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व्यक्ति विशेष

भाग – 382.

शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाले महान सिपाही थे. शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13 जनवरी 1911 को देहरादून में हुआ था. उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चली गांधीवादी आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया. वे खिलाफत आंदोलन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख आंदोलनकारी थे.

शमशेर बहादुर सिंह का सबसे प्रसिद्ध कार्य उनकी भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के साथ हुई चौरी-चौरा घटना था, जिसमें वे भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के साथ ब्रिटिश साम्राज्य की संपत्ति विरोध में शामिल हुए और अच्छूत समुदाय के लोगों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए.  इसके बाद, उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, लेकिन उन्हें 1942 में महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुसरण करने के बाद रिहा कर दिया गया. कवि शमशेर बहादुर सिंह का निधन 12 मई 1993 को हुआ था.

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पूर्व राज्यपाल मर्री चेन्ना रेड्डी

पूर्व राज्यपाल मर्री चेन्ना रेड्डी का नाम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्र के राज्यपाल के रूप में प्रमुख हैं. मर्री चेन्ना रेड्डी का जन्म 13 जनवरी 1919 को हैदराबाद जिला आन्ध्र प्रदेश में हुआ था. एम. चन्ना रेड्डी ने 1941 में एम.बी.बी.एस. की उपाधि प्राप्त की. वर्ष 1950 में वे ‘प्राविजिनल पार्लियामेंट’ के लिये मनोनीत हुए.

मर्री चेन्ना रेड्डी ने 26 अगस्त 2007 से 23 सितंबर 2011 तक आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था. इसके बाद, उन्होंने तेलंगाना राज्य के राज्यपाल के रूप में भी कार्यभार संभाला. मर्री चेन्ना रेड्डी ने राज्यपाल के पदों पर अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए कई पहल किए थे. मर्री चेन्ना रेड्डी का निधन 2 दिसम्बर 1996 को हैदराबाद तेलंगाना में हुआ था.

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निर्माता एवं निर्देशक शक्ति सामंत

शक्ति सामंत एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक थे. जिनका जन्म 13 जनवरी 1926 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान में हुआ था और उनका निधन 9 अप्रैल 2009 को हुआ. उन्होंने फिल्म उद्योग में विशेष स्थान बनाया और कई सफल फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया. जिनमें ‘कटी पतंग’, ‘आराधना’, ‘अमर प्रेम’, ‘कश्मीर की कली’ और ‘अमानुष’ जैसी फिल्में शामिल हैं.

शक्ति सामंत की शिक्षा देहरादून और कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी की. शुरू में अभिनेता बनने की इच्छा रखने वाले शक्ति सामंत ने मुंबई में अपने कैरियर की शुरुआत की, लेकिन उन्हें तुरंत सफलता नहीं मिली. इसके बाद, उन्होंने एक स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया.वहाँ उन्होंने अशोक कुमार के साथ ‘बॉम्बे टॉकीज़’ में काम किया और धीरे-धीरे फिल्म निर्देशन की ओर रुख किया.

 शक्ति सामंत ने वर्ष 1957 में ‘शक्ति फिल्म्स’ नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया और उनकी पहली फिल्म ‘हावड़ा ब्रिज’ थी. उनकी फिल्मों ने उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया. शक्ति सामंत का फिल्मी कैरियर उनकी विविधता और नवीनता के लिए जाना जाता है.उनकी फिल्मों में संगीत, कहानी और निर्देशन की गहराई ने दर्शकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया.

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संतूर वादक शिवकुमार शर्मा

पंडित शिवकुमार शर्मा एक विश्वविख्यात भारतीय संगीतकार और संतूर वादक थे, जिन्होंने इस वाद्य यंत्र को शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया. उनका जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ और उनका निधन 10 मई 2022 को हुआ था.

शिवकुमार शर्मा ने संतूर, जो कि मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य था, को पूरे भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रतिष्ठित किया. उन्होंने इस वाद्य को ऐसे तरीके से मोडिफाई किया कि यह शास्त्रीय रागों को प्रस्तुत करने में सक्षम हो सके. उनकी इस अनूठी शैली ने संतूर को एक नई पहचान और सम्मान दिलाया.

