
व्यक्ति विशेष– 581.
स्वतंत्रता सेनानी सत्येंद्रनाथ बोस
सत्येंद्रनाथ बोस एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे. किंग्सफोर्ड की हत्या कराने के लिये खुदीराम बोस को सत्येंद्र बोस ने ही खोजा था. एक मुखबिर को जेल के अंदर खत्म करा देने के कारण उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था. सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 ई. को मिदनापुर में हुआ था. अरविंद घोष के प्रभाव से वे क्रांतिकारी आंदोलन के संपर्क में आए थे. अरविंद ने जतिन बनर्जी को वर्ष 1902 में बड़ौदा के लिये इस उद्देश्य से भेजा था कि वे बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन को बढ़ाएं.
सत्येन्द्रनाथ बोस गरम स्वभाव के व्यक्ति थे. उनके विचार लोकमान्य तिलक, अरविंद आदि से मिलते थे. किंग्सफोर्ड की हत्या कराने के लिये खुदीराम बोस को सत्येंद्र बोस ने ही खोजा था. किंग्सफोर्ड पर आक्रमण की घटना के बाद अवैध तरीके से हथियार रखने के कारण सत्येंद्र बोस को 2 महीने की सजा हुई और उन्हें अलिपुर जेल भेज दिया गया था. सत्येन्द्रनाथ बोस ने जेल में एक वीरेन गोस्वामी नामके मुखबिर की हत्या करा दी थी. जिसके आरोप में उन पर हत्या का मुकदमा चला और 21 नवंबर 1908 को फांसी की सजा दी गई.
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महिला चिकित्सक मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी
डॉ. मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी एक प्रसिद्ध भारतीय महिला चिकित्सक, सामाजिक सुधारक, और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं. उनका जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु के पुदुकोट्टई में हुआ था. वे भारत की पहली महिला चिकित्सक और पहली महिला विधायक थीं. डॉ. रेड्डी का जन्म एक परंपरागत परिवार में हुआ था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें शिक्षित करने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पुदुकोट्टई में पूरी की और बाद में मद्रास मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया. वे वहां से एम.बी.बी.एस. (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery) की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं. उन्होंने अपनी चिकित्सा कैरियर की शुरुआत सरकारी अस्पताल में की, लेकिन बाद में समाज सेवा की ओर मुड़ गईं. वे गरीब और वंचित वर्गों के लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित रहीं.
डॉ. रेड्डी ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए कई सामाजिक सुधार कार्य किए. उन्होंने वर्ष 1927 में अव्वै होम की स्थापना की, जो अनाथ और निराश्रित बच्चों के लिए एक आश्रय स्थल था. वे महिला अधिकारों और शिक्षा के लिए भी सक्रिय रूप से काम करती थीं. उन्होंने अद्यार कैंसर संस्थान की स्थापना की, जो आज भारत के प्रमुख कैंसर उपचार केंद्रों में से एक है. वे कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके उपचार के लिए प्रयासरत रहीं.
डॉ. रेड्डी भारत की पहली महिला विधायक बनीं जब उन्हें मद्रास विधान परिषद की सदस्य के रूप में नामित किया गया. उन्होंने विधायिका में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाई. उनके योगदान को मान्यता देते हुए, उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले. वर्ष 1956 में, उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. डॉ. रेड्डी का विवाह डॉ. सुंदर रेड्डी से हुआ था. वे अपने परिवार और पेशेवर जीवन दोनों में संतुलन बनाते हुए समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहीं. डॉ. मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी का निधन 22 जुलाई 1968 को हुआ. उनका जीवन और कार्य न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सुधार और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी प्रेरणादायक रहा है. उनके योगदान ने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद की.
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इतिहासवेत्ता गोविन्द चन्द्र पाण्डे
गोविन्द चन्द्र पाण्डे एक प्रमुख भारतीय इतिहासवेत्ता, विद्वान, और शिक्षाविद थे. उन्हें भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन और धर्म के गहन अध्ययन के लिए जाना जाता है. उनके कार्यों ने भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. गोविन्द चन्द्र पाण्डे का जन्म 30 जुलाई 1923 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने संस्कृत, पाली, और प्राचीन भारतीय इतिहास में विशेषज्ञता हासिल की.
गोविन्द चन्द्र पाण्डे इलाहाबाद विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में इतिहास और संस्कृति के प्रोफेसर रहे. उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय और जम्मू विश्वविद्यालय के उपकुलपति के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने भारतीय इतिहास, दर्शन, और धर्म पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और लेख लिखे. उनकी कृतियों में प्राचीन भारतीय समाज और संस्कृति, बौद्ध धर्म, और भारतीय दर्शन शामिल हैं.
