
व्यक्ति विशेष -601.
क्रांतिकारी नेता एस. सत्यमूर्ति
एस. सत्यमूर्ति एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और प्रख्यात वक्ता थे. उन्हें मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक माना जाता है. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने भाषणों से लोगों को प्रेरित किया.
एस. सत्यमूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1887 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली ज़िले के पुदुकोटाई नामक स्थान पर हुआ था. सत्यमूर्ति पढ़ाई-लिखाई में बड़े तेज थे. पुदुकोटाई के राजा कालेज से उन्होंने बी. ए. किया और फिर मद्रास के क्रिश्चियन कालेज में भर्ती हो गए. उन दिनों बंग भंग के कारण सारे देश में एक आंदोलन चल रहा था. बंग-भंग के विरोध में अपने कालेज में हड़ताल करने का श्रेय भी सत्यमूर्ति का ही था. क्रिश्चियन कालेज में अपना अध्ययन समाप्त करके सत्यमूर्ति लॉ कालेज में भर्ती हुए और वहां से डिग्री लेने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय में एडवोकेट तथा संघीय न्यायालय के सीनियर एडवोकेट बने.
सत्यमूर्ति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. वे भारत के लिए संसदीय लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने ब्रिटिश विधानमंडलों में भारतीय अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया. वे स्वराज पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास के साथ काम किया. वर्ष 1939 में, वह मद्रास (अब चेन्नई) के मेयर बने। इस दौरान उन्होंने शहर की पानी की कमी को दूर करने के लिए पोन्डी जलाशय के निर्माण की पहल की, जिसे बाद में उनके सम्मान में सत्यमूर्ति सागर नाम दिया गया.
सत्यमूर्ति ने बंगाल के विभाजन, रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनकी गतिविधियों के लिए वर्ष 1942 में गिरफ्तार किया गया था. एस. सत्यमूर्ति को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. कामराज का राजनीतिक गुरु माना जाता है. उनका निधन 20 मार्च, 1943 को हुआ था.
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साहित्यकार हरिशंकर शर्मा
हरिशंकर शर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे कवि, उपन्यासकार, नाटककार और आलोचक के रूप में जाने जाते थे. हरिशंकर शर्मा की रचनाएँ अक्सर समाजिक और राजनीतिक मुद्दों के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती हैं. उनके काम में आम आदमी के जीवन के संघर्षों और खुशियों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ पेश किया गया है.
हरिशंकर शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1891 को उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जनपद के हरदुआगंज कस्बे में हुआ था. इनके पिता का नाम पंडित नाथूराम शंकर शर्मा था. बचपन से ही उन्हें घर में साहित्यिक वातावरण मिला था, जिसका हरिशंकर शर्मा पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा. हरिशंकर की शिक्षा विधिवत् किसी स्कूल अथवा काँलेज में नहीं हुई थी. घर पर रह कर ही उन्होंने उर्दू, फ़ारसी, गुजराती तथा मराठी आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था. पंडित जी के पिता के यहाँ अनेक साहित्यकार उनसे भेंट करने आया करते थे. हरिशंकर इन साहित्यकारों की बातचीत को बड़े ध्यान से सुना करते थे.
हरिशंकर शर्मा उच्च कोटि के पत्रकार थे. ‘आर्यमित्र’ तथा ‘भाग्योदय’ के अतिरिक्त आपने, ‘आर्य संदेश’, ‘निराला’, ‘साधना’, ‘प्रभाकर’, ‘सैनिक’, ‘कर्मयोग’, ‘ज्ञानगंगा’ तथा ‘दैनिक दिग्विजय’ आदि कई पत्र-पत्रिकाओं का कुशलता एवं स्वाभिमान के साथ सम्पादन किया था.
रचनाएँ: – रत्नाकर, अभिनव हिन्दी कोश, हिन्दुस्तानी कोश, घास-पात, पिंजरा पोल, चिड़ियाघर, रामराज्य, कृष्ण संदेश, महर्षि महिमा, वीरांगना वैभव, मटकाराम मिश्र, पाखंड, प्रदर्शनी, गड़बड़, गोष्ठी, हिन्दी साहित्य परिचय, अंग्रेज़ी साहित्य परिचय.
