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व्यक्ति विशेष– 527.

फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक ख़्वाजा अहमद अब्बास

ख्वाजा अहमद अब्बास भारतीय सिनेमा में एक प्रभावशाली फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, और उर्दू साहित्यकार थे. उनका जन्म 7 जून 1914 को हुआ था और उनकी मृत्यु 1 जून 1987 को हुई. अब्बास ने अपने कैरियर में बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर जोर दिया.

उनकी पटकथा लेखन क्षमता की सराहना विशेष रूप से की गई, जिसमें ‘आवारा’ (1951) और ‘श्री 420’ (1955) जैसी क्लासिक फिल्मों के लिए उनका योगदान शामिल है, जिन्हें उन्होंने राज कपूर के साथ मिलकर लिखा. ये फिल्में न केवल भारतीय सिनेमा में मील के पत्थर साबित हुईं, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई.

अब्बास ने निर्देशन में भी अपना नाम कमाया, जिसमें ‘धरती के लाल’ (1946) और ‘नया संसार’ (1941) जैसी फिल्में शामिल हैं, जो समाज में व्याप्त विषयों और संघर्षों पर केंद्रित थीं. उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक चेतना को उजागर करती थीं और दर्शकों को प्रेरित करती थीं.

उर्दू लेखन में भी अब्बास का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से योगदान दिया और कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें ‘इंकलाब’ और ‘सरकंडों की दुनिया’ प्रमुख हैं. उनके लेखन में गहरी सामाजिक समझ और मानवीय संवेदनाएं प्रमुख रूप से दिखाई देती हैं, जिसने उन्हें उर्दू साहित्य में एक विशेष स्थान दिलाया.

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अभिनेता टीकू टालसनिया

टीकू टालसनिया एक भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने हिंदी फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं. उनका जन्म 7 जून 1954 को हुआ था, और वे खासतौर पर कॉमेडी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं. टीकू ने अपने कैरियर में 100 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया है, और उन्होंने कई हिट फिल्मों में यादगार प्रदर्शन दिया है.

उन्होंने ‘अंदाज अपना अपना’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘जुड़वा’, ‘इश्क’, और ‘मस्ती’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है. उनकी कॉमिक टाइमिंग और अभिव्यक्ति की क्षमता ने उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया है.

टेलीविजन पर भी टीकू टालसनिया का व्यापक योगदान रहा है. उन्होंने ‘ये जो है जिंदगी’, ‘खिचड़ी’, और ‘साराभाई वर्सेस साराभाई’ जैसे लोकप्रिय शोज़ में काम किया है, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए हैं.

टीकू टालसनिया का विवाह दीप्ति से हुआ. उनके उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा, रोहन तलसानिया और एक बेटी, अभिनेत्री शिखा तलसानिया, जिन्होंने वीरे दी वेडिंग, कुली नंबर 1 और आई हेट लव स्टोरीज जैसी फिल्मों में अभिनय किया है. उनका अभिनय न केवल मनोरंजक होता है बल्कि कई बार उन्होंने ऐसी भूमिकाएं निभाई हैं जो सामाजिक संदेश भी देती हैं. उनकी विशिष्ट शैली और प्रतिभा ने उन्हें हिंदी मनोरंजन जगत में एक विशेष स्थान दिलाया है.

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टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति

महेश भूपति भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विशेष रूप से युगल और मिश्रित युगल में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है. उनका जन्म 7 जून 1974 को चेन्नई में हुआ था, और वे विश्व टेनिस में भारत के सबसे सफल डबल्स प्लेयर्स में से एक हैं.

भूपति ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. उन्होंने 12 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं, जिनमें 4 ग्रैंड स्लैम मिश्रित युगल खिताब और 8 ग्रैंड स्लैम युगल खिताब शामिल हैं. भूपति ने 1997 में रोलां गैरो (फ्रेंच ओपन) में जापानी खिलाड़ी रिका हिराकी के साथ मिश्रित युगल खिताब जीतकर ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने.

महेश भूपति ने लिएंडर पेस के साथ मिलकर एक सफल जोड़ी बनाई, जिसे “इंडियन एक्सप्रेस” के नाम से जाना जाता है. दोनों ने मिलकर कई टूर्नामेंट्स में विजय प्राप्त की और टेनिस में भारत का नाम रोशन किया. उनकी जोड़ी ने ना केवल डबल्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया बल्कि ओलंपिक और डेविस कप में भी भारत की मजबूत प्रतिनिधित्व किया.

अपने खेल के अलावा, भूपति ने टेनिस प्रमोशन और खिलाड़ियों की मेंटोरिंग में भी सक्रिय भूमिका निभाई है. उन्होंने टेनिस अकादमियां खोली हैं और भारतीय टेनिस के विकास में अपना योगदान दिया है.

