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व्यक्ति विशेष

भाग – 390.

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. मधु दंडवते

मधु दंडवते भारत के एक प्रख्यात राजनेता और अर्थशास्त्री थे. वे अपनी सादगी, ईमानदारी और समाजवाद के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे. उनका जन्म 21 जनवरी, 1924 को अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने मुंबई के रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस कॉलेज से भौतिकी में एमएससी किया था.

मधु दंडवते ने वर्ष 1970 में राजनीति में प्रवेश किया और पश्चिमी महाराष्ट्र से विधान परिषद के सदस्य चुने गए. वर्ष 1971 – 90 तक वे लगातार पांच बार संसद सदस्य रहे. वे जनता दल और जनता पार्टी जैसे दलों से जुड़े रहे. वर्ष 1990- 98 तक वे भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे. दंडवते को कोकण रेलवे के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है. उन्होंने इस परियोजना के लिए कड़ी मेहनत की और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया. जब वे रेल मंत्री  थे, तब उन्होंने स्लीपर कोच में गद्दे वाली सीटें लगवाई थीं.

दंडवते एक समाजवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने हमेशा गरीबों और वंचितों के हितों की रक्षा के लिए काम किया. वे अपनी बेहद सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते थे. राजनीति में ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए वे एक आदर्श माने जाते थे. मधु दंडवते एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने राजनीति में ईमानदारी और निष्ठा का एक नया आयाम स्थापित किया. उनकी विरासत आज भी प्रासंगिक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. मधु दंडवते का निधन 12 नवंबर 2005 को मुंबई में हुआ था.

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अभिनेता प्रदीप रावत

प्रदीप रावत एक भारतीय फिल्म अभिनेता हैं, जिन्हें मुख्यतः खलनायक के किरदार निभाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई हिंदी, तेलुगु और तमिल फिल्मों में काम किया है. उनकी दमदार आवाज और अभिनय ने उन्हें दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय बनाया है.

प्रदीप रावत का जन्म 21 जनवरी 1952 में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत छोटे पर्दे के शो महाभारत से की थी, जिसमें उन्होंने द्रोणचार्य के पुत्र अश्वथामा का किरदार निभाया था. महाभारत में उनके दमदार अभिनय के बाद उन्हें फिल्मों में खलनायक के किरदार मिलने लगे. उन्होंने हिंदी के अलावा तेलुगु, तमिल और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है.

प्रदीप रावत को उनकी खलनायक छवि के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई फिल्मों में नकारात्मक किरदार निभाकर दर्शकों को चौंकाया है. उनकी दमदार आवाज ने उनके किरदारों को और भी खतरनाक बना दिया है.

प्रमुख फिल्में:  –  महाभारत (टीवी सीरियल), सरफरोश, लगान, गजनी और सई.

प्रदीप रावत को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार (तेलुगु), संतोषम सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार और नंदी पुरस्कार शामिल हैं.

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अभिनेत्री किम शर्मा

किम शर्मा एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और मॉडल हैं. उन्हें अपनी खूबसूरती और अदाकारी के लिए जाना जाता है. किम का जन्म 21 जनवरी, 1980 को हुआ था. किम शर्मा ने अपने कैरियर की शुरुआत एक मॉडल के रूप में की थी. उन्होंने बॉलीवुड में वर्ष 2000 में आई फिल्म “मोहब्बतें” से डेब्यू किया था. इस फिल्म में उन्होंने शाहरुख खान के साथ काम किया था.

 “मोहब्बतें” के बाद किम शर्मा को कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला. हालांकि, उन्हें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई. उन्होंने “कहता है दिल बार बार”, “फिदा”, “तुमसे अच्छा कौन है” जैसी फिल्मों में काम किया।

किम शर्मा अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. उन्हें क्रिकेटर युवराज सिंह के साथ अफेयर के लिए भी जाना जाता है. किम शर्मा अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं. उन्हें फैशन सेंस के लिए भी जाना जाता है.

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अभिनेता सुशांत सिंह

सुशांत सिंह एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म और टेलीविजन अभिनेता थे, जिनका जन्म 21 जनवरी 1986 में पटना, बिहार, में पैदा हुए थे और उनका निधन 14 जून 2020 को हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन सीरियल “किस देश में है मेरा दिल” (2008) से की थी और फिर बॉलीवुड में कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों में काम किया.

सुशांत सिंह की कुछ महत्वपूर्ण फ़िल्में इस प्रकार हैं: – 

“कैय पोछे अंगना हमार” (2013)

“शुद्ध देसी रोमांस” (2013)

“मसान” (2015)

“कैच: वीवाई एंड कैच” (2016)

“एम्.एस. धोनी: अनटोल्ड स्टोरी” (2016) – जिसमें उन्होंने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का किरदार निभाया था।

“केदारनाथ” (2018)

सुशांत सिंह के निधन के बाद, उनकी मौत पर बहुत विवाद उत्पन्न हुआ था और कई जांचों के बाद उनकी मौत को सुसाइड के रूप में घोषित किया गया था। उनकी मौत के परिप्रेक्ष्य में कई विवाद उत्पन्न हुए थे और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बहुत हुई थी।

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वैज्ञानिक ज्ञान चंद्र घोष

ज्ञानचंद्र घोष भारत के एक प्रख्यात रसायनज्ञ थे, जिन्हें भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान, औद्योगिक विकास और प्रौद्योगिकी शिक्षा के विकास में उनके अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है. ज्ञान चंद्र घोष का जन्म 14 सितम्बर 1894 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया नामक स्थान पर हुआ था. उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से रसायन विज्ञान में एमएससी किया और कलकत्ता विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.

