स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार बारींद्रनाथ घोष
बारींद्रनाथ घोष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सेनानी और पत्रकार थे. उनका जन्म 05 जनवरी 1880 को हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय भूमिका निभाई और समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया.
बारींद्रनाथ घोष का पत्रकारिता क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा. उन्होंने विभिन्न पत्रिकाओं में लेखन किया और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जागरूक किया. उन्होंने अखिल भारतीय पत्रकार सम्मेलन का आयोजन भी किया था.
स्वतंत्रता संग्राम के समय, बारींद्रनाथ घोष ने बड़ी संख्या में लोगों को जागरूक करने और संघर्ष करने में अपना योगदान दिया. उन्होंने बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ समर्थन जताया. बारीन्द्र कुमार घोष का निधन 18 अप्रैल 1959 को हुआ था. बारींद्रनाथ घोष का नाम भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखा जाता है, और उन्हें स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार के रूप में याद किया जाता है.
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परमहंस योगानन्द
परमहंस योगानंद एक भारतीय योगी और ध्यानिक थे, जो अपने उपदेशों और कार्यों के माध्यम से विश्व भर में ध्यान और योग के प्रचार-प्रसार का कार्य करने के लिए प्रसिद्ध हुए थे. उनका जन्म 05 जनवरी 1893 को हुआ था और मृत्यु 7 मार्च 1952 को हुई थी.
योगानंदा ने अपने जीवन को योग और वेदांत के अध्ययन में समर्पित किया और उन्होंने अपनी शिक्षाएं भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक तत्त्वों के प्रमोशन के लिए ब्रह्मा-कुमारिस और सेल्फ-रियायलाइजेशन फेलोशिप के माध्यम से विदेश में भी प्रसार किया.
उनका प्रमुख कृति, ‘आत्मकथा एक योगी’ (Autobiography of a Yogi), विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ और योग और ध्यान के प्रशंसकों के बीच में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ बन गया. योगानंदा ने अपने शिष्यों को “सेल्फ-रियायलाइजेशन फेलोशिप” की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया, जो उनके उपदेशों को फैलाने और योगानंदा के विचारों को जिवंत रखने का कार्य करता है.
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भदन्त आनन्द कौसल्यायन
भदंत आनंद कौसल्यायन भारत के एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु, विद्वान और लेखक थे. उन्हें भारतीय बौद्ध पुनर्जागरण के प्रमुख चेहरों में से एक माना जाता है. उनका जीवन बौद्ध धर्म, साहित्य, और समाज सुधार के लिए समर्पित था. वे विशेष रूप से पाली भाषा के विद्वान और बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं.
भदंत आनंद कौसल्यायन का जन्म 5 जनवरी 1905 को हुआ था. उनका मूल नाम हिम्मत सिंह था. उनका जन्म सियालकोट (अब पाकिस्तान में) के एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद महात्मा गांधी और स्वामी श्रद्धानंद जैसे महान नेताओं के संपर्क में आकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया.
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें बौद्ध धर्म और उसकी शिक्षाओं में रुचि हुई. उन्होंने श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और भिक्षु जीवन अपनाया. बौद्ध भिक्षु बनने के बाद उन्होंने भारत और विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया. उन्होंने पाली भाषा में गहरी रुचि ली और इसे समझने और प्रचारित करने में योगदान दिया. उन्होंने पाली ग्रंथों का हिंदी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया.
उन्होंने कई ग्रंथ लिखे, जिनमें बौद्ध धर्म, उसके दर्शन और समाज पर चर्चा की गई है. उनके प्रमुख लेखन कार्यों में “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” शामिल है. डॉ. बी. आर. आंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने के अभियान में भदंत आनंद कौसल्यायन ने सक्रिय योगदान दिया. उन्होंने दलित समुदाय के उत्थान और उनके बौद्ध धर्म में दीक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कई देशों की यात्रा की, जैसे श्रीलंका, म्यांमार, जापान, और थाईलैंड, जहां उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया. उनकी यात्राओं ने बौद्ध धर्म को एक वैश्विक पहचान देने में मदद की.
