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व्यक्ति विशेष -613.

चिकित्सा विज्ञानी रमन विश्वनाथन

रमन विश्वनाथन एक प्रसिद्ध भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक थे, जिन्हें भारत में “चेस्ट मेडिसिन का जनक” माना जाता है. उन्होंने विशेष रूप से फुफ्फुसीय रोगों (pulmonary diseases) और क्षय रोग (tuberculosis) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

रमन विश्वनाथन का जन्म 8 सितंबर 1899 को तमिलनाडु के नागरकोइल में हुआ था और उनका निधन 14 जुलाई 1982 को हुआ.उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने भारत और विदेशों में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया, जिसमें रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियंस, लंदन भी शामिल है.

डॉ. रमन विश्वनाथन ने भारत में छाती और श्वसन संबंधी रोगों के इलाज और अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.चिकित्सा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.

डॉ. रमन विश्वनाथन दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के संस्थापक निदेशक थे. इस संस्थान ने भारत में फुफ्फुसीय रोगों के अनुसंधान और उपचार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम किया. उन्होंने कई शोध पत्र और किताबें प्रकाशित कीं और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया.  

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साहित्यकार राधाकृष्ण

हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध साहित्यकार थे  राधाकृष्ण। उन्हें विशेष रूप से उनकी कहानियों और उपन्यासों के लिए जाना जाता है. राधाकृष्ण का जन्म 08 सितंबर 1910 को रांची, (झारखंड) में हुआ था और उनका निधन 3 फ़रवरी 1979 को हुआ. उन्होंने लेखन की शुरुआत कहानी से की, लेकिन आगे चलकर उपन्यास भी लिखे.

राधाकृष्ण की रचनाओं में मुख्य रूप से झारखंड के आदिवासी जीवन, उनकी संस्कृति, और सामाजिक समस्याओं का सजीव चित्रण मिलता है. उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से शोषित और उपेक्षित वर्ग की पीड़ा को सामने रखा. उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावपूर्ण होती थी.

रचनाएँ: –

उपन्यास:  –        ‘फूटपाथ’ और ‘सँवला सलोना’.

कहानी संग्रह:  –  ‘रामलीला’, ‘सजला’, ‘गेंद और गोल’, ‘कहानी यात्रा’.

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गायक भूपेन हज़ारिका

भूपेन हज़ारिका भारतीय गायक, संगीतकार, गीतकार, कवि और फिल्म निर्माता थे. उनका जन्म 8 सितंबर 1926 को असम में हुआ था. उन्हें असमिया, हिंदी और बंगाली भाषाओं में अपने गाने और संगीत के लिए जाना जाता है, और उन्होंने भारतीय लोक संगीत और पारंपरिक धुनों को अपने संगीत में शामिल करके उसे एक अनूठा रूप दिया. भूपेन हज़ारिका को उनके गहरे, प्रभावशाली और काव्यात्मक गीतों के लिए “संगीतकार, कवि और मानवतावादी” के रूप में सम्मानित किया गया.

भूपेन हज़ारिका का संगीत सामाजिक संदेशों, मानवीय संवेदनाओं और समाज में व्याप्त विषमताओं को दर्शाने के लिए जाना जाता है. उनके गाने जैसे “गंगा बहती हो क्यों” और “दिल हूम हूम करे” ने न केवल संगीत प्रेमियों को प्रभावित किया बल्कि सामाजिक समस्याओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया. हज़ारिका ने असमिया और हिंदी फिल्मों में संगीत निर्देशन किया और कई यादगार धुनें दीं.

गायक और संगीतकार भूपेन हज़ारिका का निधन 5 नवंबर 2011 को मुम्बई के कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी अस्पताल में हुआ था. उनके योगदान को मान्यता देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया. उन्हें मरणोपरांत 2019 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. भूपेन हज़ारिका की संगीत यात्रा और उनके समाज को जागरूक करने वाले गाने उन्हें हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रखेंगे.

