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व्यक्ति विशेष

भाग - 84.

क्रान्तिकारी मानवेन्द्र नाथ राय

मानवेन्द्र नाथ रॉय एक भारतीय क्रान्तिकारी, दार्शनिक और राजनीतिक नेता थे. उनका जन्म 21 मार्च 1887 को बंगाल के एक छोटे गाँव में हुआ था. मानवेन्द्र नाथ रॉय को उनके राजनीतिक और सामाजिक विचारों के लिए जाना जाता है, जिसमें वे मार्क्सवादी और अंतर्राष्ट्रीय वादी विचारों को समर्थन करते थे.

रॉय ने अपने जीवन के कई वर्ष विदेश में बिताए, जहाँ उन्होंने मार्क्सवादी विचारधारा को अपनाया और इसके प्रचार में योगदान दिया. वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और बाद में उन्होंने रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। रॉय ने कई किताबें और निबंध लिखे जो सामाजिक और राजनीतिक विचारधाराओं पर चर्चा करते हैं.

उनके काम ने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी विचारधारात्मक और राजनीतिक बहसों में योगदान दिया. उनका देहांत 25 जनवरी 1954 को हुआ था.

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संगीतकार ख़्वाजा खुर्शीद अनवर

ख्वाजा खुर्शीद अनवर एक संगीतकार, संगीत निर्देशक और संगीत विज्ञानी थे, जिन्होंने मुख्य रूप से भारतीय और पाकिस्तानी फिल्म उद्योग में काम किया. उनका जन्म 21 मार्च 1912 को लाहौर में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था. खुर्शीद अनवर की संगीत में गहरी रुचि और शास्त्रीय संगीत पर अच्छी पकड़ थी, और उन्होंने अपने कैरियर में कई यादगार गीतों और संगीत रचनाओं की रचना की.

उन्होंने अपने संगीतिक कैरियर की शुरुआत भारत में की और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के लिए भी काम किया. उनका संगीत उनकी अनूठी शैली और नवीनता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई प्रसिद्ध गीतों की रचना की और उनकी संगीत रचनाओं में शास्त्रीय, लोक और पश्चिमी संगीत का सुंदर समावेश देखने को मिलता है.

ख्वाजा खुर्शीद अनवर को उनकी संगीत प्रतिभा और योगदान के लिए उच्च सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया. उनका देहांत 30 अक्टूबर 1984 को हुआ. उनके संगीत ने उन्हें दक्षिण एशिया में संगीत के क्षेत्र में एक अमर स्थान दिलाया है.

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शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान

उस्ताद बिस्मिल्ला खान एक प्रसिद्ध भारतीय शहनाई वादक थे, जिन्होंने शहनाई के संगीत को विश्वभर में प्रसिद्ध किया. वे 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में जन्मे थे और उन्होंने शहनाई वादन में ऐसी उल्लेखनीय महारत हासिल की कि, उन्हें ‘शहनाई का जादूगर’ भी कहा जाता था. उनका संगीत कैरियर लगभग आठ दशकों तक फैला रहा और उन्होंने भारत और दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण संगीत समारोहों में प्रस्तुतियाँ दीं.

उस्ताद बिस्मिल्ला खान को उनकी असाधारण कला और संगीत के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें भारत रत्न (2001), पद्म विभूषण (1980), पद्म भूषण (1968), और पद्म श्री (1961) शामिल हैं. उन्होंने शहनाई के माध्यम से भारतीय संगीत की एक अनूठी शैली को प्रस्तुत किया, जिसने लोगों के दिलों को छू लिया और उन्हें विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई.

उनका निधन 21 अगस्त 2006 को हुआ था, लेकिन उनकी संगीत विरासत आज भी जीवित है और उनके शिष्यों और शहनाई संगीत प्रेमियों द्वारा दुनिया भर में सराही जाती है. उनका संगीत न केवल भारतीय संगीत की एक अमूल्य धरोहर है, बल्कि यह विश्व संगीत के इतिहास में भी एक उल्लेखनीय योगदान है.

