit Balkrishna Bhatt’s father’s name was Pt. Veni Prasad. Bhatt used to study at Mission School. The principal there was a Christian priest. Due to Bhatt’s debate, he stopped going to the mission school. After getting an education till the tenth standard in school, Bhatt ji studied Sanskrit at home. Apart from Sanskrit, he also got a good knowledge of Hindi, English, Urdu, and Persian languages. Bhatt was a person of independent nature. He did business and he was also a Sanskrit teacher in Kayastha school Prayag for some time but his mind was not interested in anyone. Impressed by Bhartendu ji, Bhatt took a vow to serve Hindi literature. Bhatt brought out a monthly paper named Hindi Pradeep and he himself was the editor of this paper. For the promotion of Hindi, he established a meeting called Hindivardhini in Prayag in Samvat 1933. A Hindi monthly letter was also published on his behalf, whose name was “Hindi Pradeep”. Apart from Hindi Pradeep, Balkrishna Bhatt also edited two-three other magazines. Bhatt’s essays were always original and full of emotion. He was so busy that he did not get time to write books. Still he wrote “Sau Ajan Ek Sujan”, “Rail Ka Vikat Khel”, “Nutan Brahmachari”, “Bal Vivah” and “Bhagya Ki Parakh” etc. Wrote books.

2. Harvilas Sharda:- On this day in the year 1867, educationist, politician, social reformer, jurist, and writer Harvilas Sharda was born in a Maheshwari family in Ajmer. His father Shriyut Har Narayan Sharda (Maheshwari) was a Vedanti, who worked as a librarian at the Government College, Ajmer. Sharda passed his matriculation examination in the year 1883. Thereafter, he studied at Agra College (then affiliated with the University of Calcutta) and obtained a Bachelor of Arts degree in the year 1888. He passed with honors in English and also studied philosophy and Persian. He started his career as a teacher in the year 1889 at Government College, Ajmer. He wanted to pursue further studies at Oxford University but abandoned his plans due to his father’s ill health. Sharada traveled extensively in British India, from Shimla in the north to Rameswaram in the south and from Bannu in the west to Calcutta in the east. In the year 1888, Sharda visited the session of the Indian National Congress at Allahabad. He attended many more meetings of the Congress. In the year 1892, Sharda started working in the judicial department of Ajmer-Merwara province. In the year 1894, he became the Municipal Commissioner of Ajmer and worked on revising the Ajmer Regulation Book, a compendium of laws and regulations of the province. Sharda was instrumental in setting up a DAV school in Ajmer and later became the president of the DAV committee of Ajmer. He also played an important role in organizing the birth centenary celebrations of Dayanand in Mathura in the year 1925. He was the general secretary of the group which organized a celebration for Dayanand’s half-centenary in 1933 at Ajmer.

3. Panicker, K. M.: – On this day in the year 1895, politician, diplomat, and scholar Panikkar of Mysore (Karnataka), K. M. was born in Travancore. Educated at Oxford University, Panikkar studied for the Bar at Middle Temple, London, and returned to India to teach at Aligarh and Calcutta Universities. In the year 1925, he turned to journalism and became the editor of The Hindustan Times. He entered political life while serving the Indian princely states, working as secretary to the chancellor of Narendra Mandal. He also served as Foreign Minister of the princely state of Patiala Foreign Minister of the princely state of Bikaner and later as Chief Minister (1944–47). After India became independent, he was made ambassador to China (1948–52), Egypt (1952–53), and France (1956–59). Later in life he returned to teaching and held the post of Vice-Chancellor of the University of Mysore for the rest of his life. But stay seated. Panikkar’s studies on the Portuguese and the Dutch in Malabar, particularly his work ‘Asia and Western Dominance’ (1953), reflected his interest in European influence on Asia. He has also written plays and novels.

4. Hindi Sahitya Sammelan: – On this day in the year 1918, under the chairmanship of Gandhiji, ‘Hindi Sahitya Sammelan’ was organized in Indore, and through a resolution passed in the same, Hindi was considered the official language. Many big writers, poets, and litterateurs in Hindi participated in this conference.

5. M. Karunanidhi:- On this day in the year 1924, M. Karunanidhi, Indian politician and former Chief Minister of Tamil Nadu, was born in Tirukkuvalai, Madras Presidency, British India. His father’s name was Muttuvel and his mother was Anjugam. He belonged to the Vellalar community of Christianity.M. Karunanidhi started his career as a screenwriter in the Tamil film industry. Through his wit and oratory, he became a great statesman in no time. M. Karunanidhi was associated with the Dravidian movement and was famous for writing historical and social stories promoting socialist and Buddha ideals. He used the Tamil cinema world to propagate his political views through his film ‘Parashakti’. Initially, this film was banned, but later it was released in the year 1952. It proved to be a very big film at the box office. Karunanidhi had three marriages. His first wife’s name was Padmavathi Ammal, with whom he had a son, named M.K. It’s Muthu. Padmavati died around the time Muthu was born. He was then married to Dayalu Amma, with whom the couple had four children – M.K. Alagiri, M.K. Stalin, M.K. Tamilarasu, and Selvi. His third wife’s name is Rajathiyammal, with whom he has a daughter, Kanimozhi. Inspired by a speech by Justice Party’s Alagiriswamy, M. Karunanidhi entered politics at the age of 14 and participated in the anti-Hindi movement. He established an organization for the local youth of his area. He circulated a handwritten newspaper called ‘Manavar Nesan’ to its members. He later founded a student organization called ‘Tamil Nadu Tamil Manavar Mandram’, which was the first student wing of the Dravidian movement. His participation in the anti-Hindi protests at Kallakudi proved to be helpful for Karunanidhi in cementing his roots in Tamil politics. Vala was the first major step. Karunanidhi used to rule the hearts of the people of Tamil Nadu due to his oratory style and strong hold on politics. Because of the films written by him, people already considered him a star. After joining politics, he further strengthened his star status. Another thing that made this image of her effective was her style. Like a film star, he always used to go out wearing black glasses and a yellow scarf on his shoulder.

