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व्यक्ति विशेष– 575.

बाँसुरी वादक पन्नालाल घोष

पन्नालाल घोष जिन्हें अमल ज्योति घोष भी कहा जाता है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महत्वपूर्ण बाँसुरी वादक थे. उनका जन्म 24 जुलाई 1911 को बारिसाल, बांग्लादेश (उस समय ब्रिटिश भारत) में हुआ था और उनकी मृत्यु 20 अप्रैल 1960 को हुई थी. पन्नालाल घोष ने बाँसुरी को एक प्रमुख शास्त्रीय संगीत वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उन्होंने बाँसुरी के डिजाइन और तकनीक में कई नवाचार किए, जिसमें वाद्य यंत्र की लंबाई और छेदों की संख्या बढ़ाना शामिल है ताकि उसमें और अधिक स्वराज्य प्राप्त किया जा सके. उनके इन नवाचारों ने बाँसुरी की स्वर गुणवत्ता और वर्सेटिलिटी को बढ़ाया.

पन्नालाल घोष ने अनेक ख्याति प्राप्त रचनाएँ भी कीं और उन्होंने शास्त्रीय संगीत के कई प्रमुख कलाकारों के साथ सहयोग किया. उनकी संगीत यात्रा और योगदान आज भी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है.

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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल

केशुभाई पटेल भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख राजनेता थे, जिन्होंने दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. केशुभाई पटेल वर्ष 1980 के दशक से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे. उन्होंने पहले वर्ष 2012 में बीजेपी छोड़ी और गुजरात परिवर्तन पार्टी का गठन किया, जिसका बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ विलय कर दिया।

केशुभाई पटेल का जन्म 24 जुलाई 1928 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के विसावदर में हुआ था. उन्होंने वर्ष  1960 में जनसंघ के साथ राजनीतिक यात्रा शुरू की और इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वर्ष 1977 में वे राजकोट से लोकसभा के लिए चुने गए, हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वर्ष 1978 – 80 तक वे बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में कृषि मंत्री रहे. वर्ष 1980 में जनसंघ पार्टी के भंग होने के बाद, वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ आयोजक बने.

केशुभाई पटेल दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, लेकिन दोनों बार अपना पूरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. पहली बार वर्ष 1995 में, उनके नेतृत्व में भाजपा को गुजरात में पहली बार बहुमत मिला और वे मुख्यमंत्री बने. हालांकि, शंकर सिंह वाघेला के साथ विवाद के चलते उन्हें सात महीने बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. दूसरी बार वर्ष 1995 में, उनके नेतृत्व में भाजपा को गुजरात में पहली बार बहुमत मिला और वे मुख्यमंत्री बने। हालांकि, शंकर सिंह वाघेला के साथ विवाद के चलते उन्हें सात महीने बाद ही इस्तीफा देना पड़ा.

केशुभाई पटेल का 29 अक्टूबर 2020 को 92 वर्ष की आयु में अहमदाबाद में निधन हो गया. उन्हें सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

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अभिनेता मनोज कुमार

मनोज कुमार भारतीय अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं जिन्होंने अपनी फ़िल्मों के जरिए लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया. उनका वास्तविक नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी है. उन्हें भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता था.

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद के एक पंजाबी हिन्दू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया और उन्हें शरणार्थी शिविर में रहना पड़ा। उन्होंने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से बीए की पढ़ाई पूरी की. दिलीप कुमार उनके पसंदीदा अभिनेता थे और उनकी फिल्म ‘शबनम’ से प्रभावित होकर उन्होंने अपना फिल्मी नाम मनोज कुमार रखा. मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में बनी फ़िल्म फ़ैशन के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा. उनकी पहली फ़िल्म कांच की गुडि़या (1960) थी. उनकी पहली हिट फ़िल्म हरियाली और रास्ता था.

मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, संन्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया,

प्रमुख फिल्मे: – शहीद (1965), उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), रोटी कपड़ा और मकान (1974) और क्रांति (1981).

मनोज कुमार को उनके सिनेमाई योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: – पद्म श्री (1992), दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2016), राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार और  लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।

मनोज कुमार का निधन 4 अप्रैल 2025 को 87 वर्ष की आयु में हुआ था. मनोज कुमार लंबे समय से फिल्म इंडस्ट्री से दूर थे और अपने अंतिम दिनों में स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे थे.

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भूतपूर्व  इसरो अध्यक्ष उडुपी रामचन्द्र राव

उडुपी रामचन्द्र राव एक प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म 10 मार्च 1932 को कर्नाटक के उडुपी जिले में हुआ था. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.एस. की डिग्री प्राप्त की और गुजरात विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की. वे एमआईटी और टेक्सास विश्वविद्यालय, डलास में भी शिक्षण कार्य में संलग्न रहे.

वर्ष 1966 में वापस भारत आकर उन्होंने अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में काम किया और भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा दिया. उनके नेतृत्व में, भारत ने अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रमोचन किया और कई अन्य उपग्रहों का निर्माण किया. वर्ष 1984 में वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव बने, जहाँ उन्होंने रॉकेट प्रौद्योगिकी और ध्रुवीय कक्षा उपग्रह प्रमोचन वाहनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

राव को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जैसे कि शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण। उन्हें अंतरिक्ष और विज्ञान क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए अन्य विश्वस्तरीय सम्मान भी प्राप्त हुए थे. उन्होंने भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास को गति दी और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई दिशा प्रदान की. उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टि के चलते भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. उनकी मृत्यु 24 जुलाई 2017 को बेंगलुरु में हुई थी.

उनके कार्यों और योगदानों की वजह से उन्हें भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया. उनके सम्मानों में यूरी गगारिन पदक, थियोडोर वॉन कारमन पुरस्कार, और विश्वेश्वरैया पुरस्कार शामिल हैं. इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.

डॉ. उडुपी रामचन्द्र राव का जीवन और कार्य भारतीय विज्ञान और तकनीकी समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनके अद्वितीय योगदान के लिए वे सदैव याद किए जाएंगे.

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नृत्यांगना एवं कोरियोग्राफर अमला शंकर

अमला शंकर एक प्रतिष्ठित भारतीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर थीं, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य में अपनी उल्लेखनीय योगदान के लिए ख्याति प्राप्त की. उनका जन्म 27 जून 1919 को जसोर (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था और वे प्रसिद्ध नर्तक और कोरियोग्राफर उदय शंकर की पत्नी थीं. अमला शंकर ने अपने जीवनकाल में भारतीय नृत्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और अनेक शिष्यों को प्रशिक्षित किया.

उनकी नृत्य कला की विशिष्ट शैली में भारतीय शास्त्रीय नृत्य के साथ-साथ लोक और आधुनिक नृत्य के तत्वों का मिश्रण था. अमला शंकर ने कई प्रसिद्ध नृत्य नाटिकाओं में अभिनय किया और भारतीय नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी प्रस्तुत किया. उन्होंने ‘कल्पना’ (1948) जैसी फिल्म में भी अभिनय किया, जिसे उनके पति उदय शंकर ने निर्देशित किया था.

अमला शंकर को उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. उनका निधन 24 जुलाई 2020 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत और नृत्य कला की धरोहर आज भी जीवित है.

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