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नृत्य गुरु नटराज रामकृष्ण

नृत्य गुरु नटराज रामकृष्ण भारतीय क्लासिकल डांस, विशेष रूप से आंध्र नाट्यम और भरतनाट्यम में एक प्रसिद्ध नर्तक और गुरु थे. उन्होंने आंध्र नाट्यम, जो कि एक पारंपरिक तेलुगु नृत्य शैली है, को पुनर्जीवित करने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नटराज रामकृष्ण का जन्म तेलंगाना में हुआ था और उन्होंने अपनी जवानी में ही नृत्य के प्रति अपनी रुचि विकसित की. उन्होंने अपनी नृत्य शैली को बहुत ही सूक्ष्मता और अनुशासन के साथ विकसित किया और भारतीय नृत्य कला को एक नया आयाम दिया.

नटराज रामकृष्ण ने अपने नृत्य कैरियर के दौरान कई शिष्यों को प्रशिक्षित किया और उन्हें भारतीय नृत्य कला की विभिन्न शैलियों में महारत हासिल करने में मदद की. उनका योगदान न केवल नृत्य कला के क्षेत्र में था, बल्कि उन्होंने नृत्य शिक्षण और प्रदर्शन कला के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उनकी शैली और तकनीक ने भारतीय नृत्य कला की परंपराओं को बरकरार रखते हुए इसे एक नई पहचान दी. उनके काम और योगदान की भारतीय नृत्य कला के क्षेत्र में बहुत प्रशंसा की जाती है.

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राजनीतिज्ञ बूटा सिंह

बूटा सिंह एक अनुभवी भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में कई वर्षों तक विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. उनका जन्म 21 मार्च 1934 को हुआ था. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने भारत के गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया.

बूटा सिंह ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत बहुत ही युवा उम्र में की थी और उन्होंने विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर काम किया. उन्हें विशेष रूप से उनके अल्पसंख्यकों और निर्धन वर्गों के उत्थान के लिए किए गए कामों के लिए जाना जाता है.

बूटा सिंह ने भारत के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया और वे बिहार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और उनका राजनीतिक जीवन विविध और घटनापूर्ण रहा.

उनका निधन 2 जनवरी 2021 को हुआ. बूटा सिंह को उनके राजनीतिक योगदान और सामाजिक सेवा के लिए व्यापक रूप से याद किया जाता है. उनके निधन पर भारतीय राजनीति और समाज के विभिन्न वर्गों से शोक संदेश आए थे.

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अभिनेत्री रानी मुखर्जी

रानी मुखर्जी एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो हिंदी सिनेमा में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 21 मार्च 1978 को कोलकाता में हुआ था. रानी मुखर्जी ने 1990 के दशक के मध्य में अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की और तब से उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई महत्वपूर्ण और यादगार भूमिकाएँ निभाई हैं.

रानी मुखर्जी को उनकी अनूठी आवाज़, शक्तिशाली अभिनय कौशल और विविध भूमिकाओं के चित्रण के लिए जाना जाता है. उन्होंने “कुछ कुछ होता है”, “ब्लैक”, “हम तुम”, “मर्दानी”, और “वीर-जारा” जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है. उनकी फिल्म “ब्लैक” में उनके अभिनय को विशेष रूप से सराहा गया था, जिसमें उन्होंने एक अंधी और बहरी लड़की की भूमिका निभाई थी.

रानी मुखर्जी ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें कई फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं. वे अपनी फिल्मों में जटिल भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है. रानी मुखर्जी का फिल्म उद्योग में एक मजबूत प्रभाव है और वह भारतीय सिनेमा की सबसे सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक हैं.

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अभिनेत्री शोबाना

अभिनेत्री शोबाना एक भारतीय अभिनेत्री और भरतनाट्यम नर्तकी हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से मलयालम सिनेमा में अपनी महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है. उन्होंने तमिल, तेलुगु, हिंदी और कन्नड़ भाषाओं में भी अभिनय किया है. शोबाना ने अपने कैरियर में विविध भूमिकाएं निभाई हैं और विशेष रूप से अपने अभिनय और नृत्य कौशल के लिए सराही गई हैं.

उन्हें उनकी फिल्मों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिसमें दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और अनेक केरल स्टेट फिल्म पुरस्कार शामिल हैं. शोबाना को उनकी फिल्म “मंजिल विरिंजा पूक्कल” में अभिनय के लिए पहली बार पहचान मिली, और उसके बाद उन्होंने “श्वासम”, “मीशा मधावन”, और “अन्नियान” जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया.

