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व्यक्ति विशेष -609.

दोराबजी टाटा

दोराबजी टाटा, भारतीय उद्योगपति थे. वो टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे. उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने और टाटा समूह को एक प्रमुख औद्योगिक साम्राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई  थी.

दोराबजी टाटा का जन्म 27 अगस्त 1859 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में पूरी की और बाद में इंग्लैंड चले गए, जहाँ उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इतिहास और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. वर्ष 1904 में अपने पिता जमशेदजी टाटा के निधन के बाद, दोराबजी ने टाटा समूह की कमान संभाली. उन्होंने अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का बीड़ा उठाया.

वर्ष 1907 में भारत का पहला इस्पात संयंत्र, जो जमशेदपुर (तत्कालीन साकची) में स्थापित किया गया. उन्होंने जमशेदपुर को एक आधुनिक औद्योगिक शहर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्ष 1911 में भारत का पहला निजी जल विद्युत उत्पादन कंपनी की स्थापना की.

दोराबजी ने अपनी पत्नी की याद में ‘लेडी टाटा मेमोरियल ट्रस्ट’ की स्थापना की, जो रक्त संबंधी रोगों के अनुसंधान और अध्ययन को बढ़ावा देता है. उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की स्थापना के लिए भी महत्वपूर्ण धनराशि प्रदान की. दोराबजी खेलों के बहुत बड़े प्रेमी थे और उन्होंने भारतीय ओलंपिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई. भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने वर्ष 1924 में पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय दल को वित्तीय सहायता दी.

वर्ष 1910 में दोराबजी को उद्योग जगत में उनके योगदान के लिए ब्रिटिश सरकार ने ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया था. दोराबजी टाटा का निधन 03 जून 1932 को किसिंग्रन में हुई थी. दोराबजी टाटा ने अपनी सारी संपत्ति ‘सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट’ को दान कर दी. यह ट्रस्ट आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.

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अभिनेत्री सुचित्रा पिल्लई

सुचित्रा पिल्लई  एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल, एंकर, वीजे और गायिका हैं. सुचित्रा का जन्म 27 अगस्त 1970 को हुआ था. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की, लेकिन बाद में कला के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया.

सुचित्रा ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 2001 में इल्म बस इतना सा ख्वाब से की थी. फिल्मी दुनिया के अलावा वह हिंदी टीवी जगत में भी सक्रिय हैं, वह अब तक कई हिंदी टीवी शोज में अभिनय कर चुकी हैं, जिनमें हिप हिप हुर्रे, 24, प्रधान मंत्री, बेइन्तहा आदि.

फ़िल्में: – उनकी पहली फिल्म 2001 में “बस इतना सा ख्वाब है” थी. वह “दिल चाहता है” (2001), “पेज 3” (2005), “फैशन” (2008) और “लागा चुनरी में दाग” (2007).

 टेलीविजन: – उन्होंने “हिप हिप हुर्रे”, “24”, “बेइन्तहा” और “एक श्रृंगार-स्वाभिमान” जैसे कई टीवी शो में भी काम किया है.

ओटीटी और वेब सीरीज: – वह ओटीटी प्लेटफार्म पर भी सक्रिय हैं और “हेलो मिनी”, “बेताल”, “मेड इन हेवन”, “बेशर्मी” और “राणा नायडू” जैसी कई वेब सीरीज में नजर आ चुकी हैं.

सुचित्रा पिल्लई अपनी दमदार और सशक्त भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने फिल्मों, टेलीविजन और वेब सीरीज में कई अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं. अभिनय के अलावा, वह एक वीजे (वीडियो जॉकी) और गायिका भी हैं. उनका एक संगीत एल्बम “सच इज लाइफ” भी 2011 में जारी हुआ था.

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रेसलर और लिफ्टर दिलीप सिंह राणा उर्फ ग्रेट खली

मशहूर रेसलर और लिफ्टर दिलीप सिंह राणा को पूरी दुनिया द ग्रेट खली के नाम से जानती है. उनका जन्म 27 अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हुआ था. खली अपनी विशाल कद-काठी के लिए जाने जाते हैं. उनकी हाइट 7 फीट 1 इंच और वजन करीब 157 किलो है.

