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युग की सीख…

ज्ञान का लोकतंत्रीकरण

एक समय था जब ज्ञान कुछ खास लोगों तक ही सीमित था – विद्वानों, पुजारियों या अभिजात वर्ग तक. आम लोगों के लिए शिक्षा और जानकारी तक पहुँचना बहुत मुश्किल था. किताबें दुर्लभ थीं और शिक्षा प्राप्त करना एक विशेषाधिकार माना जाता था.

लेकिन फिर छपाई की तकनीक आई और धीरे-धीरे ज्ञान का लोकतंत्रीकरण होने लगा. किताबें सस्ती हुईं और अधिक लोगों तक पहुँचने लगीं. स्कूल और विश्वविद्यालय खुलने लगे और शिक्षा धीरे-धीरे सभी के लिए सुलभ होने लगी.

फिर आया इंटरनेट का युग. आज ज्ञान हमारी उंगलियों पर है. हम कुछ ही क्लिक में दुनिया भर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. ऑनलाइन पाठ्यक्रम, डिजिटल पुस्तकालय और ज्ञान के मुफ्त स्रोत हर किसी के लिए उपलब्ध हैं.

इस बदलाव ने सिखाया कि यह युग ज्ञान के लोकतंत्रीकरण का युग है. अब ज्ञान किसी की बपौती नहीं है. जो भी सीखना चाहता है, उसके लिए अवसर मौजूद हैं. इस युग में सफलता की कुंजी है लगातार सीखते रहना और नई जानकारी को अपनाना. डिजिटल युग ने ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बना दिया है. सीखने की इच्छा और जिज्ञासा ही इस युग में आगे बढ़ने का मूल मंत्र है.

शेष भाग अगले अंक में…,

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