
व्यक्ति विशेष -622.
स्वतंत्रता सेनानी विनोबा भावे
विनोबा भावे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्हें महात्मा गांधी के सबसे निकट सहयोगियों में से एक माना जाता है. उनका पूरा नाम विनायक नरहरि भावे था, उनका जन्म 11 सितंबर, 1895 को गाहोदे, गुजरात में हुआ था. उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और भारत में कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया.
विनोबा भावे ने “भूदान आंदोलन” की शुरुआत की, जो उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है. इस आंदोलन का उद्देश्य भूमिहीन और गरीब किसानों को जमीन दिलाना था. विनोबा ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जमींदारों और संपन्न लोगों से जमीन का दान मांगा ताकि इसे गरीब किसानों में बांटा जा सके. इस आंदोलन को व्यापक सफलता मिली, और कई हजार एकड़ भूमि का वितरण गरीबों में किया गया.
उनका जीवन साधना, अहिंसा, और सेवा का प्रतीक था. वे हमेशा सरल और सादा जीवन जीते थे और समाज के लिए अपने कार्यों में लीन रहते थे. उनके विचार भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित थे, और उन्होंने शिक्षा, समाज सुधार, और धर्म के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया.
15 नवम्बर 1982 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं. भारत सरकार ने उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया, और उन्हें भारत के महान समाज सुधारकों और मानवतावादियों में गिना जाता है.
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क्रिकेटर लाला अमरनाथ
लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के एक महान खिलाड़ी और क्रिकेट इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे. वे भारतीय क्रिकेट के पहले सुपरस्टार और एक उत्कृष्ट आलराउंडर के रूप में जाने जाते हैं. लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितंबर 1911 को कपूरथला, पंजाब में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना में प्राप्त की और क्रिकेट में अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए युवा उम्र से ही खेलना शुरू किया. लाला अमरनाथ ने वर्ष 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। यह भारत की पहली टेस्ट सीरीज़ थी.
उन्होंने वर्ष 1936 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में अपने करियर का बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने तीन शतकीय पारियां खेलीं और भारत को पहली बार एक टेस्ट मैच जीतने में मदद की.अमरनाथ एक प्रमुख आलराउंडर थे. उन्होंने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में उत्कृष्टता दिखाई. वे मध्यम गति की गेंदबाजी भी करते थे और शानदार बैटिंग तकनीक के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने वर्ष 1947-48 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने अपने प्रदर्शन के लिए विशेष रूप से सराहना प्राप्त की.
लाला अमरनाथ ने वर्ष 1940 – 50 के दशक में भारत की पहली वनडे टीम का भी हिस्सा बने. क्रिकेट के अलावा, लाला अमरनाथ ने भारतीय क्रिकेट के विकास के लिए भी काम किया. वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे. उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच के रूप में भी कार्य किया और कई युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षण दिया.
लाला अमरनाथ का विवाह वर्ष 1938 में सायरा अमरनाथ से हुआ और उनके तीन संतानें हैं, जिनमें एक बेटा मोहिंदर अमरनाथ और दो बेटियां शामिल हैं. लाला अमरनाथ का निधन 5 अगस्त 1996 को हुआ. उन्हें भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उनकी उत्कृष्टता और योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उन्हें उनकी क्रिकेट की उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, और उनका नाम भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों की सूची में अमर रहेगा.
लाला अमरनाथ की क्रिकेट यात्रा और उनके योगदान ने भारतीय क्रिकेट को महत्वपूर्ण दिशा दी और उन्हें भारतीय क्रिकेट का एक अनमोल रत्न बना दिया.
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अभिनेत्री ट्यूलिप जोशी
ट्यूलिप जोशी एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं. जो मुख्यतः हिंदी,कन्नड़,मलयालम,तेलुगु फिल्मों में नजर आतीं हैं.