हरिशंकर शर्मा ने हिंदी साहित्य में विभिन्न विधाओं में काम किया और उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों और आलोचकों द्वारा सराही जाती हैं. उनकी रचनात्मकता और भाषाई कौशल ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की. हरिशंकर शर्मा का निधन 9 मार्च 1968 को हुआ था.
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लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एक भारतीय लेखक, आलोचक, और साहित्यिक इतिहासकार थे. उनका जन्म 19 अगस्त 1907 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. द्विवेदी जी ने हिंदी साहित्य में अपने विशद ज्ञान और गहरी अंतर्दृष्टि के माध्यम से एक विशेष स्थान बनाया.
उनके साहित्यिक कार्यों में उपन्यास, निबंध, आलोचना और इतिहास का समावेश होता है. उनके प्रमुख उपन्यासों में “बाणभट्ट की आत्मकथा”, “चारु चंद्रलेख”, और “अनामदास का पोथा” शामिल हैं. इन कृतियों में भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति उनकी गहरी समझ और प्रेम स्पष्ट दिखाई देता है.
आचार्य द्विवेदी ने भारतीय साहित्य के विभिन्न युगों और उनकी विशेषताओं को उजागर करने वाली महत्वपूर्ण आलोचनात्मक कृतियाँ भी लिखीं. उन्होंने “हिंदी साहित्य का इतिहास” नामक पुस्तक में हिंदी साहित्य के विकास को व्यापक रूप से चित्रित किया है, जिसे आज भी इस विषय पर एक आधारशिला माना जाता है.
उन्होंने कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़े गए, जिनमें पद्म भूषण (1957) और साहित्य अकादमी पुरस्कार (1973) शामिल हैं. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन 19 मई 1979 को हुआ था. उनके साहित्यिक योगदान ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा और गहराई प्रदान की.
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एकांकीकार आरसी प्रसाद सिंह
आरसी प्रसाद सिंह हिंदी और मैथिली साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, कथाकार और एकांकीकार थे. उन्हें “जीवन और यौवन का कवि” भी कहा जाता है. उन्होंने हिंदी साहित्य में छायावाद के तृतीय उत्थान के कवियों में अपनी एक खास पहचान बनाई. आरसी प्रसाद सिंह का जन्म 19 अगस्त 1911 को बिहार के समस्तीपुर ज़िला में रोसड़ा रेलवे स्टेशन से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बागमती नदी के किनारे एक गाँव ‘एरौत’ (पूर्व नाम ऐरावत) में हुआ था. शिक्षा पूर्ण करने के बाद आरसी प्रसाद सिंह की साहित्य लेखन की ओर रुचि बढ़ी.
आरसी प्रसाद की साहित्यिक रुचि एवं लेखन शैली से प्रभावित होकर रामवृक्ष बेनीपुरी ने उन्हें “युवक” समाचार पत्र में अवसर प्रदान किया. ‘युवक’ में प्रकाशित रचनाओं में आरसी प्रसाद ने ऐसे क्रांतिकारी शब्दों का प्रयोग किया था कि तत्कालीन अंग्रेज़ हुकूमत ने उनके ख़िला़फ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था. उन्होंने अपनी लेखनी से नेताओं पर कटाक्ष करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी. नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने लिखा है कि- “बरसाती मेंढक से फूले, पीले-पीले गदराए, गाँव-गाँव से लाखों नेता खद्दरपोश निकल आए.”
एकांकी और नाटक: –
संजीवनी: – यह उनकी एक प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने पौराणिक कथा के माध्यम से जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों को दर्शाया है.
एक प्याला चाय: – यह एक लोकप्रिय एकांकी है, जो सामान्य जीवन के विषयों पर आधारित है.
काल रात्रि: – यह उनकी एक और महत्वपूर्ण एकांकी है.
आरसी प्रसाद सिंह का निधन 15 नवंबर 1996 को हुआ था. वे अपनी निर्भीक और स्पष्टवादी लेखन शैली के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में कविता, कहानी, एकांकी और बाल साहित्य जैसी कई विधाओं में रचनाएँ कीं.