WWE में जाने से पहले खली पंजाब पुलिस में एक अधिकारी के रूप में काम करते थे. उन्होंने वर्ष 2000 में प्रोफेशनल रेसलिंग में अपना कैरियर शुरू किया और जल्द ही अमेरिका में ऑल प्रो रेसलिंग, वर्ल्ड चैंपियनशिप रेसलिंग और न्यू जापान प्रो-रेसलिंग जैसी प्रमुख लीगों में अपनी पहचान बनाई.

खली ने वर्ष 2006 में WWE में कदम रखा और अपनी पहली ही फाइट में द अंडरटेकर जैसे दिग्गज पहलवान को हराकर तहलका मचा दिया. वर्ष  2007 में उन्होंने वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप का खिताब जीता, और WWE में यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय बने. खली ने अपने कैरियर में जॉन सीना, बिग शो और ट्रिपल एच जैसे कई बड़े रेसलर्स के साथ मुकाबले किए. वर्ष 2014 तक वे WWE में सक्रिय रहे और बाद में वर्ष 2021 में उन्हें WWE हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.

खली ने रेसलिंग के अलावा कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है. उन्होंने ‘द लॉन्गेस्ट यार्ड’ और ‘मैकग्रुबर’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भूमिका निभाई है. बॉलीवुड में वे ‘रामा: द सेवियर’ और ‘कुश्ती’ जैसी फिल्मों में नज़र आए. इसके अलावा, वह टीवी शो ‘बिग बॉस 4’ में भी उपविजेता रहे थे.

वर्ष 2015 में उन्होंने पंजाब के जालंधर में अपनी खुद की रेसलिंग अकादमी, कॉन्टिनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट (CWE) की शुरुआत की, जिसका मकसद भारत में नए और युवा रेसलर्स को ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाना है. खली अब युवाओं को नशे से दूर रहने और खेलों में अपना कैरियर बनाने के लिए भी प्रेरित करते हैं.

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पार्श्व गायक मुकेश

मुकेश भारतीय सिनेमा के एक महान पार्श्व गायक थे, जिन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उनका पूरा नाम मुकेश चंद माथुर था, और उनका जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था.

मुकेश ने अपनी गायन की शुरुआत वर्ष 1941 में फिल्म “निर्दोष” से की, लेकिन उन्हें पहली बड़ी सफलता वर्ष 1949 में फिल्म “अंदाज़” के गाने “झूम झूम के नाचो आज” से मिली. इसके बाद उन्होंने कई यादगार गाने गाए जो आज भी सुनने वालों के दिलों में बसे हुए हैं.

प्रसिद्ध गाने: –

“दिल जलता है तो जलने दे” – फिल्म: पहली नज़र,

“सहाना सफर और ये मौसम हसीन” – फिल्म: चलती का नाम गाड़ी,

“कहीं दूर जब दिन ढल जाए” – फिल्म: आनंद,

“जीना यहाँ, मरना यहाँ” – फिल्म: मेरा नाम जोकर,

“दोस्त दोस्त ना रहा” – फिल्म: संगम,

मुकेश को उनकी सुरीली आवाज और गीतों में अद्वितीय भावनाओं के संप्रेषण के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपने कैरियर में कई अवार्ड्स जीते, जिसमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल हैं.

मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को हो गया, लेकिन उनके गाने आज भी उनके फैंस के दिलों में जिंदा हैं.

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अभिनेत्री नेहा धूपिया

नेहा धूपिया एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और पूर्व सौंदर्य प्रतियोगिता विजेता हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. नेहा का जन्म 27 अगस्त 1980 को कोच्चि में हुआ  था. उन्होंने वर्ष 2002 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता और उसी साल मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

नेहा ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 2003 में फिल्म ‘कयामत: सिटी अंडर थ्रेट’ से की थी. इसके बाद उन्होंने कई सफल और चर्चित फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘क्या कूल हैं हम’ (2005), ‘गरम मसाला’ (2005), ‘सिंह इज़ किंग’ (2008) और ‘तुम्हारी सुलु’ (2017) शामिल हैं.