पंडित शिवकुमार शर्मा का संगीत में योगदान सिर्फ उनके वादन तक ही सीमित नहीं था; उन्होंने कई फिल्मों के लिए भी संगीत दिया, जिसमें उन्होंने पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर जोड़ी बनाई और ‘शिव-हरि’ के नाम से प्रसिद्ध हुए. उन्होंने ‘सिलसिला’, ‘लम्हे’ और ‘चांदनी’ जैसी प्रसिद्ध फिल्मों के लिए संगीत रचा.

पंडित शिवकुमार शर्मा को उनके कलात्मक योगदान के लिए कई सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें पद्म श्री और पद्म विभूषण भी शामिल हैं. उनके निधन पर भारतीय संगीत जगत ने एक महान कलाकार खो दिया.

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अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा

राकेश शर्मा एक प्रमुख भारतीय उपग्रह यातायाती और भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट हैं. उन्होंने भारत की ओर से अंतरिक्ष में यात्रा की और वह पहले भारतीय कोस्मोनॉट बने. राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पटियाला, पंजाब, भारत में हुआ था. उन्होंने भारतीय वायुसेना में अधिकारी के रूप में सेवा की और 1982 में सोवियत संघ के स्पेस स्टेशन सोयुज़ 11 के मिशन के हिस्से के रूप में चयनित हुए.

राकेश शर्मा का इतिहासिक मोमेंट 2 अप्रैल 1984 को आया, जब वह सोयुज़ 11 मिशन के अंतरिक्ष यात्री के रूप में अंतरिक्ष में गए और भारतीय अंतरिक्ष में पहले व्यक्ति बने. उन्होंने अंतरिक्ष से भूमि की तस्वीरें लीं और भारत का झंडा फहराया, जब उनसे पूछा गया कि कैसा महसूस होता है जब वह अंतरिक्ष में होते हैं, तो उन्होंने उस इतिहासिक क्षण का यादगार उत्तर दिया, “सारे जहाँ से अच्छा”. राकेश शर्मा को इस मिशन के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

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अभिनेता अश्मित पटेल

अश्मित पटेल भारतीय फिल्म उद्योग के एक अभिनेता और मॉडल हैं. वह हिंदी फिल्मों और रियलिटी शो में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं. अश्मित को उनकी बहन और प्रसिद्ध अभिनेत्री अमीषा पटेल के भाई के रूप में भी पहचाना जाता है.

अश्मित पटेल का जन्म 13 जनवरी 1978 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम अमित पटेल जो व्यवसायी हैं और उनकी माता का नाम आशा पटेल है जो पेशे से वकील है. अश्मित ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से पूरी की और बाद में बॉस्टन यूनिवर्सिटी (यूएसए) से पढ़ाई की. उन्होंने व्यवसाय प्रबंधन में डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत सहायक निर्देशक के रूप में की और बाद में एक अभिनेता के रूप में पहचान बनाई.

प्रमुख फिल्में: –

इंटीमेट स्ट्रेंजर्स (2003): – सहायक निर्देशक के रूप में कार्य किया. मर्डर (2004), नज़र (2005), सिलसिले (2005), टॉस (2009), जय हो (2014).

टेलीविजन कैरियर: –

बिग बॉस 4 (2010):अश्मित पटेल को इस रियलिटी शो से बड़ी लोकप्रियता मिली. वह इस सीज़न के फाइनलिस्ट में शामिल थे.

पॉवर कपल (2015): – उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इस रियलिटी शो में भाग लिया.

अश्मित कई बार अपने विवादित रिश्तों और वीडियो लीक घटनाओं को लेकर चर्चा में रहे. उनका नाम कई महिलाओं के साथ जोड़ा गया, जिनमें अभिनेत्री रिया सेन और महक चहल प्रमुख हैं. अश्मित पटेल अपने अभिनय कौशल और चार्म के कारण फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रहे हैं.

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अभिनेता इमरान खान

इमरान खान एक फ़िल्म अभिनेता हैं जिनका  जन्म 13 जनवरी 1983 को मैडिसन, विस्कॉन्सिन, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था. वे प्रमुख फ़िल्म निर्माता और निर्देशक मांसूर अली के भतीजे हैं.

इमरान खान का अभिनय कैरियर वर्ष 2008 में हिन्दी फ़िल्म “जाने तू या जाने ना” के साथ शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका में काम किया था और उनका अभिनय बड़ा प्रशंसा प्राप्त किया. उन्होंने इसके बाद कई अन्य फ़िल्मों में भी काम किया, जैसे कि “इक मैं और इक तू” (2011), “मेरी ब्रदर की दुल्हन” (2011), “मटर” (2013), और “कटिए ना कटिए” (2014) जैसी.

