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व्यक्ति विशेष -510.

आध्यात्मिक गुरु चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती

चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती, जिनका जन्म नाम रामेश्वर जोशी था, एक प्रमुख हिन्दी कवि और संत थे. उन्होंने नेपाल के नाथद्वारा जनपद में 20 मई 1894 को जन्म लिया था और उनका निधन 08  जनवरी 1994 को हुआ था.

चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती ने अपने जीवन में अपनी रचनाओं के माध्यम से भक्ति, धर्म, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सार्थकता के साथ फैलाया. उनकी कविताएं, साहित्यिक रचनाएं और उनके उपदेशों में विचारशीलता और आध्यात्मिकता की गहरी भावना होती थी.

उनकी मुख्य रचनाएं मुख्यतः हिन्दी में हैं, लेकिन उन्होंने अनेक भाषाओं में भी रचनाएं कीं। उनका सम्पूर्ण जीवन धर्म, संतता, और आत्म-रूप की ओर समर्पित था. वे विशेष रूप से वेदांत और अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं.

चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती ने विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए और समाज को जागरूक करने का कार्य किया. उनके द्वारा बनाए गए संत रामपुरी आश्रम नेपाल में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में जाने जाते हैं.

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कवि सुमित्रानंदन पंत

सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के चार प्रमुख स्तंभों में से एक, छायावादी युग के प्रमुख कवि थे. उनका जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी में हुआ था. पंत की कविताएँ प्रकृति, प्रेम, और आध्यात्मिकता के विषयों को छूती हैं, और उनकी भाषा में एक गहरी संवेदनशीलता और कोमलता होती है.

पंत के प्रमुख काव्य संग्रह में “पल्लव”, “गुंजन”, “ग्राम्या”, और “चिदंबरा” शामिल हैं. उन्होंने हिंदी कविता में प्रकृति के सौंदर्य को एक नए और ताज़ा ढंग से प्रस्तुत किया. उनकी कविताओं में व्यक्त होने वाली भावनाएँ और विचार दोनों ही उनकी गहराई और उनके विशाल ज्ञान को दर्शाते हैं.

सुमित्रानंदन पंत को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल हैं. उनकी कविताएँ आज भी हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती हैं और उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं. महाकवि सुमित्रानंदन पंत का निधन 28 दिसम्बर 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था.

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मूर्तिकार रामकिंकर बैज

रामकिंकर बैज भारतीय आधुनिक कला के सबसे प्रमुख मूर्तिकारों में से एक थे. उनका जन्म 25 मई 1906 को बंगाल के बांकुड़ा जिले में हुआ था. रामकिंकर बैज ने अपनी कलात्मक यात्रा शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में नंदलाल बोस के शिष्य के रूप में शुरू की थी, और वहीं उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया.

रामकिंकर की कला में नवीनता और प्रयोगधर्मिता की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. उन्होंने मिट्टी, सीमेंट, पत्थर और लोहे जैसी विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करके कई उल्लेखनीय मूर्तियाँ और चित्र बनाए. उनके काम में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं की गहराई से पड़ताल की गई है, जिसमें ग्रामीण जीवन और श्रमिक वर्ग के लोगों का चित्रण शामिल है.

रामकिंकर बैज की कुछ प्रमुख मूर्तिकला कृतियों में ‘संजीवनी’ और ‘यक्षा-यक्षिणी’ शामिल हैं, जो शांति निकेतन में स्थित हैं. उनकी कला ने भारतीय मूर्तिकला की दिशा और परिभाषा को नया रूप दिया और उन्हें अक्सर भारतीय आधुनिकतावादी कला के प्रणेता के रूप में माना जाता है. उनकी मृत्यु 2 अगस्त 1980 को हुई थी, लेकिन उनका काम आज भी कला के छात्रों और प्रशंसकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.

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अभिनेता और गायक एनटी राम राव जूनियर

एनटी राम राव जूनियर जिन्हें आमतौर पर NTR जूनियर के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध तेलुगु सिनेमा अभिनेता और गायक हैं. वे प्रमुख तेलुगु अभिनेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन. टी. रामा राव के पोते हैं. NTR जूनियर का जन्म 20 मई 1983 को हैदराबाद में हुआ था और उन्होंने बहुत ही युवा उम्र से फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था.

