News

व्यक्ति विशेष– 552.

स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर बिधान चंद्र राय

डॉ. बिधान चंद्र राय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, चिकित्सक और राजनीतिज्ञ थे. उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था. उनके पिता प्रकाश चंद्र राय एक डिप्टी मजिस्ट्रेट थे और उनकी माता अघोरकमिनी देवी एक धार्मिक महिला थीं. बिधान चंद्र राय का प्रारंभिक शिक्षा पटना और कोलकाता में हुई.

डॉ. राय ने अपनी चिकित्सा शिक्षा कोलकाता मेडिकल कॉलेज से पूरी की और फिर इंग्लैंड गए, जहाँ उन्होंने सेंट बार्थोलोम्यूज अस्पताल से एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. की उपाधि प्राप्त की. भारत लौटने पर उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दीं और अपनी विशेषज्ञता से हजारों लोगों की मदद की. उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए “पिता जी” (Father) के नाम से भी जाना जाता था. डॉ. बिधान चंद्र राय ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई. वे महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ निकट संपर्क में थे और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया.

डॉ. राय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे और उनका कार्यकाल वर्ष 1948 – 62 तक रहा. उनके नेतृत्व में, राज्य ने कई आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी सुधार देखे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे कि दम दम एयरपोर्ट, विधाननगर (सॉल्ट लेक सिटी) और कालीकट मेडिकल कॉलेज. डॉ. बिधान चंद्र राय को उनकी सेवाओं के लिए वर्ष 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनकी मृत्यु 1 जुलाई 1962 को उनके 80वें जन्मदिन पर हुई थी. उनके सम्मान में भारत में इस दिन को ‘डॉक्टर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है.

डॉ. बिधान चंद्र राय की विरासत आज भी भारत में चिकित्सा और राजनीति के क्षेत्र में आदर्श के रूप में जीवित है. उनका जीवन और कार्य प्रेरणादायक हैं और वे एक महान नेता और चिकित्सक के रूप में याद किए जाते हैं.

==========  =========  ===========

साहित्यकार अमरकांत

अमरकांत हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कथाकार और उपन्यासकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य को अपनी कालजयी कृतियों से समृद्ध किया और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को अपनी रचनाओं में उजागर किया. अमरकांत का जन्म 1 जुलाई, 1925 को नगरा गाँव, तहसील रसड़ा, बलिया ज़िला (उत्तर प्रदेश) के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम श्रीराम लाल था. शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही थी और उन्होंने वाराणसी के काशी विद्यापीठ से स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

अमरकांत ने अपने साहित्यिक कैरियर की शुरुआत कहानियों से की और जल्द ही वे हिंदी के प्रमुख कथाकारों में शामिल हो गए. उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के यथार्थ को बड़ी सहजता और गहराई से प्रस्तुत करते हैं. उनकी लेखनी में आम आदमी के संघर्ष, उसकी तकलीफें और उसकी संवेदनाएँ प्रमुख रूप से दिखाई देती हैं.

प्रमुख कृतियों: –  “जिंदगी और जोंक”, “इन्हीं हथियारों से”, “काले उजले दिन”, “देश के लोग”, और “सुखजीवी” शामिल हैं. उनके द्वारा रचित उपन्यास “इन्हीं हथियारों से” को विशेष रूप से बहुत सराहा गया. अमरकांत को उनके साहित्यिक योगदान के लिए वर्ष 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार व वर्ष 2007 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

अमरकांत की रचनाएँ उनकी गहरी सामाजिक समझ और मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक हैं. उन्होंने अपने समय के समाज, राजनीति और व्यक्तिगत संघर्षों को बड़ी सजीवता से चित्रित किया है. उनकी कहानियों में पात्रों के माध्यम से समाज की विसंगतियों और विडंबनाओं को उजागर किया गया है.

अमरकांत का निधन 17 फरवरी 2014 को हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और पाठकों को प्रेरित करती हैं.

==========  =========  ===========

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद

अब्दुल हमीद (1 जुलाई 1933 – 10 सितंबर 1965) भारतीय सेना के एक महान सैनिक थे, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. यह भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है, जो युद्ध के दौरान असाधारण वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में हुआ था. उनका परिवार एक साधारण पृष्ठभूमि से था और बचपन से ही वे सेना में शामिल होने का सपना देखते थे.