शोबाना एक विख्यात भरतनाट्यम नर्तकी भी हैं और उन्होंने विश्वभर में अपने नृत्य प्रदर्शनों से प्रशंसकों को मोहित किया है. उनके नृत्य में गहराई, भावनात्मकता और तकनीकी कुशलता का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है. उनका नृत्य विद्यालय, ‘कलारपणा’, भरतनाट्यम को समर्पित है और यह नई पीढ़ी के नर्तकों को प्रशिक्षण और प्रेरणा प्रदान करता है.

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साहित्यकार केशव प्रसाद मिश्र

केशव प्रसाद मिश्र एक प्रमुख हिन्दी साहित्यकार थे, जिनका जन्म 1885 में काशी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. वे 194 -50 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे. पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1928 में उन्हें इस विश्वविद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त किया था. केशव प्रसाद मिश्र ने कालिदास की ‘मेघदूत’ के पद्यानुवाद की भूमिका में रस सिद्धांत का विवेचन किया था, जो उनकी प्रसिद्ध कृतियों में से एक है. उनकी अन्य रचनाओं में ‘गद्य भारती’, ‘काव्यलोक’, और ‘पदचिह्न’ शामिल हैं। उनका देहावसान 21 मार्च 1952 को हुआ था​​​​.

केशव प्रसाद मिश्र की शैली अध्यात्मवादी और भारतीय संस्कारों से प्रेरित थी, जो उन्हें समकालीन आचार्य रामचंद्र शुक्ल से भिन्न करती थी. उनकी आलोचना पद्धति और दृष्टिकोण में यह अंतर स्पष्ट दिखाई देता है. मिश्र जी अपने विचारों और लेखनी में भारतीयता के प्रति गहरा सम्मान और निष्ठा रखते थे. उन्होंने संस्कृत में ‘हरिवंश गुण स्मृति’ नामक प्रबंध काव्य की रचना की और ‘संस्कृत सारिणी’ नामक पुस्तक भी लिखी, जो संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए उपयोगी मानी जाती है.

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उपन्यासकार शिवानी

उपन्यासकार शिवानी एक प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार थीं. उनका असली नाम गौरा पंत था, परंतु उन्होंने शिवानी के लेखक नाम से ख्याति प्राप्त की. वे उत्तराखंड की रहने वाली थीं और उन्होंने हिन्दी साहित्य में अपनी अनूठी शैली और गहरे अध्ययन के लिए विशेष स्थान बनाया.

शिवानी के उपन्यासों और कहानियों में उत्तराखंड के पर्वतीय जीवन, सामाजिक मूल्यों, और महिलाओं की स्थिति जैसे विषयों पर गहराई से चर्चा की गई है. उनकी लेखनी में एक विशिष्ट कोमलता और सूक्ष्मता होती थी, जिससे पाठकों को उनके पात्रों और कथाओं से गहरा लगाव हो जाता था.

उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों में ‘कृष्णकली’, ‘चौदह फेरे’, ‘वीणा’, और ‘रतिविलाप’ शामिल हैं. उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाओं को बहुत ही सुंदरता और सच्चाई के साथ प्रस्तुत किया गया है. उनकी कहानियाँ और उपन्यास समय के साथ भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखते हैं.

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मेजर मोहित शर्मा

मेजर मोहित शर्मा एक भारतीय सेना के प्रतिष्ठित अधिकारी थे, जिन्हें उनकी अद्भुत वीरता और साहस के लिए जाना जाता है. वे 1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) के एक सदस्य थे और उन्होंने जम्मू और कश्मीर में कई आतंकवादी विरोधी ऑपरेशनों में भाग लिया था. मेजर मोहित शर्मा को उनकी असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत भारतीय सेना के सबसे उच्चतम वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.

मेजर मोहित शर्मा ने विशेष रूप से एक ऑपरेशन में उल्लेखनीय बहादुरी और चतुराई का प्रदर्शन किया जहाँ उन्होंने दुश्मन के शिविर में घुसपैठ की और महत्वपूर्ण सूचनाएँ एकत्रित कीं. उनके इस कृत्य ने न केवल कई आतंकवादियों के खिलाफ सफल अभियानों का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि अनेक सैनिकों की जानें भी बचाई.

मेजर मोहित शर्मा की वीरता और बलिदान ने उन्हें भारतीय सैन्य इतिहास में एक अमर स्थान दिलाया है और वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.

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