
व्यक्ति विशेष– 573.
संगीतज्ञ विनायक राव पटवर्धन
विनायक राव पटवर्धन एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के ग्वालियर घराने के गायक थे. उनका पूरा नाम पंडित विनायक नारायण पटवर्धन है. उनका जन्म 22 जुलाई 1898 को महाराष्ट्र के मिरज में हुआ था और 23 अगस्त 1975 को पुणे में उनका निधन हो गया. विनायक राव पटवर्धन ने अपने चाचा केशव राव से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली. बाद में, वे लाहौर गए और पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर के शिष्य बन गए, जिनसे उन्होंने गहन संगीत शिक्षा प्राप्त की. उन्हें पंडित बी.आर. देवधर, नारायण राव व्यास और ओंकारनाथ ठाकुर जैसे महान संगीतकारों का ‘गुरु भाई’ होने का भी सम्मान प्राप्त था.
विनायक राव की गायकी में ग्वालियर घराने की सहजता और सीधेपन की झलक मिलती थी. वे विशेष रूप से अपने तरानों के लिए प्रसिद्ध थे. उनके पसंदीदा रागों में बहार, अडाणा, मुलतानी, मल्हार, जयजयवंती, हमीर और भैरव-बहार शामिल थे. वे विभिन्न महत्वपूर्ण संगीत समारोहों में प्रदर्शन करते थे और उनकी आवाज़ जनता के बीच बहुत लोकप्रिय थी.
विनायक राव ने अपने गुरु विष्णु दिगंबर पलुस्कर की तरह, उन्होंने भी संगीत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने गंधर्व महाविद्यालय की विभिन्न शाखाओं (जैसे बंबई, नागपुर और लाहौर) में शिक्षण कार्य किया. वर्ष 1932 में, उन्होंने पुणे में अपना स्वयं का गंधर्व महाविद्यालय स्थापित किया. उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमे ‘राग विज्ञान’ बहुत ही प्रसिद्ध है. वे मराठी संगीत नाटक में भी एक सफल अभिनेता-गायक थे और उन्होंने प्रसिद्ध अभिनेता-गायक बाल गंधर्व के साथ काम किया.
विनायक राव को वर्ष 1965 में संगीत नाटक अकादमी की फेलोशिप मिली और वर्ष 1972 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उन्होंने सोवियत संघ और अन्य देशों में भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया.
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पार्श्व गायक मुकेश
मुकेश भारतीय सिनेमा के एक महान पार्श्व गायक थे, जिन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उनका पूरा नाम मुकेश चंद माथुर था, और उनका जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था. मुकेश ने अपनी गायन की शुरुआत 1941 में फिल्म “निर्दोष” से की, लेकिन उन्हें पहली बड़ी सफलता 1949 में फिल्म “अंदाज़” के गाने “झूम झूम के नाचो आज” से मिली. इसके बाद उन्होंने कई यादगार गाने गाए जो आज भी सुनने वालों के दिलों में बसे हुए हैं.
प्रसिद्ध गाने: –
“दिल जलता है तो जलने दे” – फिल्म: पहली नज़र,
“सहाना सफर और ये मौसम हसीन” – फिल्म: चलती का नाम गाड़ी,
“कहीं दूर जब दिन ढल जाए” – फिल्म: आनंद,
“जीना यहाँ, मरना यहाँ” – फिल्म: मेरा नाम जोकर,
“दोस्त दोस्त ना रहा” – फिल्म: संगम,
मुकेश को उनकी सुरीली आवाज और गीतों में अद्वितीय भावनाओं के संप्रेषण के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपने कैरियर में कई अवार्ड्स जीते, जिसमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल हैं.
मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को हो गया, लेकिन उनके गाने आज भी उनके फैंस के दिलों में जिंदा हैं.
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राजनीतिज्ञ रीता बहुगुणा जोशी
रीता बहुगुणा जोशी एक राजनीतिज्ञ हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित हैं. उनका जन्म 22 जुलाई 1949 को हुआ था. वे उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक परिवार से आती हैं और उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा भी एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे.