ट्यूलिप जोशी का जन्म 11 सितंबर 1980 को मुम्बई, महराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 2002 में यशराज फिल्म्स की मेरे यार की शादी है से किया था.
फिल्में: – मातृभूमि, दिल मांगे मोर, धोखा, सुपरस्टार, होस्टल, बच्चन, जट्ट एयरवेज जैसी फिल्मों में काम किया.
उन्होंने हिंदी के अलावा पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी अभिनय किया .
ट्यूलिप जोशी का विवाह पूर्व सेना अधिकारी कैप्टन विनोद नायर से हुआ और दोनों मिलकर एक कंसल्टिंग फर्म चलाते हैं.
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अभिनेत्री श्रेया सरन
श्रेया सरन एक अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करती हैं. उनका जन्म 11 सितंबर 1982 को हरिद्वार, उत्तराखंड में हुआ था. वो एक कुशल कथक नृत्यांगना भी हैं और उन्होंने शोभना नारायण से कथक का प्रशिक्षण लिया है.
श्रेया सरन ने अपने कैरियर की शुरुआत एक संगीत वीडियो से की थी और फिर वर्ष 2001 में तेलुगु फिल्म इष्टम से अभिनय की दुनिया में कदम रखा.
फिल्में: – संतोषम (2002), शिवाजी: द बॉस (2007), दृश्यम (2015) और दृश्यम 2 (2022), आरआरआर (2022).
श्रिया सरन का विवाह वर्ष 2018 में अपने रूसी प्रेमी आंद्रेई कोस्चीव से की. इस दंपति की एक बेटी है, जिसका नाम राधा है.
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कवि गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी साहित्य के एक प्रख्यात कवि, कहानीकार, आलोचक और निबंधकार थे. वे प्रगतिशील आंदोलन के प्रमुख कवि माने जाते हैं और उनके साहित्य में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश की झलक मिलती है. मुक्तिबोध की कविताओं में व्यक्ति और समाज के अंतर्विरोध, अंधेरों और संघर्षों का वर्णन मिलता है, जो उन्हें हिंदी कविता के एक गहरे और संवेदनशील कवि के रूप में प्रतिष्ठित करता है.
मुक्तिबोध का जन्म 13 नवम्बर, 1917 को श्योपुर, मध्य प्रांत और बरार में हुआ था और उनका निधन 11 सितम्बर 1964 को भोपाल में हुआ. उनकी प्रमुख रचनाओं में चाँद का मुँह टेढ़ा है और भूरी भूरी ख़ाक धूल जैसी कविताएं शामिल हैं. मुक्तिबोध की कविताओं का प्रमुख स्वर आत्म-संवाद, मानसिक संघर्ष, और समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ आक्रोश है. वे उन गिने-चुने कवियों में से एक थे जिन्होंने मनुष्य के भीतर चल रहे द्वंद्व, समाज में व्याप्त अनैतिकताओं और आंतरिक पीड़ा को अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया.
उनकी आलोचना कृतियाँ, जैसे नई कविता का आत्मसंघर्ष, और एक साहित्यिक की डायरी, साहित्य के सिद्धांतों और समाज में साहित्य के महत्व पर विचार करती हैं. मुक्तिबोध ने अपनी लेखनी के माध्यम से विचार और संवेदनाओं की गहराई को छुआ और आधुनिक हिंदी कविता को नई दिशा दी.
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साहित्यकार महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की एक प्रमुख लेखिका, कवयित्री और निबंधकार थीं. उन्हें हिंदी की “छायावादी” काव्यधारा की एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है. उनका जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद में हुआ था. महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में प्रेम, करुणा, पीड़ा और समाज में महिलाओं की स्थिति को अभिव्यक्ति दी है.
उनकी कुछ प्रमुख काव्य कृतियाँ “यामा,” “नीरजा,” “रश्मि,” और “सांध्यगीत” हैं. इसके अलावा, महादेवी वर्मा ने कई प्रसिद्ध निबंध भी लिखे, जिनमें उन्होंने समाज और महिलाओं से जुड़े विषयों पर गहराई से विचार किया. उनके निबंध संग्रहों में “अतीत के चल चित्र” और “पथ के साथी” विशेष रूप से चर्चित हैं.
