छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसे खरना कहते हैं, भक्तों के लिए बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण होता है. यह दिन नहाय-खाय के अगले दिन आता है और इस दिन व्रती पूरे दिन का निर्जला उपवास रखते हैं. दिनभर उपवास करने के बाद शाम को वे खरना की पूजा करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं.
खरना के दौरान व्रती गुड़ और चावल से बनी खीर, गेहूं के आटे से बनी रोटी और केले का प्रसाद बनाते हैं. इस प्रसाद को पूजा के बाद ग्रहण किया जाता है और फिर परिवार के अन्य सदस्य भी इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन के प्रसाद में पवित्रता और सादगी का विशेष ध्यान रखा जाता है, और इसे मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियों से पकाया जाता है, जिससे प्रसाद की पवित्रता बनी रहती है.
खरना के बाद व्रती अगले 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखते हैं, जो उन्हें सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने तक जारी रहता है. खरना का दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक शुद्धि का दिन होता है, जिसमें वे अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखने का प्रयास करते हैं. यह दिन छठ पूजा के मुख्य अनुष्ठानों में से एक है और इसे बहुत श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है.
संकलन: – ज्ञानसागरटाइम्स टीम.
Video Link: – https://youtu.be/SV2XgzqJpag