उन्होंने अपनी फिल्मी कैरियर की शुरुआत बच्चे के रूप में की थी, लेकिन उन्होंने वयस्क के रूप में अपनी पहली फिल्म “निन्नू चूडलानी” से 2001 में प्रमुख अभिनेता के रूप में डेब्यू किया। वह तब से कई हिट फिल्मों में नजर आए हैं जैसे कि “सिम्हाद्रि”, “तेम्पर”, “जनता गैराज”, और “अरविंदा समेथा वीरा राघवा”.

NTR जूनियर ने अपनी शानदार अभिनय क्षमता और डांस में अपनी उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं. उन्होंने गायक के रूप में भी कुछ गाने गाए हैं जो काफी लोकप्रिय हुए हैं. उनकी विविध प्रतिभाओं ने उन्हें तेलुगु फिल्म उद्योग में एक विशेष स्थान दिलाया है.

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अभिनेत्री नविका कोटिया

नविका कोटिया एक भारतीय टेलीविजन और फिल्म अभिनेत्री हैं. उनका जन्म 20 मई 2000 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही अभिनय की शुरुआत की और विशेष रूप से टीवी शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में उनके किरदार ‘चिक्की’ के लिए जानी जाती हैं. इस शो में उनकी भूमिका ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई. उन्होंने कुछ बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है, जिसमें ‘इंग्लिश विंग्लिश’ शामिल है, जहाँ उन्होंने श्रीदेवी की बेटी का रोल निभाया था.

नविका कोटिया ने अपनी नैसर्गिक अभिनय प्रतिभा और स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी से कई प्रशंसकों का दिल जीता है. उन्होंने अपने कैरियर में विभिन्न तरह के रोल किए हैं, जिसमें बच्चों के किरदार से लेकर महत्वपूर्ण सहायक भूमिकाएँ तक शामिल हैं.

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होल्कर वंश के प्रवर्तक मल्हारराव होल्कर

मल्हारराव होल्कर होल्कर वंश के प्रवर्तक और एक प्रमुख मराठा सरदार थे, जिन्होंने 18वीं सदी के दौरान मालवा क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया था. उनका जन्म 16 मार्च 1693 को हुआ था और उन्होंने मराठा साम्राज्य के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

मल्हारराव होल्कर ने अपने वीरता और कुशल रणनीतिक योगदानों के चलते मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव प्रथम का विश्वास जीता. उन्होंने मराठा सेना के विभिन्न अभियानों में भाग लिया और उत्तर भारत में मराठा प्रभाव को मजबूत किया. मल्हारराव ने मालवा, राजपूताना और गुजरात के क्षेत्रों में मराठा उपस्थिति का विस्तार किया और इन क्षेत्रों में मराठा प्रभुत्व स्थापित किया.

उनके नेतृत्व में होल्कर वंश ने इंदौर को अपना मुख्यालय बनाया और वहाँ से विभिन्न राजनीतिक और सैन्य अभियानों का संचालन किया. मल्हारराव की मृत्यु 20 मई 1766 को हुई थी. उनके जीवन और कैरियर ने मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा और होल्कर वंश को मजबूत आधार प्रदान किया.

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स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल

राजकुमार शुक्ल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिन्होंने महात्मा गांधी को चंपारण के किसानों की दुर्दशा के प्रति आकर्षित किया और उन्हें चंपारण सत्याग्रह के लिए प्रेरित किया. राजकुमार शुक्ल खुद एक किसान और नील के खेती के विरुद्ध संघर्ष कर रहे किसानों के प्रतिनिधि थे.

राजकुमार शुक्ल का जन्म 23 अगस्त, 1875 को  बिहार के चंपारण जिले में हुआ और उनका निधन 20 मई, 1929 को मोतिहारी, बिहार में हुआ था. उन्होंने देखा कि किस तरह ब्रिटिश उपनिवेशिक प्रशासन ने टिनकाथिया प्रथा के माध्यम से किसानों को अपनी जमीन का एक तिहाई हिस्सा नील की खेती के लिए आरक्षित करने के लिए मजबूर किया. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी.

राजकुमार शुक्ल ने 1916 में लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी से मुलाकात की और उन्हें चंपारण आने के लिए मनाया. इसके बाद, 1917 में गांधीजी ने चंपारण पहुंचकर वहाँ के किसानों की समस्याओं का अध्ययन किया और एक सफल सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसने नील की खेती के लिए किसानों पर थोपी गई पाबंदियों को समाप्त करवाया. राजकुमार शुक्ल की इस पहल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गांधीजी के नेतृत्व को और अधिक मजबूती प्रदान की.