रीता बहुगुणा जोशी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की. वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. वर्ष 2016 में, उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गईं. उनके इस कदम को भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में देखा गया. वे उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य रह चुकी हैं और वर्तमान में प्रयागराज (फूलपुर) से लोकसभा सांसद हैं.
रीता बहुगुणा जोशी ने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी काफी काम किया है. वे महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में भी सेवा करने का अनुभव है. रीता बहुगुणा जोशी भारतीय राजनीति में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई है.
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राजनीतिज्ञ अनंत कुमार
अनंत कुमार भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित थे. उनका जन्म 22 जुलाई 1959 को बेंगलुरु, कर्नाटक में हुआ था. वे भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे और कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. अनंत कुमार ने केएस आर्ट्स कॉलेज और जेएसएस लॉ कॉलेज, कर्नाटक से अपनी शिक्षा प्राप्त की. वे विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में सक्रिय रहे, जो एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित छात्र संगठन है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की और पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. वे बीजेपी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे.
अनंत कुमार वर्ष 1996 में पहली बार बेंगलुरु दक्षिण से लोकसभा के लिए चुने गए और इसके बाद लगातार छह बार इस सीट से जीतते रहे. वे अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री रहे. उन्होंने नागर विमानन, शहरी विकास, रसायन और उर्वरक, और संसदीय मामलों के मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.
अनंत कुमार ने नागर विमानन मंत्रालय में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए और शहरी विकास मंत्रालय में भी योगदान दिया. रसायन और उर्वरक मंत्रालय में रहते हुए उन्होंने किसानों के लिए उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए. अनंत कुमार का निधन 12 नवंबर 2018 को कैंसर के कारण हुआ. उनकी मृत्यु भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति थी. अनंत कुमार अपने कार्यों और योगदान के लिए भारतीय राजनीति में सम्मानित स्थान रखते थे. उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में रहते हुए विकास और सुधार के कई महत्वपूर्ण कदम उठाए.
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राजनीतिज्ञ देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस एक राजनीतिज्ञ हैं .वे महाराष्ट्र के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. उनका जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था. फडणवीस ने लॉ कॉलेज, नागपुर से कानून की पढ़ाई की और बिजनेस मैनेजमेंट में डिग्री हासिल की. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रहे हैं, जिसने उनकी राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित किया. उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत नागपुर नगर निगम से की, जहां वे सबसे कम उम्र के नगर-सेवक बने. बाद में, वे नागपुर के मेयर बने और यह पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने.
फडणवीस वर्ष 1999 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए और इसके बाद लगातार चार बार नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. वर्ष 2014 में, महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद, देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. वे 31 अक्टूबर 2014 से 8 नवंबर 2019 तक इस पद पर रहे. मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं और सुधारों को लागू किया.
मुख्यमंत्री रहते हुए, फडणवीस ने महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि सुधार, और डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. उन्होंने जलयुक्त शिवर अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य राज्य में जल संरक्षण और सिंचाई की सुविधा को सुधारना था. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई, तो फडणवीस विपक्ष के नेता बने. देवेंद्र फडणवीस की पत्नी, अमृता फडणवीस, एक बैंक अधिकारी और गायिका हैं. उनकी एक बेटी है.
देवेंद्र फडणवीस अपने नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं. उनके कार्यकाल में महाराष्ट्र में कई महत्वपूर्ण सुधार और विकास योजनाएं लागू की गईं, जिन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय
संदीप पांडेय एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर हैं, जिन्होंने सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनका जन्म 22 जुलाई 1965 को हुआ था. संदीप पांडेय अपने सामाजिक कार्यों और गांधीवादी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं.
संदीप पांडेय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. वर्ष 1991 में, संदीप पांडेय ने असोसिएशन फॉर इंडिया डेवलपमेंट (AID) की स्थापना की.AID एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर काम करता है.