प्रमुख पुस्तकें: –
Foundations of Indian Culture
Buddhism in India
Studies in the Origins of Buddhism
History of Science, Philosophy and Culture in Indian Civilization
गोविन्द चन्द्र पाण्डे को उनके विद्वतापूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले. वे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) के अध्यक्ष भी रहे. उन्हें 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उनके शोध कार्य ने भारतीय इतिहास और दर्शन को नई दृष्टि प्रदान की. उन्होंने भारतीय सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डाला. उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार और उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गोविन्द चन्द्र पाण्डे का निधन 11 मई 2011 को हुआ था. उनका जीवन और कार्य भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उनके योगदान को आज भी विद्वानों और छात्रों द्वारा सराहा जाता है.
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राजनीतिज्ञ सीस राम ओला
सीस राम ओला एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में जाने जाते हैं. उनका राजनीतिक कैरियर और सामाजिक योगदान उल्लेखनीय है. सीस राम ओला का जन्म 30 जुलाई 1927 को झुंझुनू, राजस्थान में हुआ था. उन्होंने स्थानीय स्तर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में राजनीति में सक्रिय हो गए.
ओला ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत राजस्थान के स्थानीय राजनीति से की. वे पंचायत स्तर पर भी सक्रिय रहे. उन्होंने राजस्थान विधान सभा में कई बार प्रतिनिधित्व किया. वे झुंझुनू जिले के झुंझुनू निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे. सीस राम ओला चार बार लोक सभा के लिए चुने गए. उन्होंने झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से संसद में प्रतिनिधित्व किया. वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. उन्होंने श्रम और रोजगार, खनन, और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालयों में मंत्री के रूप में कार्य किया.
सीस राम ओला के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने श्रमिकों के अधिकारों और रोजगार सृजन के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियाँ और कार्यक्रम लागू किए. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए उन्होंने कई योजनाओं और परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें ग्रामीण सड़कों का निर्माण, जल आपूर्ति, और कृषि विकास शामिल हैं. खनिज संसाधनों के विकास और प्रबंधन में उनका योगदान महत्वपूर्ण था.
सीस राम ओला को वर्ष 1968 में, उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. राजनीति के अलावा, ओला सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के लिए कई संस्थाओं की स्थापना की और उन्हें समर्थन दिया. सीस राम ओला का निधन 15 दिसंबर 2013 को हुआ. उनके निधन के बाद भी, उनके योगदान और सेवाओं को याद किया जाता है. सीस राम ओला का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणादायक है. उनका समर्पण और सेवा का भाव आज भी उन्हें एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक नेता के रूप में स्थापित करता है.
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गायक सोनू निगम
सोनू निगम एक प्रमुख भारतीय पार्श्व गायक, संगीतकार और अभिनेता हैं, जो भारतीय फिल्म उद्योग में अपने बहुमुखी गाने और प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने हिंदी, कन्नड़, उड़िया, तमिल, पंजाबी, बंगाली, मराठी, तेलुगु और अन्य भाषाओं में गाने गाए हैं. सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई 1973 को फरीदाबाद, हरियाणा में हुआ था. उन्होंने अपने स्कूल की शिक्षा फरीदाबाद से पूरी की और बाद में मुंबई चले गए, जहां उन्होंने संगीत में अपने कैरियर की शुरुआत की. सोनू ने चार साल की उम्र में अपने पिता के साथ मंच पर गाना शुरू किया. उन्होंने अपने पिता अगम कुमार निगम के साथ विभिन्न मंच कार्यक्रमों में भाग लिया.
सोनू निगम को पहला बड़ा ब्रेक गुलशन कुमार की टी-सीरीज़ के साथ मिला, जहां उन्होंने “रफ़ी की यादें” नामक एक एल्बम में गाने गाए. बताते चलें कि, पार्श्व गायक के रूप में सोनू ने अपना पहला गीत फ़िल्म ‘जनम’ के लिए गाया, जो कि कभी औपचारिक तौर पर रिलीज़ ही नहीं हुआ. वर्ष 1990 के दशक में बॉलीवुड में पार्श्व गायक के रूप में सोनू निगम ने अपनी पहचान बनाई. उन्होंने ‘अच्छा सिला दिया’, ‘संध्या’, ‘सत्यमेव जयते’, और ‘परदेसी’ जैसी फिल्मों में गाने गाए. उनके प्रसिद्ध गानों में ‘कल हो ना हो’, ‘अभी मुझ में कहीं’, ‘सूरज हुआ मद्धम’, ‘पंछी नदिया पवन के झोंके’, ‘धीरे जलना’, ‘ये दिल’, और ‘संदेशे आते हैं‘ शामिल हैं. उन्होंने कई सफल संगीत एल्बम भी जारी किए, जिनमें ‘दीवाना’, ‘झंकार बीट्स’, और ‘क्लासिकली माइल्ड’ शामिल हैं.