 टेलीविजन और ओटीटी: – फिल्मों के अलावा, वह टेलीविजन पर भी काफी सक्रिय रही हैं. वह एमटीवी के लोकप्रिय शो ‘रोडीज’ में गैंग लीडर के तौर पर और अपने टॉक शो ‘नो फिल्टर नेहा’ की मेजबानी के लिए भी जानी जाती हैं.

नेहा धूपिया ने 10 मई 2018 को अभिनेता अंगद बेदी से शादी की. उनके दो बच्चे हैं, बेटी मेहर और बेटा गुरिक.

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निर्माता एवं निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी

ऋषिकेश मुखर्जी भारतीय सिनेमा के महान निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे. वे अपनी साधारण जीवन की कहानियों, गहरे मानवीय संवेदनाओं और हल्के-फुल्के हास्य के साथ सामाजिक संदेश देने वाली फिल्मों के लिए प्रसिद्ध थे. उन्हें हिंदी सिनेमा में “मध्यमवर्गीय जीवन” को चित्रित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण निर्देशकों में से एक माना जाता है.

ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म 30 सितंबर 1922 को कोलकाता (तब कलकत्ता) में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा विज्ञान और गणित में हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्मी दुनिया की ओर रुख किया. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक फिल्म संपादक और सहायक निर्देशक के रूप में की और बिमल रॉय जैसे प्रतिष्ठित फिल्मकार के साथ काम किया.

ऋषिकेश मुखर्जी ने वर्ष 1957 में अपनी पहली फिल्म “मुसाफ़िर” का निर्देशन किया, लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान वर्ष 1959 में आई फिल्म “अनाड़ी” से मिली, जिसमें राज कपूर और नूतन ने प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं. इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट फिल्में दीं, जो आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में अद्वितीय मानी जाती हैं.

 प्रमुख फ़िल्में: –

“अनुपमा” (1966): – एक भावनात्मक और सुंदर कहानी, जिसमें धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर ने अभिनय किया.

“आनंद” (1971): – एक क्लासिक फिल्म जिसमें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं. यह फिल्म मृत्यु और जीवन के बीच के संबंधों को बड़े मार्मिक तरीके से प्रस्तुत करती है.

“गोलमाल” (1979): – एक हास्य प्रधान फिल्म, जिसमें उत्पल दत्त और अमोल पालेकर ने बेहतरीन अभिनय किया.

“चुपके चुपके” (1975): – एक हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म, जिसमें धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर, और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिकाओं में थे.

“सत्यकाम” (1969): – एक गंभीर सामाजिक फिल्म, जो धर्म और ईमानदारी के सवालों को उठाती है, इसमें धर्मेंद्र की बेहतरीन अदाकारी देखने को मिली.

“बावर्ची” (1972): – एक साधारण, लेकिन गहरे मानवीय मूल्यों पर आधारित फिल्म, जिसमें राजेश खन्ना ने मुख्य भूमिका निभाई.

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों की विशेषता यह थी कि वे अत्यधिक ग्लैमर और नाटकीयता से दूर थीं. उनकी कहानियों में आम आदमी के जीवन की चुनौतियाँ, परिवारिक मूल्यों और संबंधों की गहराइयाँ दिखाई जाती थीं. वे हल्के हास्य, संवेदनशीलता और गंभीर सामाजिक मुद्दों का अनूठा मिश्रण पेश करते थे. उनके काम ने हिंदी सिनेमा में एक नया आयाम जोड़ा, जिसे “मध्यमवर्गीय सिनेमा” कहा जा सकता है. ऋषिकेश मुखर्जी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें प्रमुख हैं: –

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1999):  – भारतीय सिनेमा में उनके जीवन भर के योगदान के लिए.

पद्म विभूषण (2001): – देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया.

फिल्मफेयर और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों सहित कई अन्य सम्मान भी उन्हें उनके उत्कृष्ट निर्देशन के लिए मिले.

ऋषिकेश मुखर्जी का निधन 27 अगस्त 2006 को मुंबई में हुआ. उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उनकी फिल्में और उनका सिनेमा के प्रति दृष्टिकोण आज भी सिनेमा प्रेमियों के बीच जीवित हैं.

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों ने भारतीय दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई और वे आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे प्यारे और सम्मानित निर्देशकों में से एक माने जाते हैं.

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