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अभिनेत्री अमृता राव

अमृता राव एक प्रतिभाशाली भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में कई हिट फिल्मों में अभिनय किया है. उनका जन्म 7 जून 1981 को मुंबई में हुआ था. अमृता ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष  2002 में फिल्म ‘अब के बरस’ से की थी, लेकिन उन्हें पहचान वर्ष 2003 की फिल्म ‘इश्क विश्क’ से मिली, जिसमें उन्होंने शाहिद कपूर के साथ मुख्य भूमिका निभाई. इस फिल्म के लिए उन्हें कई पुरस्कारों के लिए नामांकन भी मिला.

अमृता ने ‘मैं हूँ ना’ (2004) और ‘विवाह’ (2006) जैसी फिल्मों में अपनी उम्दा अभिनय क्षमता का परिचय दिया. ‘विवाह’ में उनकी निभाई गई पूनम की भूमिका को काफी सराहना मिली, और यह फिल्म उस वर्ष की सबसे बड़ी हिट में से एक बनी. उनके अभिनय की गंभीरता और सादगी ने उन्हें दर्शकों का दिल जीत लिया.

इसके अलावा, अमृता ने ‘जॉली एलएलबी’ और ‘सत्याग्रह’ जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया, जिनमें उनके चरित्र ने विविधता और परिपक्वता का परिचय दिया. उन्होंने टेलीविजन पर भी काम किया है और विभिन्न फैशन और विज्ञापन अभियानों में भी नज़र आई हैं.

अमृता का अभिनय कैरियर उनकी विविध भूमिकाओं के चयन और उनके प्रदर्शन की गहराई को दर्शाता है, जिसने उन्हें बॉलीवुड में एक सम्मानित स्थान दिलाया है.

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कार्यवाहक राष्ट्रपति, कार्यवाहक उपराष्ट्रपति, बी डी जत्ती

बी डी जत्ती, जिनका पूरा नाम बसप्पा दानप्पा जत्ती है, भारत के प्रमुख राजनीतिज्ञों में से एक थे. उनका जन्म 10 सितंबर 1912 को बीजापुर ज़िले के सवालगी ग्राम में हुआ था और उनकी मृत्यु 7 जून 2002 को हुई. जत्ती ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.

उन्होंने भारत के उप-राष्ट्रपति के रूप में वर्ष 1974- 79 तक कार्य किया और इस दौरान वर्ष 1977 में उन्होंने कुछ महीनों के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया था. यह तब हुआ जब राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का निधन हो गया था. जत्ती का कार्यकाल राष्ट्रपति के रूप में अल्पकालिक था, लेकिन उन्होंने इस पद पर रहते हुए संयम और गरिमा का परिचय दिया.

जत्ती ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया था और वे लंबे समय तक विधायिका में सक्रिय रहे. उनका राजनीतिक जीवन समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित था. जत्ती की नीतियाँ और उनका नेतृत्व आज भी कर्नाटक और भारतीय राजनीति में सराहनीय मानी जाती हैं.

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नृत्य गुरु नटराज रामकृष्ण

नृत्य गुरु नटराज रामकृष्ण भारतीय क्लासिकल डांस, विशेष रूप से आंध्र नाट्यम और भरतनाट्यम में एक प्रसिद्ध नर्तक और गुरु थे. उन्होंने आंध्र नाट्यम, जो कि एक पारंपरिक तेलुगु नृत्य शैली है, को पुनर्जीवित करने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नटराज रामकृष्ण का जन्म 21 मार्च 1923 को इंडोनेशिया में हुआ था. बचपन से ही कला और नृत्य के प्रति उनकी रुचि गहरी थी. नटराज रामकृष्ण ने आंध्र प्रदेश के पारंपरिक नृत्य रूपों, विशेष रूप से आंध्र नाट्यम और पेरिनी शिव तांडव को पुनर्जीवित किया. उन्होंने इस प्राचीन कला को समर्पित होकर इसे संरक्षित करने और लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई. पेरिनी शिव तांडव, जो कि एक तांडव नृत्य है और शिव को समर्पित है, का पुनर्जागरण उनकी अद्वितीय उपलब्धियों में से एक है.

वे अपने शिष्यों के बीच केवल एक गुरु ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत भी थे. उनकी शिक्षाएं न केवल नृत्य तकनीकों पर आधारित थीं, बल्कि उन्होंने नृत्य को मानवता और संस्कृति से जोड़कर देखा. उन्होंने नृत्य को भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा माना और इसे विभिन्न सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर प्रस्तुत किया.

गुरु नटराज रामकृष्ण के योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया. वे संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित हुए. गुरु नटराज रामकृष्ण का निधन 7 जून 2011 को हैदराबाद में हुआ था.

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