वर्ष 2002 में, उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है. संदीप पांडेय गांधीवादी विचारधारा के समर्थक हैं और उन्होंने अपने जीवन और कार्यों में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का पालन किया है. उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में गाँवों में शिक्षा के सुधार के लिए कई योजनाएं चलाई हैं और बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास किए हैं.
संदीप पांडेय ने कई सामाजिक न्याय और मानवाधिकार अभियानों में भाग लिया है. उन्होंने किसानों के अधिकार, महिलाओं के अधिकार, और दलितों के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई है. उनका जीवन और कार्य समाज के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और सेवा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं. वे आज भी समाज में सुधार और बदलाव लाने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं.
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गायक अरमान मलिक
अरमान मलिक एक प्रसिद्ध भारतीय गायक, संगीतकार, और अभिनेता हैं। उनका जन्म 22 जुलाई 1995 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. वे भारतीय संगीत उद्योग में अरमान मलिक का संबंध एक संगीत परिवार से है और उन्होंने कम उम्र में ही संगीत की दुनिया में कदम रखा. अरमान मलिक का जन्म संगीतकार और गायक परिवार में हुआ. उनके पिता, डबू मलिक, एक संगीतकार हैं, और उनके बड़े भाई, अमाल मलिक, भी एक संगीतकार और गायक हैं. उनके चाचा, अनु मलिक, भारतीय संगीत उद्योग के प्रमुख संगीतकारों में से एक हैं. अरमान ने जमनाबाई नरसी स्कूल, मुंबई से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में बर्कले कॉलेज ऑफ म्यूजिक, बोस्टन से संगीत में पढ़ाई की.
अरमान ने बहुत ही कम उम्र में गायन की शुरुआत की. उन्होंने वर्ष 2006 में “सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स” में भाग लिया और सातवें स्थान पर रहे. उनकी पहली प्रमुख गायकी वर्ष 2014 में फिल्म “जय हो” के गाने “तुमको तो आना ही था” और “लव यू टिल द एंड” के साथ हुई.
प्रसिद्ध गाने: – “मैं रहूं या ना रहूं”, “बोल दो ना ज़रा” (फिल्म: अज़हर), “सब तेरा” (फिल्म: बागी), “हवा हवा” (फिल्म: मुबारकां), “बुढ्ढु सा मन” (फिल्म: कपूर एंड सन्स).
अरमान मलिक को उनके गायन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने मिर्ची म्यूजिक अवार्ड्स, फिल्मफेयर अवार्ड्स और आईफा अवार्ड्स में भी विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार जीते हैं. अरमान ने हिंदी के अलावा तेलुगु, कन्नड़, मराठी, बंगाली, गुजराती, और अंग्रेजी में भी गाने गाए हैं, जिससे वे एक बहुभाषी गायक के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं.
अरमान मलिक का संगीत कैरियर लगातार उन्नति पर है और वे अपनी मधुर आवाज और प्रतिभा के कारण भारतीय संगीत उद्योग में एक प्रमुख स्थान रखते हैं.
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महिला चिकित्सक मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी
डॉ. मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी एक प्रसिद्ध भारतीय महिला चिकित्सक, सामाजिक सुधारक, और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं. उनका जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु के पुदुकोट्टई में हुआ था. वे भारत की पहली महिला चिकित्सक और पहली महिला विधायक थीं. डॉ. रेड्डी का जन्म एक परंपरागत परिवार में हुआ था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें शिक्षित करने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पुदुकोट्टई में पूरी की और बाद में मद्रास मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया. वे वहां से एम.बी.बी.एस. (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery) की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं. उन्होंने अपनी चिकित्सा कैरियर की शुरुआत सरकारी अस्पताल में की, लेकिन बाद में समाज सेवा की ओर मुड़ गईं. वे गरीब और वंचित वर्गों के लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित रहीं.