प्रमुख कृतियां: – भगवान बुद्ध और उनका धम्म, बौद्ध धर्म का इतिहास, पाली भाषा का व्याकरण, यात्रा के पन्ने (यात्रा वृतांत), धम्मपद की व्याख्या.
भारतीय समाज में जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ उनकी शिक्षाएं महत्वपूर्ण थीं. उन्होंने बौद्ध धर्म को एक समाज सुधारक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया. उनकी रचनाओं ने भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार में योगदान दिया. भदंत आनंद कौसल्यायन का निधन 22 जून 1988 को हुआ. उनकी विचारधारा और योगदान आज भी बौद्ध धर्म और समाज सुधार के क्षेत्र में प्रेरणादायक हैं.
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राजनीतिज्ञ कल्याण सिंह
कल्याण सिंह भारत के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे. वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और हिंदुत्व आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने उत्तर प्रदेश और भारत की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला. वे राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे.
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के मादोली गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. शिक्षा की समाप्ति के बाद वे शिक्षक बने, लेकिन बाद में, समाज सेवा और राजनीति में उनकी रुचि के कारण वे सक्रिय राजनीति में आ गए. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत जनसंघ से की थी.
कल्याण सिंह भारतीय जनसंघ से जुड़े और जल्द ही पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे. वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहे. वर्ष 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद वे पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल हुए. उन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
वर्ष 1991 में भाजपा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहली बार उनकी सरकार बनी. उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस (6 दिसंबर 1992) हुआ. इसके बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन पार्टी में आंतरिक कलह के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा. वर्ष 2014 – 19 तक वे राजस्थान के राज्यपाल रहे. वर्ष 2015 में वे कुछ समय के लिए हिमाचल प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल भी रहे.
कल्याण सिंह राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे. उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए अपने समर्थन और योगदान के कारण हिंदू समर्थकों के बीच लोकप्रियता अर्जित की. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
कल्याण सिंह अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में कई प्रयास किए. पिछड़े वर्गों और गरीबों के कल्याण के लिए योजनाएं लागू कीं. वर्ष 1999 में भाजपा के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और अपनी पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई. वर्ष 2004 में वे भाजपा में वापस लौट आए.
हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के लिए उनका नाम हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने राजनीति में नैतिकता और आदर्शों पर जोर दिया, जिसे उनके समर्थक सराहते थे. 21 अगस्त 2021 को लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में कल्याण सिंह का निधन हो गया. उनके निधन पर राष्ट्रीय स्तर पर शोक व्यक्त किया गया, और उन्हें “रामभक्त और जननेता” के रूप में श्रद्धांजलि दी गई.
कल्याण सिंह का राजनीतिक जीवन भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उन्होंने अपनी विचारधारा और नीतियों के माध्यम से समाज को प्रभावित किया.
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राजनीतिज्ञ मुरली मनोहर जोशी
मुरली मनोहर जोशी एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए पहचाने जाते हैं. उनका जन्म 05 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के नैनीताल जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था.
मुरली मनोहर जोशी ने अपनी शिक्षा को विभिन्न स्तरों पर पूरा किया और इन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की. उन्होंने फिर इंडियन इनस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) खड़गपुर से फिजिक्स में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद जर्मनी के इनस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से डॉक्टरेट अर्थात डॉक्टरी एकाधिकार की डिग्री प्राप्त की.
जोशी ने अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत विभिन्न विद्यार्थी संघों में किया और उन्होंने अपने समर्थन के लिए बहुत से अभियानों में भाग लिया. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की और कई बार से लोकसभा सदस्य चुने जाने का गर्व हासिल किया.
