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अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य सांकेतिक भाषा के महत्व को बढ़ावा देना और बधिर (deaf) समुदाय के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है. यह दिन बधिरों के लिए सांकेतिक भाषा को मान्यता देने और इसे मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2017 को इस दिन को मान्यता दी और वर्ष 2018 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया गया. 23 सितंबर की तारीख का चयन इसलिए किया गया क्योंकि इसी दिन 1951 में विश्व बधिर महासंघ (World Federation of the Deaf) की स्थापना हुई थी, जो वैश्विक स्तर पर बधिर समुदाय के अधिकारों और हितों के लिए काम करने वाला प्रमुख संगठन है.

इस दिन का मुख्य उद्देश्य सांकेतिक भाषा के महत्व को पहचान दिलाना और इसे एक अधिकार के रूप में देखना है. सांकेतिक भाषा बधिर लोगों के लिए संवाद का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है, और इसे सीखना और समझना उनकी सामाजिक समावेशिता के लिए अत्यावश्यक है.

सांकेतिक भाषा को औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा प्रणालियों में बढ़ावा देना, ताकि इसे एक समान्य भाषा के रूप में स्वीकार किया जाए. यह दिन बधिर समुदाय के अधिकारों के समर्थन और उनकी सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक भागीदारी सुनिश्चित करने का भी प्रतीक है.

सांकेतिक भाषा विश्वभर में विभिन्न रूपों में मौजूद है, और यह विविधता का सम्मान करने का भी एक अवसर है. हर देश और समुदाय की अपनी सांकेतिक भाषा होती है, जो उनकी संस्कृति और भाषा का हिस्सा होती है.

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस न केवल बधिर समुदाय के अधिकारों को मान्यता देता है, बल्कि यह इस बात की भी याद दिलाता है कि सभी को समानता और सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी संवाद की भाषा कोई भी हो.

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International Sign Language Day

International Sign Language Day is celebrated every year on 23 September. The purpose of celebrating this day is to promote the importance of sign language and spread awareness about the rights of the deaf community. This day is an important step towards recognizing sign language for the deaf and bringing it into the mainstream.

The United Nations General Assembly recognized this day on 19 December 2017 and the year 2018 was celebrated for the first time as International Sign Language Day. The date of 23 September was chosen because on this day in 1951, the World Federation of the Deaf was established, which is the leading organization working for the rights and interests of the deaf community at the global level.

The main objective of this day is to recognize the importance of sign language and see it as a right. Sign language is the most important means of communication for deaf people, and learning and understanding it is vital for their social inclusion.

Promoting sign language in formal and non-formal education systems, so that it is accepted as a common language. This day also marks the support of the rights of the deaf community and ensures their social, economic, and cultural participation.

Sign language exists in various forms across the world, and it is also an opportunity to respect diversity. Every country and community has its sign language, which is part of their culture and language.

International Sign Language Day not only recognizes the rights of the deaf community, but it also reminds us that everyone should get equality and respect, no matter what their language of communication is.

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