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पार्श्व गायिका आशा भोंसले

आशा भोंसले हिंदी फिल्म जगत की मशहूर पार्श्व गायिका हैं. वह फिल्म इंडस्ट्री में आशा ताई के नाम से भी जानी जातीं हैं. उनकी विशेषता है कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है उन्होंने अब तक के अपने फ़िल्मी सफर में 16000 गानों में अपनी आवाज दी है. वह सिर्फ हिंदी में नहीं बल्कि मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषाओं में गाने गातीं हैं.

आशा भोंसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को  महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ. इनके पिता दीनानाथ मंगेसकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे. उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र से ही संगीत सीखना शुरू किया था. जब आशा ताई महज 9 वर्ष की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी. पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा.उनकी एक बड़ी बहन हैं-लता मंगेशकर-जोकि हिंदी सिनेमा स्वर कोकिला के नाम से जानी जातीं हैं.

आशा भोंसले की पहली शादी 16 वर्ष की उम्र में उनसे बड़े गणपत राव भोंसले से हुई. उनकी यह शादी परिवार की इच्छा के विरुद्ध हुई थी, जिस कारण उन्‍हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा था. लेकिन, उनकी शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. बाद में, उनका दुसरा विवाह राहुल देव वर्मन’(पंचम दा) से हुआ. आशा ताई की पहली शादी से उन्हें तीन बच्चे हैं- दो बेटे और एक बेटी.

आशा भोंसले को अपने कैरियर की शुरुआत में बेहद कड़ा संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया. उनकी गायिकी के कैरियर मे चार फिल्मे मिल का पत्थर, साबित हुई- नया दौड़ (1957), तीसरी मंजिल (1966), उमरॉव जान (1981) और रंगीला (1995).

आशा भोसले की पहली बड़ी सफल फिल्म थी. मो. रफी के साथ गाए उनके गीत यथा ‘माँग के हाथ तुम्हारा….’, ‘साथी हाथ बढ़ाना…’ और ‘उड़े जब जब जुल्फे तेरी…’ शाहिर लुधियानवी के द्वारा लिखित और ओ. पी. नैयर द्वरा संगीतबद्ध ने उन्हें एक खास पहचान दी.  उमराव जान (1981):- रेखा अभिनित ‘उमराव जान’(1981) आशा जी ने गज़ल गाया यथा- दिल चीज क्या है. …, इन आँखों की मस्ती के…, ये क्या जगह है दोस्तों… और जुस्त जु जिसकी थी.इन गज़लों के संगीतकार खय्याम थे.

गीत: –  “पिया तू अब तो आजा”, “दिल चीज़ क्या है”, “जाईये आप कहाँ जाएँगे”, “शरारा शरारा”.

आशा भोंसलें नें अपने हिंदी फ़िल्मी कैरियर में कई सफल संगीत निर्देशकों के साथ काम किया हैं. उन्होंने हिंदी फिल्म सिनेमा में छ: दशकों तक अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरा है.  उनके इस महान योगदान के लिए उन्हें हिंदी सिनेमा में कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया.

आशा भोंसलें की आवाज़ में एक चंचलता, एक भावनात्मक गहराई और एक प्रयोगशीलता है जो उन्हें हर पीढ़ी की पसंदीदा बनाती है. वे सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर हैं.

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अभिनेता सतीश कौल

सतीश कौल एक भारतीय अभिनेता थे, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया. उन्हें अपने समय के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक माना जाता था. कौल ने वर्ष 1970 – 80 के दशक में अपने अभिनय कैरियर के चरम पर बहुत सी फिल्मों में काम किया और विविध भूमिकाओं में अपनी प्रतिभा दिखाई. उनका जन्म 08 सितंबर 1954 को कश्मीर में हुआ था.

सतीश कौल को विशेष रूप से पंजाबी फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है, जहां उन्होंने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया. वे अपने विविध अभिनय कौशल के लिए प्रसिद्ध थे, जिसमें वे नायक, सहायक भूमिका और यहाँ तक कि खलनायक के रूप में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते थे.

उन्होंने न केवल फिल्मों में, बल्कि टेलीविजन पर भी काम किया. सतीश कौल ने धारावाहिकों में भी अभिनय किया, जिसमें सबसे उल्लेखनीय भूमिका बी.आर. चोपड़ा की महाभारत में थी, जहाँ उन्होंने इंद्र की भूमिका निभाई थी.

