
दिन बीतते गए। शीला ने अपनी ज़िंदगी को एक नया आकार देने की कोशिश की. उसने पढ़ाना शुरू किया, बच्चों के मासूम चेहरों और उनकी जिज्ञासा भरी आँखों में उसे एक सुकून मिलता था. समय ने घावों पर एक धुंधली परत ज़रूर चढ़ा दी थी, पर टीस पूरी तरह से गायब नहीं हुई थी. वह किसी पुरानी तस्वीर की तरह कभी-कभी उभर आती थी, खासकर उन शांत रातों में जब तारे टिमटिमाते थे और हवा में किसी अनजाने गीत की उदासी घुली होती थी.
एक शाम, शीला अपनी पुरानी डायरी के पन्ने पलट रही थी. बरसों पहले लिखे कुछ शब्द उसकी आँखों के सामने आ गए – “रवि की आँखें… उनमें एक गहरा सागर है, जिसमें मैं डूब जाना चाहती हूँ.” पढ़कर उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई, एक ऐसी मुस्कान जिसमें खुशी से ज़्यादा दर्द की नमी थी.
डायरी के पन्नों में दबी हुई कुछ सूखी गुलाब की पत्तियां भी मिलीं. रवि ने उसे यह गुलाब तब दिया था, जब वे पहली बार एक साथ किसी फिल्म देखने गए थे. वह फिल्म, उस दिन की हर छोटी-बड़ी बात शीला को आज भी याद थी. रवि का शरमीला सा मुसकुराना, इंटरवल में साथ में खाई हुई मूंगफली, और फिल्म के बाद देर तक पैदल चलना… सब कुछ जैसे कल की बात हो.
उसने गुलाब की सूखी पत्तियों को अपनी हथेली पर रखा. वे अब रंगहीन और नाज़ुक हो चुकी थीं, पर उनकी छुअन में कहीं न कहीं उस बीते हुए प्यार की हल्की सी सिहरन अब भी बाकी थी.
ज़िंदगी में और भी लोग आए. कुछ ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, कुछ ने प्रेम का. पर शीला का हृदय, कहीं न कहीं उस पहले प्यार की स्मृति से बंधा रहा. उसने किसी को उस गहराई से चाहने की कोशिश ही नहीं की, जैसे रवि को चाहा था. डर था, शायद, फिर से उस खालीपन का, उस अनकही टीस का.
उसने कभी रवि को खोजने की कोशिश नहीं की. एक अजीब सा डर उसे रोकता था। क्या होगा अगर वह मिल जाए? क्या होगा अगर वह बदल गया हो? क्या होगा अगर उसे शीला याद भी न हो? इन सवालों के जवाबों से वह डरती थी. उसे अपनी यादों का रवि ही प्यारा था, वह अधूरा सपना ही उसकी धरोहर था.
एक दिन, स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हुए, शीला ने एक बच्चे को देखा जो बिल्कुल रवि की तरह मुस्कुरा रहा था. उस पल, उसके दिल में एक तेज़ टीस उठी. वह पल भर के लिए सुन्न हो गई. उस बच्चे की हँसी में उसे रवि की हँसी की हल्की सी झलक दिखाई दी थी.
शाम को घर लौटकर, शीला बालकनी में बैठी, चाय पी रही थी. आसमान में तारे चमक रहे थे. उसने गहरी साँस ली. मन का यह टीस… क्या यह हमेशा उसके साथ रहेगा? क्या कभी वह इस दबे हुए दर्द से मुक्त हो पाएगी?
शेष भाग अगले अंक में…,