महादेवी वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें प्रमुख हैं: -साहित्य अकादमी पुरस्कार (1956, यामा के लिए), पद्म भूषण (1956), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982), पद्म विभूषण (1988).
उनकी कविताओं में एक प्रकार की करुणा और संवेदना देखने को मिलती है, जो उनके व्यक्तित्व और जीवन-दर्शन को भी दर्शाती हैं. महादेवी वर्मा का साहित्यिक योगदान न केवल हिंदी साहित्य में, बल्कि भारतीय समाज के सांस्कृतिक और मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उनका निधन 11 सितंबर 1987 को हुआ, लेकिन उनका साहित्यिक योगदान आज भी अमर है.
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स्वामी अग्निवेश
स्वामी अग्निवेश एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता, और आर्य समाज के नेता थे. वे अपने मानवाधिकार, समाज सुधार, और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के लिए जाने जाते हैं. स्वामी अग्निवेश का जन्म 21 सितंबर 1939 को आंध्र प्रदेश के शख्तुल्ला इलाके में हुआ था, और उनका असली नाम वेंकटेश्वर राघव रेड्डी था. उन्होंने धार्मिक और सामाजिक सुधारों के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी सक्रिय भूमिका निभाई.
स्वामी अग्निवेश ने कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून और अर्थशास्त्र में पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक अध्यापन किया और फिर समाज सेवा और राजनीति में उतर गए. वे आर्य समाज से प्रभावित थे, जिसके सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने सामाजिक सुधार और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
स्वामी अग्निवेश का सबसे महत्वपूर्ण योगदान बंधुआ मजदूरी के खिलाफ लड़ाई में था. उन्होंने 1981 में बंदुआ मुक्ति मोर्चा (Bonded Labor Liberation Front) की स्थापना की, जो भारत में बंधुआ मजदूरी की समाप्ति के लिए एक बड़ा आंदोलन था. इस आंदोलन ने हजारों बंधुआ मजदूरों को आजाद कराया और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की. वे हमेशा से दलितों, आदिवासियों, और कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। उनके कार्यों में शराबबंदी, बाल श्रम के खिलाफ आंदोलन, और महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास शामिल थे.
स्वामी अग्निवेश ने राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई. वर्ष 1977 में वे हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री बने. हालांकि, उन्होंने जल्द ही राजनीति से खुद को दूर कर लिया और समाज सेवा और सामाजिक आंदोलनों पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने 2011 के अन्ना हज़ारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी हिस्सा लिया और भारत में लोकपाल बिल की मांग के समर्थन में आवाज उठाई. वे एक बेबाक वक्ता और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक थे, और हमेशा सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाने जाते थे.
स्वामी अग्निवेश आर्य समाज के एक प्रमुख नेता थे. उन्होंने आर्य समाज के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों पर भी काम किया. वे धार्मिक कट्टरता के खिलाफ थे और धार्मिक सहिष्णुता और संवाद के समर्थक थे. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और सभी धर्मों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया. अपने बेबाक विचारों और आंदोलनों के कारण स्वामी अग्निवेश कई बार विवादों में भी रहे. वे धार्मिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे, और कुछ समय उनके विचारों का विरोध भी हुआ. लेकिन वे अपनी निडरता और समर्पण के साथ सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की लड़ाई में जुटे रहे.
स्वामी अग्निवेश को उनके सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया. वे एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेता थे, जिन्होंने अपना जीवन समाज के वंचित और उत्पीड़ित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित किया. स्वामी अग्निवेश का निधन 25 सितंबर 2020 को हुआ था, लेकिन उनके विचार और उनका योगदान हमेशा याद किए जाते रहेंगे.