उनके व्यापक अभिनय कैरियर के बावजूद, सतीश कौल के बाद के जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें वित्तीय संकट और स्वास्थ्य समस्याएं शामिल थीं. उनके जीवन के इस पहलू ने मनोरंजन उद्योग के प्रति लोगों की सहानुभूति और चिंता को आकर्षित किया.

सतीश कौल का 10 अप्रैल 2021 को निधन हो गया, लेकिन उनके अभिनय का योगदान और उनकी फिल्में आज भी उनके प्रशंसकों द्वारा याद की जाती हैं. उनके निधन के समय, फिल्म और टेलीविजन उद्योग के कई सदस्यों और प्रशंसकों ने उनके योगदान को याद किया और शोक व्यक्त किया.

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अभिनेत्री विभा आनंद

विभा आनंद एक अभिनेत्री हैं जो मुख्य रूप से हिंदी टेलीविज़न और फिल्म इंडस्ट्री में काम करती हैं. उन्हें सबसे ज़्यादा पहचान मिली कलर्स टीवी के लोकप्रिय शो “बालिका वधू” में सुगना की भूमिका से, जिसने उन्हें घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया।

विभा आनंद का जन्म 8 सितंबर 1990 को देहरादून, उत्तराखंड में हुआ था. उन्होंने हाल के वर्षों में OTT प्लेटफॉर्म पर भी काम किया है और तमिल फिल्म Mookuthi Amman में भी नज़र आईं.

टीवी शो और फिल्में: – बालिका वधू, महाभारत, कैसी ये यारियां, बेगूसराय

फिल्मों में: – उन्होंने “द स्टोनमैन मर्डर्स” और “इसी लाइफ में…!” जैसी कुछ फिल्मों में भी काम किया है.

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भूतपूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री राम जेठमलानी

राम जेठमलानी एक प्रसिद्ध भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ और भूतपूर्व केंद्रीय कानून मंत्री थे. उन्हें भारतीय न्यायिक प्रणाली में सबसे तेज-तर्रार और विवादास्पद वकीलों में से एक माना जाता था. उनका कानूनी कैरियर लगभग सात दशकों तक फैला रहा, और उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में अपना प्रभावशाली कौशल दिखाया.

राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (अब पाकिस्तान) के शिकारपुर में हुआ था. उन्होंने बहुत कम उम्र में कानून की पढ़ाई पूरी की, और 17 साल की उम्र में कानून की डिग्री प्राप्त की. भारत के विभाजन के बाद जेठमलानी भारत आए और यहां उन्होंने वकालत शुरू की. वे प्रमुख आपराधिक मामलों में अपनी प्रभावशाली वकालत के लिए प्रसिद्ध हुए. उनका कानूनी कैरियर उन्हें भारत के सबसे महंगे और सफल वकीलों में से एक बन गये.

राम जेठमलानी ने कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में वकालत की, जिनमें राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील मुद्दे शामिल थे. वे भारतीय न्यायपालिका के सबसे प्रमुख और अनुभवी वकीलों में गिने जाते थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में अभियुक्तों का बचाव किया, जो जनता और मीडिया में अत्यधिक चर्चा का विषय बने.

जेठमलानी न केवल एक वकील थे, बल्कि उन्होंने भारतीय राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े रहे और कुछ समय तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री भी रहे. वे वर्ष 1996 और वर्ष 1998-2000 तक कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे. जेठमलानी ने राजनीति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई बार बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के साथ जुड़े रहे.

जेठमलानी अपनी बेबाकी और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध थे. वे अक्सर अपने बयानों और विवादित विचारों के कारण सुर्खियों में रहते थे, चाहे वह राजनीतिक हों या कानूनी मुद्दे.

राम जेठमलानी का व्यक्तित्व बेहद प्रभावशाली था, और वे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किए जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से सफलता प्राप्त की.08 सितंबर 2019 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी कानूनी और राजनीतिक विरासत आज भी भारतीय समाज में गहरी छाप छोड़ती है.

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