अब्दुल हमीद वर्ष 1954 में भारतीय सेना में भर्ती हुए और ग्रेनेडियर रेजिमेंट में शामिल हुए. वे अपने अनुशासन, वीरता और उच्चतम सैनिक गुणों के लिए जाने जाते थे.10 सितंबर 1965 को, खेमकरण सेक्टर के असल उत्तर गांव में, अब्दुल हमीद ने अपनी रेजिमेंट की स्थिति को बचाने के लिए अकेले ही कई पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट कर दिया. अपनी जीप में लगी रेकोइललेस राइफल का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हुए, उन्होंने अद्भुत साहस और सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया. इस दौरान वे दुश्मन के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई.

अब्दुल हमीद की वीरता और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उनका अद्वितीय साहस और बलिदान भारतीय सेना के इतिहास में अमर है और उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है. अब्दुल हमीद का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है. उनकी स्मृति में कई स्कूल, सड़कें और संस्थान नामित किए गए हैं. उनकी पत्नी रसूलन बीबी और उनके परिवार ने उनके बलिदान की विरासत को जीवित रखा है.

अब्दुल हमीद का जीवन और बलिदान भारतीय सेना के सभी सैनिकों और देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनका अद्वितीय साहस, देशभक्ति और बलिदान हमेशा भारतीय जनता की स्मृति में जीवित रहेगा.

==========  =========  ===========

बाँसुरीवादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया भारत के प्रसिद्ध बाँसुरीवादक और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान कलाकार हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1938 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था. वे अपनी अद्वितीय बाँसुरी वादन शैली और संगीत के प्रति समर्पण के लिए विख्यात हैं.

हरिप्रसाद चौरसिया का बचपन एक साधारण परिवार में बीता. उनके पिता एक पहलवान थे और वे चाहते थे कि हरिप्रसाद भी पहलवानी करें, लेकिन उनका झुकाव संगीत की ओर था. उन्होंने शुरुआत में गायन सीखा, लेकिन बाद में बाँसुरी की ओर आकर्षित हुए. उन्होंने पंडित भोलानाथ प्रसाद से बाँसुरी की प्रारंभिक शिक्षा ली.

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने शास्त्रीय संगीत की गहराई और विविधता को समझने के लिए कई गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की. वे पंडित अननत लाल और पंडित राजाराम से भी जुड़े रहे. उनकी बाँसुरी वादन शैली में गायकी अंग का विशेष प्रभाव है, जो उन्हें अन्य बाँसुरी वादकों से अलग बनाता है.

उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और दुनिया भर में कई संगीत समारोहों में भाग लिया. पंडित चौरसिया ने कई प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ भी काम किया है, जिनमें पंडित रवि शंकर और उस्ताद जाकिर हुसैन शामिल हैं. पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म भूषण (1992), पद्म विभूषण (2000), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1984) और कॉमनवेल्थ रीडरशिप अवार्ड (UK, 1994) से सम्मानित किया गया.

पंडित चौरसिया ने संगीत की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की है. उन्होंने मुंबई में Vrindavan Gurukul” और भुवनेश्वर में “Vrindaban Gurukul” की स्थापना की, जहाँ वे नई पीढ़ी के संगीतकारों को प्रशिक्षित करते हैं. पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बाँसुरी वादन शैली और संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें एक महान कलाकार के रूप में स्थापित किया है. उनका संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत की धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा.

पंडित चौरसिया की कला और उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि समर्पण और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है. उनका संगीत आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है और उनकी धुनें लोगों के दिलों में बसी हुई हैं.

==========  =========  ===========

राजनीतिज्ञ वेंकैया नायडू

वेंकैया नायडू एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने विभिन्न उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. उनका पूरा नाम मुप्पवरपु वेंकैया नायडू है. उनका जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के चावटपालेम गांव में हुआ था. वेंकैया का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश में प्राप्त की. उन्होंने वेल्लोर में वीआर कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया और आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून की डिग्री प्राप्त की.

वेंकैया ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत विद्यार्थी जीवन से ही कर दी थी. वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य रहे और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की नींव पड़ी. वेंकैया भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रमुख नेताओं में से एक रहे हैं. उन्होंने पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. वे वर्ष 2002 – 04 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. नायडू ने अपने नेतृत्व में पार्टी को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए.

