हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता या यूँ कहें कि, सांप या सर्प की पूजा की जाती है. वेद-पुरानों में लिखा है कि देवताएं सर्प को आभूषण के रूप में प्रयोग करते हैं, तो कहीं देवता सर्प के फन पर नृत्य भी करते हैं, कहीं देवता सर्प को शैय्या बनाकर विश्राम भी करते हैं. उपर लिखे गये श्लोक को भविष्योत्तर पुराण से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, “वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, काकोर्टक और धनंजय ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं”.
हिन्दू संस्कृति में हर जीव की अपनी भूमिका होती है, जिसका निर्वहन खुद वह जीव ही करता है, जैसे:- जिस प्रकार वृषभ (वैल) का प्रयोग खेतों में या गाडी खीचने में होता है, घोड़ा का प्रयोग सवारी के लिए करते हैं ठीक, उसी प्रकार नाग या सर्प को क्षेत्रपाल कहा जाता है. ज्ञात है कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतर आबादी खेतों पर ही निर्भर होती है. कई ऐसे भी जीव-जन्तु होते है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन, सर्प इन नुकसान पहुँचाने वाले जीवों का नाश कर हमारे खतों को हरा-भरा रखने में मदद करता है.
वेद-पुरानों या यूँ कहें कि ग्रंथों में कई कहानियाँ लिखी गई है, उन्हीं कहानियों में एक कहानी है समुद्र मंथन की. समुद्र मंथन में वासुकी नाग को रस्सी बनाकर देवता और दानव समुद्र का मंथन (मथते) करते हैं और इस मंथन से कई प्रकार की वस्तुएँ निकली थी, उनमे से एक अमृत भी था. ज्ञात है कि, अषाढ़ और सावन के महीने में झमाझम बरसात होती है, तब जीव-जन्तु बिलों से बाहर आकर किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं. ऐसे में कई जहरीले जीव-जन्तु हमारे घरों में घुसकर हमें नुकसान पहुंचा सकते है. इसलिए उनकी पूजा के जरिये प्रार्थना करते हैं कि वो किसी को नुकसान ना पहुंचाएं.
सावन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन पुरे देश में नाग पंचमी का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग सर्प को दूध पिलाते है. जबकि पुरानों में साफ़ तौर पर लिखा है कि, नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध से नहलाना चाहिए. हिन्दू परम्परा के अनुसार नाग पंचमी के दिन दीवालों पर नाग देव की आकृति बनाकर या सोने, चांदी, लकड़ी व मिटटी की आकृति बनाकर कच्चा दूध, दही, दूर्वा, कुश, हल्दी, चन्दन, गंध, अक्षत, पुष्प, रोली व चावल आदि से पूजन कर खीर-सेवई और मिठाई का भोग लगाते है. उसके बाद उनकी कथा या शिव पुराण का पाठ कर आरती करते हैं. बताते चलें कि, सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी को भी कहीं-कहीं नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है और, इस दिन सर्प देव की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग भी किया जाता है.
संकलन: – ज्ञानसागरटाइम्स टीम.
Video Link: – https://youtu.be/dyy7oIeM2V4