डॉ. रेड्डी ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए कई सामाजिक सुधार कार्य किए. उन्होंने वर्ष 1927 में अव्वै होम की स्थापना की, जो अनाथ और निराश्रित बच्चों के लिए एक आश्रय स्थल था. वे महिला अधिकारों और शिक्षा के लिए भी सक्रिय रूप से काम करती थीं. उन्होंने अद्यार कैंसर संस्थान की स्थापना की, जो आज भारत के प्रमुख कैंसर उपचार केंद्रों में से एक है. वे कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके उपचार के लिए प्रयासरत रहीं.
डॉ. रेड्डी भारत की पहली महिला विधायक बनीं जब उन्हें मद्रास विधान परिषद की सदस्य के रूप में नामित किया गया. उन्होंने विधायिका में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाई. उनके योगदान को मान्यता देते हुए, उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले. वर्ष 1956 में, उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. डॉ. रेड्डी का विवाह डॉ. सुंदर रेड्डी से हुआ था. वे अपने परिवार और पेशेवर जीवन दोनों में संतुलन बनाते हुए समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहीं.
डॉ. मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी का निधन 22 जुलाई 1968 को हुआ. उनका जीवन और कार्य न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सुधार और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी प्रेरणादायक रहा है. उनके योगदान ने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद की.
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स्वतंत्रता सेनानी यतीन्द्र मोहन सेन गुप्त
यतीन्द्र मोहन सेन गुप्त एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जन्म 22 फरवरी 1885 को चटगांव (वर्तमान में बांग्लादेश में) में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन का आरंभ एक वकील के रूप में किया लेकिन बाद में असहयोग आंदोलन में कूद पड़े. वे मजदूर हितैषी थे और असम-बंगाल रेलवे की हड़ताल का संयोजन किया. बंगाल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. उनकी मृत्यु 22 जुलाई 1933 को राँची में हुई.
वे शिक्षा प्राप्त करने के लिए वर्ष 1904 में इंग्लैंड गए और 1909 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे. उन्होंने एक अंग्रेज़ लड़की, नेल्ली ग्रे से विवाह किया, जो बाद में नेल्ली सेनगुप्ता के नाम से प्रसिद्ध हुईं और स्वतंत्रता संग्राम में उनका साथ दिया.
उन्होंने कोलकाता उच्च न्यायालय में वकालत और रिपन लॉ कॉलेज में अध्यापन के साथ अपना व्यावसायिक जीवन आरंभ किया. वर्ष 1911 में वे कांग्रेस से जुड़े और मजदूरों और किसानों को संगठित करने में विशेष ध्यान दिया. वर्ष 1921 में सिलहट में चाय बागानों के मजदूरों के शोषण के विरुद्ध उनके प्रयत्नों से विभिन्न क्षेत्रों में हड़तालें हुईं, जिसके कारण उन्हें जेल भेज दिया गया. वर्ष 1925 में उन्होंने कोलकाता के मेयर का पद संभाला और अपने जनहित के कार्यों के लिए उन्हें पाँच बार कोलकाता का मेयर चुना गया. वर्ष 1928 के कोलकाता अधिवेशन में पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में उन्होंने स्वागताध्यक्ष का पद संभाला और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए.
वर्ष 1930 में, जब सरकार ने कांग्रेस को गैर-कानूनी घोषित किया, तो यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष चुने गए लेकिन तुरंत ही गिरफ्तार कर लिए गए. उनकी पत्नी, नेल्ली सेनगुप्ता भी गिरफ्तार की गईं. वर्ष 1931 में उनका नाम फिर से अध्यक्ष पद के लिए उठाया गया था, लेकिन उन्होंने सरदार पटेल के पक्ष में नाम वापस ले लिया. वर्ष 1932 में वापस लौटते ही उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया.
वर्ष 1933 में कोलकाता में कांग्रेस का अधिवेशन प्रस्तावित था, जिसमें उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और कोलकाता जाने से रोका गया. इसके बाद उनकी पत्नी नेल्ली सेनगुप्त ने अधिवेशन की अध्यक्षता की लेकिन वे भी गिरफ्तार कर ली गईं. यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त की जेल में ही अस्वस्थ अवस्था में रहते हुए 22 जुलाई 1933 को निधन हो गया. उनका जीवन और संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है.