संसदीय कैरियर: –

वर्ष 1978 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए.

वर्ष 1980 में बीजेपी के आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने.

वर्ष 1998 में राज्यसभा के लिए चुने गए.

वर्ष 2000 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बने.

वर्ष 2014 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री बने.

वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017 को भारत के 13वें उपराष्ट्रपति बने. इस पद पर रहते हुए, उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने इस भूमिका में संसद के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने और सदन के संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वेंकैया नायडू का विवाह उषा नायडू से हुआ और उनके दो बच्चे हैं. वे अपने सरल और सादगी भरे जीवन के लिए जाने जाते हैं और किसानों के मुद्दों और ग्रामीण विकास के प्रति उनकी गहरी रुचि है.

वेंकैया का राजनीतिक कैरियर उनकी मेहनत, समर्पण और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है. उन्होंने न केवल बीजेपी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि विभिन्न मंत्रालयों में अपने कार्यकाल के दौरान विकास के कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनके कार्यों और योगदान ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक सम्मानित और प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है.

वेंकैया नायडू का जीवन और कैरियर युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो राजनीति में आकर देश सेवा करने का सपना देखते हैं. उनकी यात्रा एक सच्चे जन नेता की कहानी है, जिसने अपनी मेहनत और समर्पण से उच्चतम पदों तक पहुंच कर देश की सेवा की.

==========  =========  ===========

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

अखिलेश यादव एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सैफई गांव में हुआ था. वे मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं, जो सपा के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.

अखिलेश का प्रारंभिक जीवन सैफई गांव में बीता. उन्होंने राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. उच्च शिक्षा के लिए वे सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया गए, जहाँ से उन्होंने पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की.

अखिलेश यादव ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 2000 में की, जब वे कन्नौज से लोकसभा के लिए चुने गए, उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और जल्द ही समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक बन गए. अखिलेश यादव वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, जब समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया। 38 वर्ष की आयु में वे उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं और विकास योजनाएं शुरू की गईं. इनमें प्रमुख हैं: –

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल परियोजनाएं (लखनऊ मेट्रो सहित), लैपटॉप वितरण योजना, जिससे छात्रों को मुफ्त लैपटॉप प्रदान किए गए और समाजवादी पेंशन योजना. उन्होंने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, और कृषि के क्षेत्रों में सुधार के लिए काम किया. अखिलेश यादव के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियाँ और परियोजनाएं शुरू की गईं, जो राज्य के विकास में सहायक सिद्ध हुईं.

अखिलेश यादव का विवाह डिंपल यादव से हुआ है, जो एक राजनीतिज्ञ हैं और कन्नौज से लोकसभा की सदस्य रही हैं. उनके तीन बच्चे हैं. अखिलेश यादव का राजनीतिक कैरियर चुनौतियों और संघर्षों से भरा रहा है. उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी के भीतर कई मतभेद और विवाद हुए, जिनका उन्होंने सफलतापूर्वक सामना किया. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बावजूद, उन्होंने अपने नेतृत्व को बनाए रखा और पार्टी को पुनर्गठित करने के प्रयास जारी रखे.

अखिलेश यादव का जीवन और कैरियर भारतीय राजनीति के विविध पहलुओं का उदाहरण है. उनके युवा नेतृत्व ने नई पीढ़ी के राजनीतिज्ञों के लिए एक मिसाल कायम की है, और उनके कार्यों और नीतियों ने उत्तर प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

==========  =========  ===========

अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला

कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं जिन्होंने नासा के साथ काम किया. उनका जन्म 1 जुलाई 1961 को हरियाणा, भारत में हुआ था. कल्पना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गईं. उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.

वर्ष 1997 में, कल्पना ने नासा के स्पेस शटल कोलंबिया मिशन STS-87 में भाग लिया, जो उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा थी. वे इस मिशन में पेलोड स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हुईं और अंतरिक्ष में कई प्रयोग किए.

उनकी दूसरी और आखिरी अंतरिक्ष यात्रा 2003 में हुई थी, जब वे स्पेस शटल कोलंबिया के मिशन STS-107 में भाग ले रही थीं. दुर्भाग्यवश, यह मिशन एक त्रासदी में समाप्त हुआ जब कोलंबिया स्पेस शटल वापसी के दौरान वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते समय टूट गया और कल्पना चावला सहित सभी सात चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई.

