प्रेम शाश्वत है…
प्रेम अलौकिक है. प्रेम शाश्वत है. प्रेम किसी को भी हो सकता है. यह जाति, धर्म, क्षेत्र की सीमा और संस्कृति को नहीं मानता. यह पानी की तरह रंगहीन है. सभी ने अपने -अपने ढंग से प्रेम की व्याख्या की है. प्रेम को किसी भी परिभाषा में बांधना असंभव है. इसे शब्दों के गांठों में बांधना मुश्किल है. यह मित्र, गुरु-शिष्य, भाई- बहन, माता -पिता संग पुत्र-पुत्री, पति-पत्नी आदि सभी स्थानों पर विधमान होता है. हाँ, यह अवश्य है, कि प्रत्येक स्थान पर इसकी प्रकृति अलग अलग होती है. यह अचानक आता है और सब कुछ बदल देता है. यह सर्वव्यापी है. यह बहुआयामी है. प्रेम जीवन का आधार है. इसके बिना जीवन नीरस है. गौतम बुद्ध ने कहा भी है- ‘प्रेम ही जीवन है’.इसे हम प्यार, मोहब्बत, इश्क, मया कहते हैं.
प्रेम सुरक्षा है. प्रेम वासना है. कहते हैं प्रेम की गहराई में कहीं न कहीं शारीरिक घनिष्टता छिपी होती है. प्रेम दो आत्माओं का मिलन होता है. प्रेम है तो जीवन है. प्रेम एक बहता हुआ दरिया है. प्रेम की अनिभूति अपने आप में परिपूर्ण और बेजोड़ है. प्रेम शक्ति है. प्रेम का स्वरुप भी गजब है. कहीं यह ढकी है तो कहीं यह निर्लज्ज होकर खड़ा हो जाता है और समाज को चुनौती देता है. साहित्य में प्रेम अन्तःसलिला की भांति जीवन सिचता है तो कहीं यह जीवन को उजाड़ कर नाश कर देता है. कहीं यह बच्चों सा मासूम निश्छल है, तो कहीं छल कपट से भरपूर. युगों-युगों से साहित्य में प्रेम के अलग-अलग प्रकार के स्वरुप है. कोई इसी रोमांटिक भाव में व्यक्त करता है तो किसी के यहाँ यह आराम, सुख-सुविधाओं और संरक्षण के एवज में जिन्दगी को उसकी सारी आशाओं आकांक्षाओं को गिरवी रखे हुए है. कहीं यह पूर्णता को प्राप्त करता है तो कहीं यह शुरू में या बीच में ही दम तोड़ देता है.
बिना प्रेम के कोई भी रचना असंभव है. कबीर के शब्दों में ‘प्रेम न बाड़ी उपजी प्रेम न हाट बिकाय राजा परजा जेहि रुचे सिर हैं सोई लै जाय!’लेकिन आज का प्रेम तो बाजारू हो गया है. आज प्रेम पर बाजार हावी है. लोगों ने प्रेम के स्वरुप को बदल दिया है. आज प्रेमी -प्रेमिका इन्टरनेट के माध्यम से प्रेम का इजहार करते हैं. आज का प्रेम फेसबुकिया प्रेम, ऑरकुट प्रेम, चैटिंग आदि रूपों में विभक्त हो गया हैं. आज प्रेम को विभिन्न नामों से पुकारा जाता हैं. प्रोमिस डे. रोज डे , किस डे ,हग डे, वेलेन्टाइन डे और न जाने कौन -कौन से नाम हैं इस प्रेम के. प्रेम के रास्ते में सुख और दुःख दोनों का एहसास होता है. इसमें लाभ और हानि दोनों प्राप्त होता है या कहें कि यह लाभ और हानि दोनों का मिश्रित रूप है.
