
शहर में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हो रहा था. सरकार की एक नई नीति से समाज का एक बड़ा वर्ग नाखुश था. सड़कों पर हजारों लोग अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे. इस भीड़ में अलग-अलग उम्र, वर्ग और पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे.
रिया एक युवा पत्रकार थी. वह इस विरोध प्रदर्शन को कवर कर रही थी. उसने देखा कि सोशल मीडिया इस आंदोलन को संगठित करने और लोगों तक अपनी बात पहुँचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था. लोग लाइव वीडियो, पोस्ट और हैशटैग के माध्यम से अपनी राय व्यक्त कर रहे थे और दूसरों को जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे.
रिया ने महसूस किया कि यह नया युग आवाज़ों का युग है. अब किसी एक व्यक्ति या संस्था का एकाधिकार नहीं रहा. हर किसी के पास अपनी बात कहने और दूसरों तक पहुँचाने का माध्यम है. सोशल मीडिया ने लोगों को एकजुट होने और अपनी सामूहिक शक्ति दिखाने का मंच दिया है.
इस घटना ने रिया को सिखाया कि युग बदल गया है. अब सूचना का प्रवाह एकतरफा नहीं है, हर नागरिक अपनी राय दुनिया के सामने रख सकता है. यह युग सबकी आवाज़ सुनने और उसे महत्व देने का युग है.
शेष भाग अगले अंक में…,