सोनू निगम ने कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं, जिनमें ‘सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक’ श्रेणी में पुरस्कार शामिल हैं. उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने विभिन्न संगीत पुरस्कारों में भी अपनी पहचान बनाई है, जैसे आईफा पुरस्कार, ज़ी सिने पुरस्कार, और मिर्ची म्यूजिक पुरस्कार. उन्होंने कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है, जैसे ‘जानी दुश्मन: एक अनोखी कहानी’, ‘कशमकश’ और ‘लव इन नेपाल’. उन्होंने कई रियलिटी शो में जज के रूप में भाग लिया, जिनमें ‘इंडियन आइडल’, ‘सा रे गा मा पा’, और ‘द वॉयस इंडिया’ शामिल हैं.
सोनू निगम की पत्नी का नाम मधुरिमा निगम है, और उनका एक बेटा भी है जिसका नाम निवान है. सोनू निगम विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी शामिल हैं और कई चैरिटी कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेते हैं. सोनू निगम का संगीत कैरियर और उनकी आवाज़ ने उन्हें भारतीय संगीत उद्योग का एक प्रतिष्ठित और प्रिय गायक बना दिया है. उनकी गानों की विविधता और गहराई ने उन्हें संगीत प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया है.
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अभिनेत्री उशोषी सेनगुप्ता
उशोषी सेनगुप्ता एक भारतीय मॉडल और अभिनेत्री हैं, जो वर्ष 2010 में फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीतने के बाद प्रसिद्ध हुईं. उन्होंने कई विज्ञापनों और फिल्मों में काम किया है और मॉडलिंग की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम हैं. उशोषी सेनगुप्ता का जन्म 30 जुलाई 1988 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में पूरी की और फिर सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की.
उशोषी सेनगुप्ता ने वर्ष 2010 में फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीता, जिससे उनकी मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत हुई. उन्होंने वर्ष 2010 में लास वेगास में आयोजित मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उशोषी ने हिंदी और बंगाली फिल्मों में अभिनय किया है. उनकी पहली फिल्म “मिनिस्टर फटाकेस्ट” (2015) थी, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई टीवी शो और वेब सीरीज में भी काम किया है, जिससे उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ी है.
उशोषी सेनगुप्ता ने कई प्रमुख ब्रांडों के लिए मॉडलिंग की है, जिनमें प्रमुख सौंदर्य और फैशन ब्रांड शामिल हैं. वह कई ब्रांडों की ब्रांड एंबेसडर भी रही हैं, जिससे उनकी सार्वजनिक पहचान और बढ़ी है. उशोषी विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रही हैं. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए काम किया है और कई चैरिटी कार्यक्रमों में भाग लिया है. उशोषी का परिवार कोलकाता में रहता है, और वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हैं. उन्हें यात्रा करना, पढ़ना, और संगीत सुनना पसंद है.
उशोषी सेनगुप्ता का कैरियर और उनके काम ने उन्हें भारतीय मॉडलिंग और फिल्म उद्योग में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है. उनके योगदान और उनके काम की सराहना की जाती है, और वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं.
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आर्थोपेडिक सर्जन बिष्णुपद मुखर्जी
बिष्णुपद मुखर्जी एक प्रसिद्ध भारतीय आर्थोपेडिक सर्जन थे, जिन्हें चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान और आर्थोपेडिक्स में विशेष विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई नवाचार किए और आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 1 अक्टूबर 1911 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा कोलकाता मेडिकल कॉलेज से पूरी की. बाद में, उन्होंने आर्थोपेडिक्स में विशेषज्ञता प्राप्त की और विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त की.
बिष्णुपद मुखर्जी ने आर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत की और जल्दी ही इस क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त की. उन्होंने कई जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक कीं. उन्हें विशेष रूप से कूल्हे की रिप्लेसमेंट सर्जरी में नवाचार के लिए जाना जाता है. उन्होंने हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की कई नई तकनीकों को विकसित कर उसे लागू किया.
बिष्णुपद मुखर्जी एक महान शिक्षक भी थे. उन्होंने कई मेडिकल छात्रों और प्रशिक्षुओं को आर्थोपेडिक्स सिखाया और प्रशिक्षित किया. उनके द्वारा प्रशिक्षित कई डॉक्टर आज भी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवाएं भी प्रदान कीं. उनके योगदान से कई लोग लाभान्वित हुए. बिष्णुपद मुखर्जी को उनके चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. भारत सरकार ने उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1962 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.
बिष्णुपद मुखर्जी का परिवार कोलकाता में रहता था, और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय वहीं बिताया. उन्हें पढ़ने, लिखने और चिकित्सा साहित्य में अनुसंधान करने का शौक था. उनके द्वारा विकसित की गई सर्जिकल तकनीकों का आज भी आर्थोपेडिक्स में व्यापक उपयोग होता है. उनके काम और समर्पण ने कई युवा डॉक्टरों और सर्जनों को प्रेरित किया है. बिष्णुपद मुखर्जी का निधन 30 जुलाई, 1979 को हुआ. उनका जीवन और उनके योगदान भारतीय चिकित्सा जगत में हमेशा याद रखे जाएंगे. उनके नवाचार और समर्पण ने आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ स्थापित की हैं.