इमरान खान ने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं और उन्होंने बॉलीवुड में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है.  वे फ़िल्मों के साथ-साथ समाज में अच्छे अदर्श और सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए भी जाने जाते हैं.

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राजनीतिज्ञ आर.एन. माधोलकर

आर.एन. माधोलकर जिनका पूरा नाम रघुनाथ नरसिंहा मुधोलकर है, एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे. उनका जन्म 16 मई, 1857 को हुआ था और उनकी मृत्यु 13 जनवरी, 1921 को हुई थी.

माधोलकर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विभिन्न क्षमताओं में सेवा की, जिसमें वह वर्ष 1918 में बॉम्बे विशेष अधिवेशन में अध्यक्ष रहे. इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 1916 में लखनऊ में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन की भी अध्यक्षता की थी. उनकी अध्यक्षता के दौरान, माधोलकर ने मुस्लिम लीग के साथ समझौते को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

माधोलकर की राजनीतिक यात्रा और उनके योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय रहे हैं. उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय समाज और राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और अपने देश की सेवा की.

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शायर शौक़ बहराइची

शौक़ बहराइची भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध उर्दू शायर थे. उनका असली नाम रियासत हुसैन रिज़वी था. शौक़ बहराइची का जन्म 6 जून 1884 को अयोध्या के सैयदवाड़ा मोहल्ले में एक साधारण मुस्लिम शिया परिवार में हुआ था और उनका निधन 13 जनवरी 1964 को हुआ. वे अपनी ग़ज़लों और शायरी के लिए जाने जाते हैं, जिसमें प्यार, मोहब्बत और सामाजिक मुद्दों को प्रमुखता से उभारा जाता है. शौक़ बहराइची ने उर्दू अदब में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और उनके लेखन ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है.

शौक़ बहराइची की ग़ज़लें बहुत मशहूर हैं. उनके शेर दिल को छू जाने वाले होते हैं और उर्दू साहित्य में उनकी एक खास जगह है. उनकी नज़्में भी बहुत लोकप्रिय हैं, जिनमें उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. शौक़ बहराइची ने मसनवी भी लिखी हैं, जिनमें प्रेम कहानियों को प्रस्तुत किया गया है.

शौक़ बहराइची की शायरी में एक खास प्रकार की मिठास और दर्द का मिश्रण होता है, जो उनके पाठकों को गहराई से प्रभावित करता है. उनकी भाषा सरल और सहज है, लेकिन उसमें भावनाओं की गहराई बहुत अधिक होती है. उनके योगदान के कारण उर्दू साहित्य में उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा.

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अभिनेता मदन पुरी

मदन पुरी भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रमुख अभिनेता थे, जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में अपने खलनायक और चरित्र भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 30 सितम्बर 1915 में पंजाब के नवांशहर (अब शाहिद भगत सिंह नगर) में हुआ था. वे बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता अमरीश पुरी के बड़े भाई थे.

मदन पुरी ने वर्ष 1940 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत की और करीब 40 वर्षों तक हिंदी फिल्मों में सक्रिय रहे. उन्होंने 400 से अधिक फिल्मों में काम किया, और उन्हें विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाने के लिए जाना जाता था, जिनमें खलनायक, धूर्त व्यापारी, भ्रष्ट अधिकारी, और सहायक चरित्र भूमिकाएं शामिल थीं.

फिल्में: – “देवर” (1966), “कटी पतंग” (1970), “अमर प्रेम” (1972), “जंजीर” (1973), “बॉबी” (1973), “मजबूर” (1974).

मदन पुरी की अभिनय शैली बहुत स्वाभाविक और प्रभावशाली थी, जिससे उन्होंने हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई. उन्हें मुख्य रूप से नकारात्मक भूमिकाओं में हीरो के विरोधी के रूप में देखा गया, लेकिन वे कभी भी एक स्टीरियोटाइप खलनायक नहीं बने. उनकी भूमिकाएँ अक्सर जटिल और गहरी होती थीं, जिसमें वे अपनी भावनाओं को बड़ी कुशलता से व्यक्त करते थे.

मदन पुरी ने वर्ष 1980 के दशक तक फिल्मों में काम किया और उनका निधन 13 जनवरी 1985 को हुआ. उनकी विरासत आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमूल्य मानी जाती है.

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