कल्पना चावला की विरासत और योगदान अब भी अंतरिक्ष अन्वेषण और विज्ञान के क्षेत्र में प्रेरणादायक है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री जया अहसान

जया अहसान एक प्रसिद्ध बंगाली अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता और सुंदरता के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1972 को बांग्लादेश के ढाका में हुआ था. उन्होंने बांग्लादेशी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई और बाद में भारतीय बंगाली फिल्मों में भी काम किया. जया अहसान का जन्म और पालन-पोषण ढाका में हुआ. उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. बचपन से ही उन्हें अभिनय और संगीत में रुचि थी, और उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अभिनय में भी कैरियर बनाने का निर्णय लिया.

जया अहसान ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग और टेलीविजन धारावाहिकों से की. उनके अभिनय कैरियर की शुरुआत बांग्लादेशी टेलीविजन ड्रामा से हुई, जहाँ उन्होंने अपनी प्रतिभा और अभिनय कौशल के बल पर जल्दी ही प्रसिद्धि प्राप्त की. जया अहसान ने बांग्लादेशी सिनेमा में कई प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं और अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता है.

बांग्लादेशी फिल्में: –

गुरिल्ला (2011): – यह फिल्म बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित है और इसमें जया की अदाकारी को विशेष सराहना मिली.

चोराबली (2012): – इस फिल्म में उनके अभिनय के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले.

भारतीय बंगाली फिल्में: –

एबोर्टो (2013): – यह फिल्म प्रसिद्ध लेखक और निर्देशक अरिंदम शील द्वारा निर्देशित है.

बिशोरजन  (2017): – इस फिल्म में उनके प्रदर्शन को व्यापक प्रशंसा मिली और फिल्म को भी कई पुरस्कार मिले.

जया अहसान को उनके अद्वितीय अभिनय के लिए बांग्लादेश नेशनल फिल्म अवार्ड्स, मेरिल-प्रोथोम आलो पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड्स ईस्ट सम्मान से सम्मानित की गईं. जया अहसान का विवाह बांग्लादेशी फिल्म निर्माता और अभिनेता फैसल अहसान से हुआ था, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया. वे वर्तमान में अभिनय के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं.

जया अहसान ने अपने अभिनय कैरियर के माध्यम से बांग्लादेश और भारतीय बंगाली सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी अदाकारी और संजीदगी ने उन्हें दर्शकों और आलोचकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय बनाया है. वे एक प्रेरणादायक अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने समर्पण और मेहनत से खुद को फिल्म उद्योग में स्थापित किया है.

जया अहसान की प्रतिभा और अभिनय कौशल ने उन्हें न केवल बंगाल, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बना दिया है. उनका कैरियर और जीवन अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती

रिया चक्रवर्ती एक भारतीय अभिनेत्री और वीजे (वीडियो जॉकी) हैं, जो हिंदी फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1992 को बंगलुरु, कर्नाटक, भारत में हुआ था. रिया ने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की और बाद में फिल्मों में अपनी पहचान बनाई. रिया चक्रवर्ती का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, अंबाला कैंट से पूरी की. उनके पिता इंडियन आर्मी में अधिकारी थे, जिससे उनका परिवार अक्सर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होता रहता था.

रिया ने अपने कैरियर की शुरुआत एमटीवी इंडिया के शो “टीवीएस स्कूटी तीन दीव से” की, जहाँ वे पहली रनर-अप रहीं. इसके बाद, उन्होंने एमटीवी के कई अन्य शो जैसे “पेप्सी एमटीवी वास्सुप” और “एमटीवी गॉन इन 60 सेकंड्स” में वीजे के रूप में काम किया. रिया चक्रवर्ती ने वर्ष 2012 में तेलुगु फिल्म “तुनेगा तुनेगा” से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों में कदम रखा.

प्रमुख फिल्मों: –

मेरे डैड की मारुति (2013): यह उनकी पहली हिंदी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने जसलीन का किरदार निभाया.

सोनाली केबल (2014): इस फिल्म में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई.

हाफ गर्लफ्रेंड(2017): इस फिल्म में उन्होंने एक सहायक भूमिका निभाई.

जलेबी (2018): यह एक प्रमुख फिल्म थी जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई.