मुरली मनोहर जोशी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जैसे कि मानव संसाधन विकास मंत्री, कृषि मंत्री, और मानव संसाधन विकास मंत्री। उन्होंने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
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क्रिकेटर मंसूर अली ख़ान पटौदी
मंसूर अली ख़ान पटौदी, जिन्हें “टाइगर पटौदी” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे प्रभावशाली और सम्मानित कप्तानों में से एक थे. उनका जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था और वे पटौदी रियासत के नवाब थे. मंसूर अली ख़ान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के नौवें टेस्ट कप्तान थे और उनके नेतृत्व में भारत ने विदेशी धरती पर पहली टेस्ट जीत हासिल की.
मंसूर अली ख़ान पटौदी का जन्म एक शाही परिवार में हुआ था. उनके पिता इफ्तिखार अली ख़ान पटौदी भी एक मशहूर क्रिकेटर थे, जिन्होंने इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला था. मंसूर अली ख़ान ने भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रिकेट में अपना कैरियर बनाया. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से प्राप्त की, और बाद में इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन किया. ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ाई के दौरान वे क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने.
मंसूर अली ख़ान पटौदी ने वर्ष 1969 में मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की. उनके तीन बच्चे हैं—सैफ अली खान, सोहा अली खान, और सबा अली खान. सैफ अली खान और सोहा अली खान ने बॉलीवुड में सफल कैरियर बनाया है. मंसूर अली ख़ान पटौदी को महज 21 साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया गया था, जब 1962 में नियमित कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर घायल हो गए थे. वे भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे युवा कप्तान बने और भारतीय क्रिकेट में एक नया युग लाए.
वर्ष 1961 में एक कार दुर्घटना में उनकी दाहिनी आंख की दृष्टि चली गई थी. इसके बावजूद, उन्होंने अद्वितीय धैर्य और प्रतिबद्धता के साथ खेलना जारी रखा और क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया. यह उनके आत्मविश्वास और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण था. उन्होंने भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले और 2793 रन बनाए, जिसमें 6 शतक शामिल हैं. वर्ष 1967 में पटौदी की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ विदेशी धरती पर पहली टेस्ट जीत हासिल की. उन्हें भारतीय क्रिकेट में सकारात्मक बदलाव और टीम के आक्रामक खेल को बढ़ावा देने का श्रेय दिया जाता है.
पटौदी भारतीय टीम में फिटनेस और फील्डिंग को प्राथमिकता देने वाले पहले कप्तानों में से एक थे, जिन्होंने टीम में एक नई ऊर्जा और जीतने की इच्छा भरी. मंसूर अली ख़ान पटौदी ने वर्ष 1975 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया, लेकिन वे भारतीय क्रिकेट में एक प्रेरक व्यक्ति बने रहे और उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाता है. मंसूर अली ख़ान पटौदी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड और कई अन्य संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया. उन्हें क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण और साहस के लिए आज भी याद किया जाता है. भारत में क्रिकेट के लिए उनके योगदान को देखते हुए, बीसीसीआई ने वर्ष 2011 में उनकी याद में “पटौदी ट्रॉफी” का आयोजन शुरू किया, जो इंग्लैंड और भारत के बीच खेली जाती है.
मंसूर अली ख़ान पटौदी का निधन 22 सितंबर 2011 को नई दिल्ली में फेफड़ों के संक्रमण के कारण हुआ. उनके निधन के साथ भारतीय क्रिकेट ने एक महान नेता और प्रेरक व्यक्ति को खो दिया, लेकिन उनकी विरासत और क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण आज भी प्रेरणा का स्रोत है. मंसूर अली ख़ान पटौदी को भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा एक महान कप्तान, खिलाड़ी, और सच्चे नेता के रूप में याद किया जाता रहेगा.
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राजनीतिज्ञ ममता बनर्जी
ममता बनर्जी, एक भारतीय राजनीतिक थी जो पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री है. उनका जन्म 5 जनवरी 1955 को हुआ था. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में राजनीति की शुरुआत छात्र संघ के सदस्य के रूप में की और बाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) में शामिल हो गईं.