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क्रांतिकारी बिपिन चंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्हें “लाल-बाल-पाल” त्रिमूर्ति का हिस्सा माना जाता है, जिसमें लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल शामिल थे. इस त्रिमूर्ति ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कठोर रुख अपनाते हुए एक सक्रिय आंदोलन की नींव रखी और भारतीयों में देशभक्ति की भावना का संचार किया.

बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर 1858 को सिलहट (अब बांग्लादेश में) में हुआ था. वे एक समाज सुधारक, शिक्षाविद् और पत्रकार थे. उन्होंने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग बढ़ावा देने पर जोर दिया. उनके विचार उग्र थे, और वे सुधारवादी आंदोलन के पक्षधर थे. उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग और स्वदेशी आंदोलन चलाया.

बिपिन चंद्र पाल का मानना था कि भारत की आजादी केवल राजनीतिक बदलाव से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों से भी आएगी. उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन किया और लेखन के माध्यम से जनता को जागरूक किया. उनके भाषण और लेखन ने भारतीय समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया और भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

बिपिन चंद्र पाल का निधन 20 मई 1932 को हुआ था. उनका  स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और उनकी उग्र विचारधारा उन्हें भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में स्थापित करती है.

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अभिनेत्री सुधा शिवपुरी

सुधा शिवपुरी भारतीय टेलीविजन और फिल्म की एक अभिनेत्री थीं. वे अपने अभिनय के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं, और भारतीय टेलीविजन पर उनकी छवि एक आदर्श सास के रूप में बनी हुई है. सुधा शिवपुरी का जन्म 14 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. उन्होंने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत थियेटर से की. सुधा ने प्रसिद्ध नाट्यकला संस्थान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से अपनी पढ़ाई पूरी की और थिएटर में सक्रिय रहीं.

सुधा शिवपुरी ने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्मों से की. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें “स्वामी”, “इंसाफ का तराजू”, “विधाता”, और “प्रेम रोग” जैसी फिल्में शामिल हैं. सुधा शिवपुरी को असली प्रसिद्धि टेलीविजन धारावाहिकों से मिली. वे भारतीय टेलीविजन के सबसे लोकप्रिय धारावाहिक “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” में ‘बा’ (अमृत मंसूखलाल विरानी) के किरदार के लिए जानी जाती हैं. इस किरदार ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया.

सुधा शिवपुरी ने कई अन्य लोकप्रिय धारावाहिकों में भी काम किया, जैसे “कसम से”, “किस देश में है मेरा दिल”, और “रिश्ते”. उनके अभिनय की विविधता और गहराई ने उन्हें टेलीविजन की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया.

सुधा शिवपुरी का विवाह थियेटर और फिल्म अभिनेता ओम शिवपुरी से हुआ था. उनके दो बच्चे हैं – एक पुत्र, विनती शिवपुरी, और एक पुत्री, ऋतु शिवपुरी, जो भी फिल्म और टेलीविजन उद्योग में सक्रिय हैं. सुधा शिवपुरी का निधन 20 मई 2015 को मुंबई में हुआ. उनके निधन से भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में एक बड़ी क्षति हुई, और उन्हें हमेशा एक महान अभिनेत्री और आदर्श सास के रूप में याद किया जाएगा.

सुधा शिवपुरी का जीवन और कैरियर भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा.

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नारीवादी विद्वान लीला दूबे

लीला दूबे एक प्रसिद्ध नारीवादी विद्वान हैं, जिन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति, उनकी भूमिकाओं, और सामाजिक संरचनाओं पर गहराई से अध्ययन किया है. उनका काम मुख्य रूप से समाजशास्त्र और नारीवादी अध्ययनों पर केंद्रित है. लीला दूबे का जन्म 27 मार्च, 1923 को हुआ और उनका निधन  20 मई, 2012 को हुआ था.

लीला दूबे ने विवाह, परिवार, लिंग संबंधों, और किन्नर समुदायों पर विस्तृत शोध किया है. उन्होंने भारतीय समाज में लिंग और जाति की परतों को उजागर करने वाले अनेक पेपर्स और किताबें लिखी हैं. उनके शोध ने नारीवादी चिंतन और सामाजिक न्याय के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

उनकी लेखनी ने नारीवादी अध्ययनों के क्षेत्र में भारतीय संदर्भों और परिप्रेक्ष्यों को महत्वपूर्ण बनाया है. लीला दूबे के काम ने न केवल भारतीय समाज में महिलाओं के जीवन को समझने में मदद की है, बल्कि वैश्विक नारीवादी चिंतन में भी एक अहम योगदान दिया है.

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