रिया चक्रवर्ती का व्यक्तिगत जीवन सुर्खियों में तब आया जब उनका नाम अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के साथ जोड़ा गया. सुशांत की असामयिक मृत्यु के बाद, रिया का नाम जांच और विवादों में घिरा रहा. उन पर विभिन्न आरोप लगे, जिनमें ड्रग्स से संबंधित आरोप भी शामिल थे. रिया ने इन आरोपों का सामना किया और कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग किया.

सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद रिया चक्रवर्ती ने सार्वजनिक और कानूनी चुनौतियों का सामना किया. उन्हें मीडिया ट्रायल और व्यक्तिगत आक्षेपों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने साहस और धैर्य के साथ सभी कठिनाइयों का सामना किया. रिया चक्रवर्ती वर्तमान में अपने कैरियर पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और फिल्मों में अपनी पहचान बनाने के लिए काम कर रही हैं. वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती हैं और अपने फैंस के साथ जुड़ी रहती हैं.

रिया चक्रवर्ती की कहानी साहस, संघर्ष और धैर्य की कहानी है. उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया और अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत की. उनकी यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो यह दिखाती है कि किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है और सफलता प्राप्त की जा सकती है.

रिया चक्रवर्ती का जीवन और कैरियर भारतीय फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और वे अपने अभिनय और प्रतिभा के माध्यम से आगे भी दर्शकों को प्रभावित करती रहेंगी.

==========  =========  ===========

सी. वाई. चिन्तामणि

सी. वाई. चिन्तामणि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. वह एक सशक्त विचारक, लेखक और संपादक थे जिन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी दृष्टि रखी थी. उनका जन्म 10 अप्रैल 1880 को हुआ था और वह शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध थे.

चिन्तामणि ने पत्रकारिता को एक मंच के रूप में इस्तेमाल करके लोगों को जागरूक करने और उन्हें प्रेरित करने का कार्य किया. उनके नेतृत्व में ‘लीडर’ नामक अखबार ने राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई.

इसके अतिरिक्त, सी. वाई. चिन्तामणि ने कई साहित्यिक और राजनीतिक लेख लिखे जो आज भी प्रेरणादायक माने जाते हैं. उनके विचार और लेखन ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला. उन्होंने पत्रकारिता को सिर्फ एक माध्यम नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में देखा.

उनकी मृत्यु 2 जुलाई 1941 को हुई, लेकिन उनका योगदान आज भी भारतीय पत्रकारिता और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में आदर्श के रूप में जीवित है. उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है.

==========  =========  ===========

स्वतंत्रता सेनानी पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरुषोत्तम दास टंडन एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. उन्हें “राजर्षि” के नाम से भी जाना जाता है. टंडन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता थे और हिंदी के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म 1 अगस्त, 1882 को उत्तर प्रदेश के प्राचीनतम और धार्मिक शहर इलाहाबाद में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय ‘सिटी एंग्लो वर्नाक्यूलर विद्यालय’ में हुई थी. इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की और एम.ए. इतिहास विषय से किया. वर्ष 1906 में वकालत की प्रैक्टिस के लिए पुरुषोत्तम जी ने ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय’ में काम करना शुरू किया.

टंडन ने ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के साथ वर्ष 1899 से ही काम करना शुरु कर दिया था. क्रांतिकारी कार्यकलापों के कारण उन्हें ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ के ‘म्योर सेण्ट्रल कॉलेज’ से निष्कासित भी कर दिया गया था. वर्ष 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा रहे ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ के सिलसिले में वे बस्ती में गिरफ्तार हुए और उन्हें कारावास का दण्ड मिला.

टंडन ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के प्रबल समर्थक थे और इसको आगे बढ़ाने और राष्ट्रभाषा का स्थान देने के लिए काफ़ी प्रयास कर रहे थे. आज़ादी के बाद पुरुषोत्तम दास टंडन ने उत्तर प्रदेश की विधान सभा के प्रवक्ता के रूप में तेरह साल तक काम किया. वर्ष 1961 में भारत सरकार द्वारा पुरुषोत्तम दास टंडन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

पुरुषोत्तम दास टंडन का निधन 1 जुलाई 1962 को हुआ. उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राष्ट्र सेवा और हिंदी भाषा के उत्थान के लिए समर्पित किया. उनका जीवन और योगदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है.

:

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button