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नवें राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा
डॉ. शंकर दयाल शर्मा भारत के नौवें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक इस पद पर कार्य किया। वे एक कुशल वकील, विद्वान, राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल में ‘दाई का मौहल्ला’ में हुआ था. इनके पिता का नाम पण्डित खुशी लाल शर्मा था जो एक प्रसिद्ध वैद्य थे और उनकी माता का नाम श्रीमती सुभद्रा देवी था. शंकर दयाल शर्मा का विवाह 7 मई 1950 को विमला शर्मा के साथ हुआ था. शर्मा दम्पति को दो पुत्र एवं दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई.
शंकर दयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय ‘दिगम्बर जैन स्कूल’ से की थी. उन्होंने ‘सेंट जोंस कॉलेज’, आगरा और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय से एल एल. बी. की उपाधि प्राप्त किया था. उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाकर क़ानून की शिक्षा ग्रहण की और पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की. विश्वविद्यालय ने शंकर दयाल शर्मा को ‘डॉक्टर आफ लॉ’ की मानद विभूति से अलंकृत किया था. कुछ समय तक ‘कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय’ में क़ानून के अध्यापक रहने के बाद आप भारत वापस लौट आए और लखनऊ विश्वविद्यालय में क़ानून का अध्यापन कार्य करते रहे.
डॉ. शर्मा ने वर्ष 1940 के दशक में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल भी गए. आजादी के बाद वर्ष 1952 में वे भोपाल राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. इस पद पर वे वर्ष 1956 तक रहे. उन्होंने आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया. राष्ट्रपति बनने से पहले, वे वर्ष 1987- 92 तक भारत के आठवें उपराष्ट्रपति थे.
डॉ. शंकर दयाल शर्मा का निधन 26 दिसंबर 1999 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था. उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों और परंपराओं का पालन करते हुए राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी निष्पक्षता और संवैधानिक समझ की काफी प्रशंसा की जाती है.
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अभिनेत्री नंदना सेन
नंदना सेन एक भारतीय मूल की अमेरिकी अभिनेत्री, पटकथा लेखक, बच्चों की लेखिका और बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं. वह नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और बंगाली लेखिका पद्मश्री नबनीता देव सेन की बेटी हैं. नंदना सेन का जन्म 19 अगस्त 1967 को कोलकत्ता में हुआ था. वह यूरोप, भारत व अमेरिका के विभिन्न शहरों में पलीं-बढीं. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म द डॉल से की थी. बॉलीवुड की फिल्मों में नंदना की पहली फिल्म ब्लैक थी.
फिल्में: – गुड़िया (1997), ब्लैक (2005), टैंगो चार्ली (2005), माई वाइफ्स मर्डर (2005), रंग रसिया (2014).
नंदना सेन ने वर्ष 2013 में पेंगुइन पब्लिशिंग के सीईओ जॉन मैकिंसन से विवाह किया. उन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा अंग्रेजी और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है. फिल्मों के अलावा, वह बच्चों के लिए किताबें लिखती हैं और बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं.
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अभिनेता उत्त्पल दत्त
उत्त्पल दत्त एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म अभिनेता थे, जिन्होंने बॉलीवुड में अपना नाम किया. उत्त्पल दत्त का जन्म 29 मार्च, 1929 को पूर्वी बंगाल (ब्रिटिश भारत) के बारीसाल में एक हिन्दू परिवार में हुआ था. उत्त्पल दत्त ने हिन्दी और बांग्ला फ़िल्मों में अपनी अमिट छाप छोड़ी. एक अभिनेता के रूप में उत्पल दत्त ने लगभग हर किरदार को निभाया. दत्त ने थिएटर और फ़िल्म एक्ट्रेस शोभा सेन से विवाह किया.
उत्त्पल दत्त ने कैरियर की शुरुआत थिएटर से की. थियेटर के दौरान नाटक ‘ओथेलो’ से उन्हें काफ़ी प्रशंसा मिली थी. वर्ष 1950 के बाद उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी जॉइन कर बंगाली फ़िल्मों में अभिनय कैरियर की शुरुआत की.
उन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई प्रमुख फ़िल्मों में काम किया, जैसे “मेमेंटो मोरी”, “आनंद”, “गोलमाल”, “बाज़ार” और “शान”. उत्त्पल दत्त की अदाकारी, उनकी व्यक्तित्व और उनकी एकल शैली काफी प्रशंसा प्राप्त कर चुकी थी. उनका कार्य सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में माना जाता है. उत्त्पल दत्त का निधन 19 अगस्त 1993 को हुआ था.