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व्यक्ति विशेष -608.

आचार्य चतुरसेन शास्त्री

आचार्य चतुरसेन शास्त्री एक प्रमुख हिंदी उपन्यासकार थे। उनका जन्म  26 अगस्त, 1891 को चांदोख ज़िला बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश में हुआ था हुआ था और उनकी मृत्यु 2 फ़रवरी, 1960 को हुई थी.

आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण हिंदी उपन्यास लिखे, जिनमें वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षाम, सोमनाथ, मन्दिर की नर्तकी, रक्त की प्यास शामिल हैं. उनके उपन्यास धार्मिक और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित थे और वे अपने लेखन में विशेष रूप से भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति अपनी गहरी रुचि को प्रकट करते थे.

आचार्य चतुरसेन शास्त्री के उपन्यास भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उन्होंने हिंदी भाषा को एक नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया. उनके काम को हिंदी साहित्य के अनमोल रत्नों में से एक के रूप में माना जाता है. 

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मदर टेरेसा

मदर टेरेसा, जिनका वास्तविक नाम एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीउ था, एक कैथोलिक नन और मिशनरी थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों, अनाथों और बेसहारा लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया था.

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कॉप्जे (जो अब उत्तरी मैसेडोनिया की राजधानी है) में हुआ था. 18 साल की उम्र में, वह नन बन गईं और आयरलैंड चली गईं. वर्ष 1929 में वह भारत आईं और दार्जिलिंग में लोरेटो सिस्टर्स के साथ रहीं. उन्होंने कुछ समय तक कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक स्कूल में भी पढ़ाया.

वर्ष 1950 में, उन्होंने मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी (Missionaries of Charity) की स्थापना की. इस संस्था का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की देखभाल करना था जिन्हें समाज ने त्याग दिया था. यह संस्था आज भी दुनिया भर में गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा कर रही है. वर्ष 1979 में, उन्हें उनके मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने यह पुरस्कार गरीबों के नाम पर स्वीकार किया.

वर्ष 2016 में, पोप फ्रांसिस ने उन्हें संत की उपाधि दी, जिसके बाद उन्हें सेंट टेरेसा ऑफ़ कलकत्ता के नाम से भी जाना जाने लगा. मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर 1997 को हुआ था. उनकी विरासत आज भी जीवित है—कोलकाता में ‘निर्मल हृदय’ जैसे संस्थान, और दुनिया भर में सेवा के कार्यक्रम उनकी प्रेरणा से चलते हैं.

मदर टेरेसा को उनके निस्वार्थ प्रेम, करुणा और सेवा के लिए हमेशा याद किया जाता है. उन्होंने दुनिया को यह सिखाया कि सबसे बड़ी दौलत दूसरों की मदद करना है.

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स्वतन्त्रता सेनानी बंसीलाल

बंसीलाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे. हालांकि, उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य नेताओं में नहीं गिना जाता है, वे भारतीय राजनीति, खासकर हरियाणा राज्य में, के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे. बंसीलाल का जन्म 26 अगस्त, 1927 को हुआ था और उन्होंने भारतीय राजनीति में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं.

वे हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार सेवारत रहे और उनके कार्यकाल में कई विकासपरक परियोजनाएं शुरू की गईं. उनका राजनीतिक कैरियर उल्लेखनीय था और उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में काम किया. बंसीलाल का निधन 28 मार्च 2006 को हुआ था.

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राजनेत्री मेनका गाँधी

मेनका गाँधी भारत की एक प्रसिद्ध राजनेत्री, पर्यावरण वादी और पशु-अधिकार कार्यकर्ता हैं. वे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के छोटे पुत्र संजय गाँधी की पत्नी हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की वरिष्ठ नेता हैं.

मेनका आनंद का जन्म 26 अगस्त 1956 को नई दिल्ली में एक सिख परिवार में हुआ था. उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल तारलोचन सिंह आनंद थे. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा द लॉरेंस स्कूल, सनावर (हिमाचल प्रदेश) से पूरी की और फिर लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमेन, दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से जर्मन भाषा का भी अध्ययन किया. वर्ष 1974 में मेनका का विवाह इंदिरा गाँधी के बेटे संजय गाँधी से हुआ. वर्ष 1980 में एक विमान दुर्घटना में संजय गाँधी की मृत्यु हो गई. उनका एक बेटा है, वरुण गाँधी, जो खुद भी एक राजनेता हैं.

मेनका गाँधी ने वर्ष 1983 में ‘राष्ट्रीय संजय मंच’ नामक अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी. वर्ष 1984 में उन्होंने अपने जेठ राजीव गाँधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. वर्ष 1988 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया था. वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर पहली बार पीलीभीत से लोकसभा चुनाव जीता और पर्यावरण राज्य मंत्री बनीं. वर्ष 1996 में फिर से जनता दल के टिकट पर पीलीभीत से चुनाव जीता. वर्ष 1998 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से जीतीं. वर्ष 2004 में मेनका गाँधी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गईं और बीजेपी के टिकट पर पीलीभीत से जीत हासिल की. वर्ष 2009 के चुनाव में उन्होंने पीलीभीत सीट अपने बेटे वरुण गाँधी के लिए छोड़ दी और खुद सुल्तानपुर से चुनाव लड़ा. वर्ष 2014 में पुन: पीलीभीत से बीजेपी प्रत्याशी बनकर भारी मतों से जीतीं. वर्ष 2019 में  सुल्तानपुर से सांसद चुनी गईं.