ज्ञानचंद्र घोष ने कई वर्षों तक कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया और छात्रों को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में प्रेरित किया. उन्होंने रसायन विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय शोध कार्य किया. उन्होंने भारत में रासायनिक उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे कई वैज्ञानिक संस्थाओं के संस्थापक और सदस्य रहे. उन्होंने औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की.

ज्ञानचंद्र घोष का निधन  21 जनवरी, 1959 को हुआ था. ज्ञानचंद्र घोष ने भारत में विज्ञान के क्षेत्र में एक अमूल्य योगदान दिया. उनकी विरासत आज भी प्रासंगिक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

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रास बिहारी बोस

रास बिहारी बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 25 मई 1886 को बंगाल के बर्धमान जिले में हुआ था. बोस ने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की कई योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें सबसे प्रसिद्ध घटना 1912 में दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग पर बम हमला शामिल है.

ब्रिटिश द्वारा पकड़े जाने के खतरे के कारण, रास बिहारी बोस 1915 में जापान चले गए, जहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्थन और सहयोग जुटाने का काम जारी रखा. जापान में उन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की और बाद में सुभाष चंद्र बोस (जिनसे उनका कोई रिश्ता नहीं था) को इस संगठन की कमान सौंपी, जिसने अंततः आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया.

रास बिहारी बोस ने अपनी जिंदगी के अंतिम वर्षों में जापान में ही बिताए और 21 जनवरी 1945 को उनका निधन हो गया. उनके योगदान को भारत और जापान दोनों ही देशों में सम्मानित किया जाता है.

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उपन्यासकार शिवपूजन सहाय

शिवपूजन सहाय हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कथाकार, और निबंधकार थे. वे हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे. उनका साहित्यिक जीवन मुख्य रूप से भारतीय समाज, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के इर्द-गिर्द घूमता है.

शिवपूजन सहाय का जन्म 9 अगस्त 1893 को बिहार के शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर) जिले के उनवास नामक गाँव में हुआ था. उनका साहित्यिक जीवन बहुमुखी था, जिसमें उन्होंने कहानी, उपन्यास, निबंध, आलोचना, और संपादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया.

देहाती दुनिया – यह उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसमें उन्होंने भारतीय गाँवों की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों का यथार्थ चित्रण किया है. यह उपन्यास भारतीय ग्रामीण जीवन के यथार्थ को गहराई से प्रस्तुत करता है.

विनय पत्रिका – इस निबंध संग्रह में उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर अपने विचार प्रकट किए हैं.

माता का आँचल – यह उपन्यास भी उनकी महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है, जिसमें भारतीय पारिवारिक जीवन और मातृत्व की महत्ता का चित्रण किया गया है.

मेरा जीवन – यह उनकी आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और अनुभवों का वर्णन किया है.

शिवपूजन सहाय ने हिंदी साहित्य में पत्रकारिता और संपादन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे, जिनमें ‘माधुरी’ और ‘ग्राम सेवक’ प्रमुख थे.

शिवपूजन सहाय का निधन 21 जनवरी 1963 को पटना में हुआ था. उनकी साहित्यिक कृतियाँ भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती हैं और उन्होंने साहित्य को समाज के साथ जोड़ने का कार्य किया. उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के बीच सम्मान के साथ पढ़ी और सराही जाती हैं.

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शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई

मृणालिनी साराभाई एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना थीं, जिन्होंने भारतनाट्यम और कथकली नृत्य शैलियों में महारत हासिल की थी. उनका जन्म 11 मई 1918 को केरल के त्रिवेंद्रम में हुआ और उनकी मृत्यु  21 जनवरी, 2016 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था. मृणालिनी साराभाई ने नृत्य की शिक्षा भारत और विदेशों में प्राप्त की और अपनी गहरी समझ और नृत्य के प्रति गहन भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध हुईं.

उन्होंने वर्ष 1949 में अहमदाबाद में ‘दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ की स्थापना की, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत को सिखाने के लिए एक प्रमुख संस्थान बन गया. मृणालिनी ने अपने नृत्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को भी उठाया, जिसमें महिला अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, और शांति के लिए नृत्य शामिल हैं. उनकी प्रस्तुतियाँ अक्सर समकालीन मुद्दों पर आधारित होती थीं और उन्होंने नृत्य को एक शक्तिशाली सामाजिक संदेश देने का माध्यम बनाया.

मृणालिनी साराभाई ने अपने जीवनकाल में अनेक पुरस्कारों और सम्मानों को प्राप्त किया, जिसमें पद्म भूषण (1992) और पद्म श्री (1965) शामिल हैं. उनकी नृत्य शैली, उनकी कोरियोग्राफी की कला, और नृत्य के प्रति उनका भावपूर्ण अभिव्यक्ति उन्हें भारतीय नृत्य की दुनिया में एक अनोखी पहचान दिलाती हैं.

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