6.  Chimanbhai Patel: On this day in the year 1929, the politician of the Indian National Congress, former Chief Minister of Gujarat Chimanbhai Patel was born in Sankheda. Chimanbhai Patel was the most expert player in toppling the government and forming the government. In the year 1973, the resignation of the fourth Chief Minister of Gujarat Ghanshyam Ojha was accepted. It was a farewell to a Gandhian leader who had not learned the tricks of politics of upheaval. Here Chimanbhai Patel had only 70 MLAs. After Ojha was removed, the new leader of the Congress Legislature was to be elected. Chiman Bhai was once again involved in the race. This was in the last week of June. Chimanbhai Patel went to meet Indira Gandhi to present his claim. In this meeting, the heat increased a lot on both sides. In the end, Chimanbhai Patel told Indira Gandhi in a harsh manner, “You cannot decide who will be the leader of the Legislature Party in Gujarat. Only the MLAs there will decide this thing.” Let’s tell that, Indira Gandhi: Her every talk used to become a rule in Congress. This was a new thing for Indira. Till now no leader in Congress had dared to become Fanne Khan in front of him. His decision was the decision of the party.

7.  George Fernandes:- On this day in the year 1930, former trade union leader, politician, journalist, and India’s Defense Minister George Fernandes was born in a Mangalorean-Catholic family in Mangalore. He completed his primary education at Mangalore School. After this, he completed his 12th class at St. Alios Sis College, Mangalore. According to family tradition, at the age of 16, he was sent to St. Peter’s Seminary in Bangalore for religious education. At the age of 19, he left the seminary and started working in Mangalore’s road transport company and hotels and restaurants. In the year 1949, George left Mangalore and came to Mumbai in search of work. His life in Mumbai was full of difficulties. Before getting a job as a proofreader in a newspaper, he used to live on the footpath and used to sleep on the bench of the Chowpatty stand, but a policeman used to come and pick him up at night, due to which he had to sleep on the ground. It is known that George came close to Rammanohar Lohia and was greatly influenced by his life. After that, he joined the socialist trade union movement. In this movement, he raised his voice for the workers, the employees working in companies for less money and the workers working in hotels and restaurants. After this, he became the voice of the workers in the year 1950. In 1977, after the Emergency was lifted, Fernandes won the Muzaffarpur seat in Bihar in absentia and was appointed Union Minister for Industries. During his tenure as a Union minister, he ordered American multinationals IBM and Coca-Cola to leave the country, due to investment violations. She was the driving force behind the Konkan Railway project during her tenure as Railway Minister till 1989-90. He was the Defense Minister in the National Democratic Alliance (NDA) government (1998–2004), when the Kargil War broke out between India and Pakistan and India conducted nuclear tests at Pokhran.

8.  Ruma Pal: – On this day in the year 1941, female judge Ruma Pal was born.

9.  Air India’s first flight to London: – On this day in the year 1948, Air India made its first flight from Mumbai to London. This marked the beginning of air relations between the two countries.

10.  Sarika Thakur:- On this day in the year 1962, actress Sarika Thakur was born Sarika was born in New Delhi in a family of Marathi and Rajput descent. Her father left the family when she was very young. Since then she became the breadwinner of the family. Sarika’s father’s name is Dinesh Sawant. Actress Sarika started her career as a child artist at the young age of seven. His first film was the late filmmaker BR Chopra’s 1967 Humraaz. Her husband is Kamal Haasan (an Indian film actor, politician, screenwriter, and film producer).

11.  Talari Rangaiah: – On this day in the year 1970, Andhra Pradesh politician Talari Rangaiah was born.

12.  Krishna Ballabh Sahay:- On this day in the year 1974, Chief Minister of Bihar and freedom fighter Krishna Ballabh Sahay passed away. Krishna Ballabh Sahay joined the non-cooperation movement in the year 1920. In the year 1923, Sahay entered the Bihar Legislative Council as a minister of the Samaj Party. He was arrested during the Civil Disobedience Movement. Krishna Ballabh Sahay actively cooperated in the peasant movement started by Swami Sahajanand. Sahai first became the Revenue Minister of Bihar and then also the Chief Minister of United Bihar. Sahai held the post of Chief Minister from 2 October 1963 to 5 March 1967.

13.  Muni Jinvijay:- On this day in the year 1976, the explorer, editor, and text critic of ancient Indian literature, Muni Jinvijay passed away.

14.  Trupti Murgunde:- On this day in the year 1982, badminton player Trupti Murgunde was born.

15.  Bharat Sahayata Manch:- On this day in the year 1994, Bharat Sahayata Club was renamed as ‘Bharat Sahayata Manch’.

16.  K.K. Chandrasekhar Rao:- On this day in the year 2008, Telangana Rashtra Samithi President K. Chandrasekhar Rao resigned from his post after a crushing defeat in the by-election.

17.  Refunds on exports:- On this day in the year 2008, the Central Government withdrew the approval given to refunds on cement exports.

18.  Bhajan Lal:- On this day in the year 2011, an efficient politician and three-time Chief Minister of Haryana Bhajan Lal passed away.

 

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