 मेनका गाँधी, वी.पी. सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया है. वे महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रह चुकी हैं. राजनीति के अलावा मेनका गाँधी पर्यावरण और पशु अधिकारों के लिए अपने काम के लिए भी जानी जाती हैं. उन्होंने वर्ष 1992 में ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की स्थापना की, जो भारत में पशु कल्याण के लिए काम करता है.

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अभिनेता इंद्र कुमार

इंद्र कुमार एक भारतीय अभिनेता थे, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में सहायक भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 26 अगस्त 1973 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था.

इंद्र कुमार ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत वर्ष 1996 में फ़िल्म ‘मासूम’ से किया था. वर्ष  2017 में आई ‘हु इज द फ़र्स्ट वाइफ़ ऑफ़ माई फ़ादर’ उनकी आखिरी फ़िल्म थी. इंद्र कुमार के कैरियर में वह दौर भी आया, जब वर्ष 2014 में उन पर बलात्कार का आरोप लगा था और आरोप साबित होने के बाद जेल भी गए थे.

फ़िल्में: – मासूम (1996), खिलाड़ियों का खिलाड़ी (1996), घूँघट (1997), कहीं प्यार ना हो जाये (2000), तुमको ना भूल पायेंगे (2002), वांटेड (2009).

इंद्र कुमार की मृत्यु 28 जुलाई 2017 को मुंबई में दिल का दौरा (cardiac arrest) पड़ने से हुई थी. उस समय वे केवल 43 वर्ष के थे.

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अभिनेत्री नीरू बाजवा

नीरू बाजवा एक प्रसिद्ध इंडो-कैनेडियन अभिनेत्री, निर्देशक और निर्माता हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से पंजाबी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई है. नीरू बाजवा का जन्म 26 अगस्त 1980 को कनाडा के सरे शहर में हुआ था. नीरू बाजवा ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1998 में बॉलीवुड फिल्म ‘मैं सोलह बरस की’ से की थी. इसके बाद उन्होंने कई हिंदी टीवी सीरियल्स में काम किया, जिनमें ‘अस्तित्व: एक प्रेम कहानी’ और ‘जीत’ शामिल हैं. हालांकि, उन्हें असली पहचान और सफलता पंजाबी सिनेमा से मिली.

फ़िल्में: – जट्ट एंड जूलियट (2012), सरदार जी (2015), लौंग लाची  (2018), शदा (2019), काली जोट्टा (2023), जट्ट एंड जूलिएट 3 (2024).

टेलीविजन: – अस्तित्व…एक प्रेम कहानी, जीत, गन्स एंड रोज़ेज, हरी मिर्ची लाल मिर्ची जैसे धारावाहिकों में भी काम किया.

निर्देशन और प्रोडक्शन: – उन्होंने सरगी जैसी फिल्म का निर्देशन किया, जिसमें उनकी बहन रुबीना बाजवा ने अभिनय किया.

हॉलीवुड डेब्यू: वर्ष  2023 में It Lives Inside नामक सुपरनेचुरल थ्रिलर से हॉलीवुड में कदम रखा.

नीरू बाजवा ने 8 फरवरी 2015 को हरमिकपाल “हैरी” जवंधा से शादी की. उनकी तीन बेटियां हैं. नीरू बाजवा ने अपने अभिनय के साथ-साथ निर्देशन और प्रोडक्शन में भी योगदान दिया है.

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अभिनेता ए के हंगल

ए के हंगल भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता थे, और वे अपने अद्वितीय और सादगी वाले अभिनय के लिए प्रसिद्ध थे. उनका जन्म 1 फरवरी 1917 को सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन उन्होंने फिल्मों में कैरियर बनाया और भारतीय सिनेमा के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में अपनी छाप छोड़ी.

ए के हंगल ने अपने कैरियर की शुरुआत फ़िल्मों में छोटी भूमिकाओं से की और फिर उन्होंने अपने प्रमुख कैरियर की शुरुआत वीर जवानी (1952) जैसी फ़िल्मों से की. उन्होंने अपनी उच्चतम प्रस्तुति को कई अद्भुत फ़िल्मों में दिखाया, जैसे कि “शोले” (1975), जिसमें उन्होंने इमाम वाले भूमिका की थी और वह कांग्रेस के शासकों की भूमिका के साथ याद की जाती है. उन्होंने भारतीय सिनेमा में कई बड़ी फ़िल्मों में भी काम किया, जैसे कि “नमक हराम” (1973), “मिलन” (1967), और “मशाल” (1984).

ए के हंगल के अद्वितीय और पुरानी जवानी की उम्र में भी अच्छी फ़िल्में करने के लिए वे प्रसिद्ध रहे और उनके अभिनय का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण है. वे 98 वर्ष की आयु में 26 अगस्त 2012 को इस संसार से प्रस्थान कर गए.

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