उन्होंने वर्ष 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (TMC) पार्टी की स्थापना की और इस पार्टी के नेता बनीं. उन्होंने पश्चिम बंगाल में हो रही राजनीतिक परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री चुनी गईं.
ममता बनर्जी ने वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में हुई विधानसभा चुनावों में भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पश्चिम बंगाल के प्रमुख नेता बनीं हैं. उन्होंने वर्ष 2016 और वर्ष 2021 में भी पुनः इस पद की जीत दर्ज की है. उनकी राजनीतिक प्रक्रिया और उनकी विशेष शैली ने उन्हें सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना दिया है.
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साहित्यकार अशोक कुमार शुक्ला
साहित्यकार अशोक कुमार शुक्ला एक भारतीय हिंदी साहित्यकार हैं. उनका जन्म 05 जनवरी 1967 को पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड में पैदा हुए थे.
अशोक कुमार शुक्ला का साहित्यिक योगदान मुख्यतः कविता रूप में है, और उनकी कविताएं विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं और साहित्यिक संगठनों में प्रकाशित होती हैं. उनकी रचनाएं आम जनता के बीच पहुंचने वाली सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित होती हैं.
अशोक कुमार शुक्ला की रचनाओं में उनकी भावनात्मकता, साहित्यिक सौंदर्य, और समाजशास्त्रीय पहलुओं को महत्वपूर्ण माना जाता है. उनका साहित्य व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं को छूने का प्रयास करता है.
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अभिनेत्री दीपिका पादुकोण
दीपिका पादुकोण एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री है जो अपने उच्च-प्रोफाइल और सफलतम कार्यों के लिए जानी जाती है. उनका जन्म 5 जनवरी 1986 को कर्नाटक, भारत में हुआ था. वह एक स्पोर्ट्समैन के परिवार से हैं, और उनके पिता प्रकाश पादुकोण एक पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.
दीपिका पादुकोण ने अपनी अभिनय कैरियर की शुरुआत 2006 में हिन्दी फिल्म “आइश्वर्या” से की थी, लेकिन उनका असली ब्रेकथ्रू मोमेंट 2007 में हुआ जब उन्होंने ओम शांति ओम के साथ दीपिका पादुकोण के स्टार के रूप में सुपरहिट फिल्म में काम किया. इसके बाद, उन्होंने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया है, जैसे कि “बच्चन ऐत्रान”, “चेन्नई एक्सप्रेस”, “पद्मावत” और “पिक्सेल”.
दीपिका पादुकोण ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार भी जीते हैं और उन्हें बॉलीवुड की टॉप अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उनकी खूबसूरती, अभिनय क्षमता और पेशेवरिकता के लिए उन्हें बड़ा सम्मान मिला है.
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महिला निशानेबाज़ अंजुम मौदगिल
अंजुम मौदगिल एक प्रमुख भारतीय निशानेबाज़ हैं जो अपने देश को अंतरराष्ट्रीय पैम्प में प्रतिष्ठान दिलाने में अपनी कला और प्रतिबद्धता के लिए पहचान बना रखी हैं. वह शूटिंग के कई अनुष्ठानों में भारतीय ध्वज को गर्व से लहराती हैं.
अंजुम मौदगिल का जन्म 5 जनवरी 1983 को हुआ था और उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत छोटी आयु में की थी. उन्होंने अपनी पहचान को स्थापित करने में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है. मौदगिल ने 2018 की कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया और उन्होंने एशियाई खेलों में भी सफलता प्राप्त की है. उन्होंने अपने समर्पण और कौशल के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है.
अंजुम मौदगिल ने भारत को शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय मानकों में उच्च स्थान पर ले जाने में अपना योगदान दिया है और उनका नाम भारतीय खेल के इतिहास में महत्वपूर्ण है.