यह बात सत्य है कि प्रेम मनुष्य को मनुष्य बनाता है और प्रेम ही जीवन है. प्रेम के बिना जीवन असंभव है. प्रेम दो दिलों को मिलाता जरुर है, मगर बहुत दिलों को तोड़कर. प्रेम के रास्ते में बहुत खतरे हैं. इस राह में बहुत धोखे हैं. इसके कारण बहुत से घर बर्बाद हुए हैं. यह कभी एकतरफा है, तो कभी दोतरफा. लेकिन नुकसान दोनों में है. एकतरफा प्यार कभी सफल नहीं होता है. जबकि दोतरफा प्यार सफल होकर भी असफल है. एक तरफ़ा प्यार काफी खतरनाक होता है. इसमे प्रेमी-प्रेमिका दोनों में से किसी एक के जीवन पर संकट के बादल मंडराते रहता है.
प्रेम की कोई उम्र सीमा नहीं होती है और न ही इसका कोई धर्म होता है. यह तो धर्म निरपेक्ष होता है. प्रेम बड़े-बड़ों को भी होता है. प्रेम कभी न खत्म होने वाला भाव है.
मया मरम अउ मीठ बोली जस देबे तस पाबे “
“जेन पिरित के संगी होही तेला तब पोगराबे”
कतकों होवय कंचन काया या दौलत के ढेरी
फेर म एकर पर जाबे त जीवन भर पछताबे”।
प्रभाकर कुमार(जमुई).
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Prem Shaashvat Hai…
Love is supernatural. Love is eternal. Love can happen to anyone. It does not recognize the boundaries of caste, religion, region and culture. It is colorless like water. Everyone has explained love in their own way. It is impossible to bind love in any definition. It is difficult to tie it into words. It is present at all places like friends, guru-disciple, brother-sister, parents along with son-daughter, husband-wife etc. Yes, it is true that its nature is different at every place. It comes suddenly and changes everything. It is omnipresent. It is multidimensional. Love is the basis of life. Life is dull without it. Gautam Buddha has also said- ‘Love is life’. We call it love, affection, love, illusion.
Love is security. Love is lust. It is said that physical intimacy is hidden somewhere in the depth of love. Love is the union of two souls. If there is love then there is life. Love is a flowing river. The feeling of love is complete and unmatched in itself. Love is power. The nature of love is also amazing. At some places it is covered and at other places it stands up shamelessly and challenges the society. In literature, love irrigates life like an ant-sali and at other times it destroys and destroys life. At times he is innocent and innocent like a child, at times he is full of deceit. There have been different types of forms of love in literature through the ages. Some people express this in a romantic manner, whereas some people have mortgaged their lives with all their hopes and aspirations in return for comfort, luxuries and protection. Somewhere it achieves perfection and somewhere it dies in the beginning or in the middle.
Any creation is impossible without love. In the words of Kabir, ‘Love is not grown in the garden, love is not sold in the market, the king takes the people who are interested in him, soi la jaaye!’ But today’s love has become marketable. Today the market dominates love. People have changed the nature of love. Today lovers express their love through the internet. Today’s love has been divided into forms like Facebook love, Orkut love, chatting etc. Today love is called by different names. Promise Day. Rose Day, Kiss Day, Hug Day, Valentine’s Day and many other names of this love. In the path of love, one experiences both happiness and sorrow. In this both profit and loss are obtained or it can be said that it is a mixed form of both profit and loss.
It is true that love makes a human being and love is life. Life is impossible without love. Love definitely unites two hearts, but by breaking many hearts. There are many dangers in the path of love. There are many deceptions in this path. Many houses have been destroyed due to this. Sometimes it is one-sided, sometimes two-sided. But there is harm in both. One-sided love never succeeds. Whereas two-sided love is successful yet unsuccessful. One sided love is very dangerous. In this, clouds of danger loom over the life of either the lover or the beloved.
Love has no age limit nor does it have any religion. This is secular. Even elders fall in love. Love is a never-ending feeling.
“Maya maram au mith boli jas debe tas pabe”
“Jen pirit ke sanghi hohi tela tab pograbe.”
Be it a beautiful body or a heap of wealth.
I will regret for the rest of my life if I go to Acre in return”.
Prabhakar Kumar (Jamui).