
जैसे-जैसे समय बीतता गया, विकाश की स्थिरता बढ़ती गई. अब वह बुरे दिनों को बेहतर ढंग से पहचान पाता था और उनसे निपटने के लिए सीखी हुई तकनीकों का इस्तेमाल करता था. उसने महसूस किया कि मानसिक स्वास्थ्य एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हार न मानी जाए और मदद के लिए खुले रहें.
विकाश ने अब अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात करना शुरू कर दिया था. पहले उसे डर लगता था कि लोग उसे कमजोर समझेंगे, लेकिन जब उसने अनिता और डॉ. नैना से अपनी कहानी साझा की, तो उसे एहसास हुआ कि इससे उसे और भी मजबूत महसूस हुआ.
एक दिन कार्यालय में, एक नए कर्मचारी, रोहित ने विकाश से कहा कि वह कुछ दिनों से उदास महसूस कर रहा है और उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. विकाश ने रोहित को ध्यान से सुना और फिर अपने अनुभव साझा किए. उसने रोहित को थेरेपी के महत्व के बारे में बताया और उसे मदद लेने के लिए प्रोत्साहित किया.
रोहित को विकाश की बातों से बहुत सहारा मिला. उसने थेरेपिस्ट से मिलने का फैसला किया और धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार आने लगा. विकाश को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि वह किसी और की मदद कर पाया.
विकाश और अनिता का रिश्ता और भी गहरा हो गया था. अनिता हमेशा उसकी ताकत बनी रही, और विकाश ने भी उसे यह महसूस कराया कि वह अकेली नहीं है. उन्होंने एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियाँ और चिंताएँ साझा कीं.
एक शाम, जब वे एक साथ टहल रहे थे, अनिता ने कहा, ” विकाश, क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम अपने अनुभव से दूसरों की मदद कर सकते हो?”
विकाश ने कुछ देर सोचा। “हाँ, मैंने इस बारे में सोचा है. मुझे लगता है कि बहुत से लोग अकेले ही इस दर्द से गुजरते हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि मदद कहाँ मिलेगी या वे शर्म महसूस करते हैं.”
अनिता ने कहा, “तुम अपनी कहानी बताकर उन्हें उम्मीद दे सकते हो.”
इस बातचीत के बाद विकाश ने फैसला किया कि वह मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कुछ करेगा. उसने एक स्थानीय सहायता समूह में स्वयं सेवा करना शुरू कर दिया, जहाँ वह अपनी कहानी साझा करता था और दूसरों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता था.
उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कितने सारे लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें बस किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जो उन्हें सुने और समझे. विकाश की कहानी ने कई लोगों को हिम्मत दी और उन्हें यह महसूस कराया कि वे अकेले नहीं हैं.
धीरे-धीरे विकाश एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने लगा जो मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात करता है और दूसरों की मदद करता है. उसने अपने दर्द को दूसरों के लिए उम्मीद की किरण में बदल दिया था.
एक दिन डॉ. नैना ने विकाश से कहा, “तुमने बहुत लंबा सफर तय किया है, विकाश. मुझे तुम पर गर्व है.”
विकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब आपकी और अनिता की वजह से मुमकिन हो पाया.”
विकाश जानता था कि उसकी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है. उसे अभी भी अपनी देखभाल करनी होगी और चुनौतियों का सामना करना होगा. लेकिन अब उसके पास ज्ञान, समर्थन और सबसे महत्वपूर्ण, खुद पर विश्वास था.
उसने आकाश की ओर देखा. सूरज चमक रहा था, और उसके मन में शांति थी. उसने एक गहरी साँस ली और मुस्कुराया.
यह विकाश की कहानी का एक और मोड़ है, जहाँ उसने अपनी पीड़ा को ताकत में बदलकर दूसरों के जीवन को छूना शुरू कर दिया है.
शेष भाग अगले अंक में…,